SC on SC-ST Reservation: सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी कोटा में कोटा देने का अधिकार राज्यों को देने के फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद होने लगी है. पहले आरजेडी ने इसका खुल के विरोध किया और अब एनडीए के सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) ने इसका कड़ा विरोध किया है.
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए आरक्षण में “क्रीमी लेयर” मानदंड लागू करने के किसी भी कदम का विरोध किया.
अठावले की पार्टी भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए का हिस्सा है, ने कहा, “एससी/एसटी के लिए आरक्षण जाति पर आधारित है. इसलिए रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) एससी और एसटी के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर के मानदंड को लागू करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेगी.”
SC on SC-ST Reservation: पप्पू यादव ने की सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग
वहीं, बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने SC-ST में क्रीमी लेयर के बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर कहा, “मैं इसके पक्ष में नहीं हूं. OBC पहले ही खत्म हो चुका है और अब आप SC-ST में क्रीमी लेयर की बात कर रहे हैं. SC-ST के 1.3% लोगों के पास जमीन भी नहीं है. वे किसान नहीं हैं और उनके पास रोजगार भी नहीं है. इसपर सदन में व्यापक चर्चा की जरूरत है, सर्वदलीय बैठक हो और अगर जरूरत हो तो अध्यादेश लाया जाए…”
आरजेडी ने सबसे पहले किया था सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का विरोध
सबसे पहले बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का खुलकर विरोध किया था. तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को एक प्रेसवार्ता में सीएम नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा कि नीतीश किंग मेकर की स्थिति में है ऐसे में न वो प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा ले पा और न ही बढ़ी आरक्षण को शेडयूल 9 में डालवा पा रहे है.
तेजस्वी यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यों को एससी, एसटी कोटा में ज्यादा पिछड़ी जातियों के लिए उप-वर्गीकरण करने का अधिकार देने के फैसले से वह सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी आरजेडी भी इसको नहीं मानती है. अगर आर्थिक तौर पर न्याय दिलाना है तो सबको नौकरी दीजिए.
क्या है सुप्रीम कोर्ट की क्रीमी लेयर पर टिप्पणी
एक अगस्त 2024 को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 6:1 बहुमत से फैसला सुनाया कि राज्य इन समूहों के भीतर सबसे वंचित जातियों के लिए कोटा सुनिश्चित करने के लिए एससी और एसटी को और उप-वर्गीकृत कर सकते हैं. इस फैसले का समर्थन करने वाले छह में से चार न्यायाधीशों ने अलग-अलग फैसले लिखे, जिसमें क्रीमी लेयर को आरक्षण लाभ से बाहर रखने का सुझाव दिया गया. सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे एससी और एसटी के भीतर अधिक पिछड़ी जातियों को न्याय मिलेगा.