पटना : बिहार में भागलपुर के सुल्तानगंज अगवानी घाट पुल (Bhagalpur Bridge)के दोबारा ध्वस्त होने के बाद से ही पक्ष विपक्ष की तू तू-मैं मैं जारी है. बिहार सरकार के मंत्री तेज प्रताप यादव ने आज सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि पुल बीजेपी ने गिराया है. मंत्री तेज प्रताप यादव ने कह कि हम लोग पुल बनाते हैं और बीजेपी के लोग पुल गिरा रहे हैं.
बीजेपी वाले गिराये हैं पुल…हम पुल बना रहे हैं और बीजेपी वाले उसको गिरा रहे हैं- तेज प्रताप यादव, वन मंत्री, बिहार#TejPratapYadav #BiharBridgeCollapse #Bihar pic.twitter.com/oD7v8rgRvE
— THEBHARATNOW (@thebharatnow) June 6, 2023
तेजस्वी यादव का दावा- पुल को हम गिराने वाले थे ..
आपको बता दें कि इससे पहले रविवार को घटना वाले दिन भी बिहार सरकार में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव कह चुके है कि हम इस पुल को गिराकर दोबारा पुल बनाने की तैयारी कर रहे थे. बाकायदा तेजस्वी यादव ने IIT खड़गपुर की रिपोर्ट के साथ प्रेस कांफ्रेंस की और कहा कि सरकार इस पुल को गिरा कर पुल बनाने की तैयारी कर ही रही थी.
#WATCH जब इससे पहले भी पुल गिरने की घटना हुई थी, तब भी हम आशंका में थे कि हमें सभी सेगमेंट की जांच करानी चाहिए। रिव्यू मीटिंग भी की गई। IIT रुड़की ने 30 अप्रैल 2022 में पुल गिरने का कारण आंधी तूफान बताया। हमें इसके डिजाइन में पहले से ही फॉल्ट था, इसे पूरे तरीके से ध्वस्त करके फिर… https://t.co/jtcAMFN4RK pic.twitter.com/wLzZtqoDAA
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 4, 2023
पुल बनाने का ठेका लेने वाली कंपनी पर भ्रष्टाचार के आरोप
दरअसल गंगा नदी पर सुल्तानगंज और अगवानी घाट को जोड़ने वाला ये पुल शुरु से ही विवादों में रही है. जिस एचपी सिंगला कंपनी को इस पुल को बनाने का ठेका दिया गया है उस पर लगातार घटिया काम करने के आरोप लगते रहे हैं. सबसे बड़ा आरोप ये है कि, केवल कमिशन के बल पर ये कंपनी अपने लिए सरकारी प्रजेक्ट लेती रही है.
Just one word, corruption, explains why a $210-million bridge under construction has collapsed for a second time since 2022 in Bihar, setting back the "Clean Ganges" project. Bihar remains one of India's least-developed states due to endemic corruption. pic.twitter.com/eZzfIKaSiH
— Brahma Chellaney (@Chellaney) June 5, 2023
प्रतिबंधित एपपी सिंगला कंपनी को कैसे मिला ठेका?
पुल का टेंडर लेने वाली कंपनी को इसका ठेका उस समय दिया गया था जब ये कंपनी टेंडर के लिए लिस्टेड भी नहीं थी. कंपनी प्रतिबंधित थी इसके बावजूद कंपनी को इतना बड़ा कांट्रेक्ट दिया गया. सवाल ये भी है कि किसके दवाब में एक प्रतिबंधित कंपनी को इस पुल को बनाने का ठेका दिया गया.
अधिकारियों पर लगे थे भ्रष्टाचार को दबाने के आरोप
14 महीने पहल जब इसी पुल का हिस्सा गिरा था तब भी कई अधिकारी इस कंपनी के भ्रष्टाचार को दबाने में लगे हुए थे. 600 करोड़ से शुरु हुआ प्रोजेक्ट 17 सौ करोड़, तक पहुंच गया औऱ शायद इसे 27 सौ करोड़ तक पहुंचाने की अधिकारियों की मंशा थी. कहा जा रहा है कि कई अधिकारियों को इसके एवज में कमिशन मिल रहा था. इस पुल ने एक बार फिर से ध्वस्त होकर बिहार में नेताओं, अधिकारियों और ठेका लेने वाली कंपनियों के भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है.
सरकार की मंशा पर सवाल
पिछले साल जब पुल का हिस्सा हल्की सी हवा के गिर गया था, तब भी सरकार ने जांच कराने और दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही थी. जांच भी हुई और रिपोर्ट भी आई लेकिन सरकार ने तब तक रिपोर्ट को पब्लिक नहीं किया जब तक हादसा हो नहीं गया.
ऐसे में सरकार की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं. क्या सरकार किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रही थी. आखिर रिपोर्ट आने के बावजूद उसे पब्लिक क्यों नहीं किया गया और काम कर रही कंपनी से इसके बारे में बात क्यों नहीं की गई. एच पी सिंगला कंपनी पर सरकार ने कोई कार्रवाई क्यों नही की ?
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#WATCH | The bridge that collapsed yesterday had collapsed last year also. I have instructed officials to take strict action. It is not being constructed correctly that's why it is collapsing again & again. The department will look into it & action will be taken: Bihar CM Nitish… pic.twitter.com/Y8m5Zo5Kka
— ANI (@ANI) June 5, 2023
पक्ष और विपक्ष का आरोप प्रत्यारोप का खेल
बिहार में पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का खेल खेल रहा है. सत्तारुढ दल का आरोप है कि बीजेपी- जदयू की गठबंधन सरकार से समय में पुल की नींव रखी गई और इसका उद्धाटन खुद प्रधानमंत्री मोदी ने किया था. ऐसे में एपपी सिंगला कंपनी को इसका ठेका दिया गया था.
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कुल मिलाकर सवाल ये उठता है कि, अगर पुल में घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल हो रहा था, और सरकार के पास इसकी रिपोर्ट भी थी. इसके बावजूद सरकार किस बात की इंतजार कर रही थी?