Operation RTG: भारतीय सेना अपने जवानों का साथ कभी नहीं छोड़ती. फिर चाहे वो जिंदा हो या वीर गति को प्राप्त हो गए हो. ऐसी ही एक मिसाल लद्दाख में देखने को मिली जब भारतीय सेना ने 9 महीने बाद अपने लापता तीन जवानों के शव बरामद किए. पिछले साल 8 अक्टूबर को लद्दाख में हुए हिमस्खलन की चपेट में 38 जवान आ गए थे. सेना के बचाव अभियान चला तब कई सैनिकों को निकाल लिया था और एक जवान का शव भी बरामद किया था. लेकिन इस हादसे में तीन जवानों के लापता होने और उनके बर्फ के नीचे दबे होने की आशंका थी. जो अब तीन शव बरामद होने के बाद सच साबित हो गई है.
#IndianArmy अपने रणबांकुरों को पीछे नहीं छोड़ती…#Ladakh में अक्टूबर 2023 में हुए भीषण हिमस्खलन के दौरान कई सैनिक दब गए थे. अथक कोशिशों के बाद भी उनके पार्थिव शरीर निकाले न जा सके. इन सैनिकों के पार्थिव शरीर को अब वापस ले आया गया है. @adgpi @NorthernComd_IA @firefurycorps pic.twitter.com/GruJhhEk17
— SansadTV (@sansad_tv) July 10, 2024
Operation RTG: 9 महीने बाद निकाले गए शव
हादसे के आठ महीने बाद सेना ने अपने लापता जवानों की तलाश में 18 जून ‘ऑपरेशन आरटीजी (रोहित, ठाकुर, गौतम)’ शुरू किया. ये ऑपरेशन का नाम लापता सैनिकों के नाम पर रखा गया था. जिनकी पहचान हवलदार रोहित, हवलदार ठाकुर बहादुर आले और नायक गौतम राजवंशी के रुप में हुई थी. इस मिशन में 88 विशेषज्ञ पर्वतारोहियों को शामिल किया गया. खुंबाथांग से 40 किलोमीटर पहले 14,790 फीट की ऊंचाई और सड़क से 13 किलोमीटर दूर एक बेस कैंप स्थापित किया गया. यहां दो हेलीकॉप्टर तैयार रखे गए थे. बेस कैंप की देखरेख HAWS के कमांडेंट मेजर जनरल ब्रूस फर्नांडीस ने की.
जीवन का सबसे चुनौती पूर्ण मिशन-वरिष्ठ अधिकारी
ऑपरेशन को करीब एक महीने बाद सफलता मिली. हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल के कमांडेंट ब्रिगेडियर एसएस शेखावत ने सेना के इस मिशन का नेतृत्व किया. मिशन में शामिल वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के मुताबिक ये उनके जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन था.
लगभग 18,700 फीट की ऊंचाई पर नौ दिनों तक प्रतिदिन 10 से 12 घंटे खुदाई की गई. ऑपरेशन के दौरान कई टन बर्फ हटाई गई. चुनौतीपूर्ण मौसम ने कठोर शारीरिक और मानसिक चुनौतियों के बीच आखिरकर सेना ने अपने तीन लापता सैनिकों के शवों को ढूंढ निकाले. जिन्हें अब अंतिम संस्कार के लिए उनके परिवारों को सौंप दिया गया है.
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