जोशीमठ में हो रहे भूधसाव का अध्ययन कर लौटी विशेषज्ञों की टीम की रिपोर्ट आ गई है. इस रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करते हुए उत्तराखंड सरकार ने जोशीमठ (Joshimath) शहर के लगभग डेढ़ किलोमीटर के भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित कर दिया है. आपको बता दें अबतक जोशीमठ (Joshimath) के 603 घरों में दरार आई है. कई घर गिरने की कगार पर है. जिसे देखते हुए प्रशासन ने 6 और परिवारों को शिफ्ट किया है. इसके साथ ही अबतक कुल 44 परिवार प्रभावित क्षेत्र से शिफ्ट किए जा चुकें हैं.
पीएमओ में हुई भूधंसाव पर हाई लेवल समिक्षा बैठक
उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) में हो रही भू-धंसाव को लेकर प्रधानमंत्री ने एक समीक्षा बैठक की. रविवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई बैठक में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा, पीएमओ में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा, केंद्र सरकार के अन्य शीर्ष अधिकारियों के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्यों भी शामिल हुए.
इसके साथ ही बैठक में राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जोशीमठ के जिला अधिकारी को भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जोड़ा गया.
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पीएम ने की सीएम धामी से बात
वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोशीमठ की स्थिति के बारे में उनसे फोन कर के जानकारी ली. सीएण ने कहा कि पीएम ने जोशीमठ (Joshimath) में चल रहे राहत और बचाव कार्यों के बारे में भी पूरी जानकारी ली. मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उनके साथ विस्तार पूर्वक चर्चा की और मुश्किल की इस धड़ी में प्रदेश सरकार को हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया.
जोशीमठ के प्रभावित इलाकों का होगा जियो टेक्निकल व जियोफिजिकल अध्ययन
इसके साथ ही जोशीमठ (Joshimath) में हो रहे भूधसाव का लंबे समय के लिए समाधान निकाला जा सके इसके लिए वहां का जियो टेक्निकल व जियोफिजिकल अध्ययन कराया जाएगा. फिलहाल जिन क्षेत्रों के घरों में दरारें नहीं पड़ी वहां भी भवन निर्माण के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी. इसके साथ ही सरकार ने इस इलाके में हाइड्रोलाजिकल अध्ययन कराने का भी निर्णय लिया है.
सचिव आपदा प्रबंधन डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की से जोशीमठ (Joshimath) के प्रभावितों के पुनर्वास के लिए फैब्रिकेट घरों के निर्माण के बारे में प्रस्ताव भी मांगा गया है. उन्होंने बताया कि जोशीमठ के प्रभावितों के पुनर्वास हेतु पीपलकोटी, गौचर, कोटीकालोनी समेत कुछ अन्य स्थान चयनित किए गए हैं.
इसके साथ ही भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण को इन क्षेत्रों का जियो अध्ययन करने के लिए लिखा गया है.
सेना अपने जवानों को जोशीमठ के प्रभावित इलाकों से कर रही है शिफ्ट
आपको बता दें जोशीमठ (Joshimath) भारत-चीन सीमा पर बसा आखिरी शहर है. यहां की नीति और माणा घाटियां भारत-तिब्बत (चीन के कब्जे वाला तिब्बत) सीमा से जुड़ती हैं. सेना की जो बटालियन यहां तैनात है उनके कई जवान जोशीमठ में किराए के मकान में रहते हैं. अब सेना भी अपने इन जवानों को किराए के घर से अपने कैंपों में शिफ्ट कर रही है.
आइटीबीपी भी अपनी कॉलोनी खाली कर रही है
जोशीमठ (Joshimath) में भूधसाव का क्षेत्र अब सेना और आईटीबीपी के कैंप की ओर भी बढ़ने लगा है. यहां कैंप की सड़क के साथ ही सीमा को जोड़ने वाला मलारी हाईवे भी धंस गया है. ये हाईवे सेना के आवागमन व रसद के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
भू-धसाव का क्षेत्र बढ़ने के बाद सेना, आइटीबीपी, एनटीपीसी व जेपी कंपनी के परिसर के कुछ एक हिस्से भी भूधंसाव की जद में आ गए हैं. इसके चलते सेना ने अपने आवासीय परिसर को खाली कर इसे अपने ही परिसर के सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया है. आइटीबीपी तो अपनी कॉलोनी खाली कर ही रही है, जेपी कंपनी ने भी अपने कुछ आवास खाली कराये है. बताया जा रहा है कि अब एनटीपीसी भी इलाका खाली करने की तैयारी कर रही है.