पटना : दलितों के वोट बैंक पर पकड़ बनाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार Nitish Kumar की पार्टी जनता दल यूनाइटेड 26 नवंबर को भीम संसद कार्यक्रम का आयोजन कर रही है. जदयू के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने इस कड़ी में दलित और महादलित को महागठबंधन के पक्ष में करने के लिए भीम संसद का आयोजन करने की बात कही है. हालांकि यह आयोजन पहले ही होने वाला था पर विधानसभा सत्र को ध्यान में रख कर इसकी तारीख बढ़ाकर 26 नवंबर रखी गई.
Nitish Kumar की भीम संसद पर BJP ने साधा निशाना
वेटेनरी ग्राउंड में रविवार को आयोजित होने वाले भीम संसद कार्यक्रम को लेकर बीजेपी नीतीश कुमार पर निशाना साध रही है. बीजेपी के प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में दलित के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को अपमानित करने का काम किया. ऐसे में दलित अब उनके झांसे में नहीं आने वाला है. मुख्यमंत्री को दलित पहचान चुका है. दलित के नेता जीतन राम मांझी, चिराग पासवान, पशुपति पारस सभी बीजेपी के साथ हैं.वहीं जातीय वोटों को अपने पाले में करने की होड़ हर पार्टी में दिख रही है.
क्या है रणनीति
नीतीश कुमार ने दलित वोट को ज्यादा से ज्यादा अपने पक्ष में करने के लिए उन्हें दलित और महादलित में बांटा. महादलित को विशेष सुविधा भी दी. दलित में पासवान को रखा गया था और बाकी महादलित में थे. बावजूद इसके दलित मतों पर जेडीयू की वो पकड़ नहीं बनी. बाद में पासवान को भी महादलित में शामिल करना पड़ा. इस कारण से पासवान जाति के लोग नीतीश कुमार से नाराज हुए. नीतीश कुमार को इसका काफी प्रतिरोध भी झेलना पड़ा. अब वो एक कोशिश अशोक चौधरी के बहाने करके दलितों के सामने अपना पक्ष रखना चाहते हैं.
वोटों की हो सकती है सेंधमारी
एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान और हम के संस्थापक जीतनराम मांझी के निशाने पर नीतीश कुमार हैं. ऐसे में कैसे इन वोट बैंक में सेंधमारी की जा सकती है.मायावती के आह्वान पर हरिजन वोट अभी भी BSP को पड़ते हैं.ऐसे में नीतीश कुमार एक सकारात्मक पक्ष रख कर दलितों को प्रभावित करने की कोशिश में हैं.वह लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं.नीतीश कुमार इस संसद के जरिए दलितों की सहानुभूति और समर्थन पाना चाहते हैं.