UP Digital arrest : डिजिटल अरेस्ट मामले में उत्तर प्रदेश मे पहली बार किसी अभियुक्त को सजा हुई है. एक मेडिकल अधिकारी के साथ ठगी करने के मामले में आरोपी को अदालत ने को 7 साल के कठोर दंड़ की सजा सुनाई है. आरेपी ने नकली सीबीआई अफसर बनकर केजीएमयू की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सौम्या गुप्ता से करीब 85 लाख रुपयों की ठगी कर की थी, और उन्हें 10 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट करdigital arrest caseके धमकाता रहा था.
UP Digital arrest : 14 महीने में पूरी हुई सुनवाई
मामला लखनउ का है, जब देवाशीष नाम के व्यक्ति ने नकली सीबीआई अफसर बन कर केजीएमयू की सिनियर डॉक्टर सौम्या गुप्ता से 85 लाख रुपये की ठगी कर ली थी. इस मामले में साइबर कोर्ट ने आरोपी देवाशीष के उपर अपराध सिद्ध होने के बाद उसे दोषी करार देते हुए ये सजा सुनाई है.
फैसला स्पेशल सीजेएम कस्टम अमित कुमार ने सुनाया. इस पूरे मामले की जांच लखनऊ साइबर थाने ने की और इंस्पेक्टर ब्रजेश कुमार यादव ने साक्ष्य जुटाये. साइबर क्राइम के इतिहास में ये देश का पहला मामला है,जिसमें डिजिटल अरेस्ट के आरोपी को मात्र 14 महीने के भीतर कोर्ट से सजा हुई है.
कैसे दिया वारदात को अंजाम ?
मामले के बारे में अभियोजन अधिकारी (Prosecution Officer) मषिन्द्र ने बताया कि ये मामला 15 अप्रैल 2024 का है, जब डॉ. सौम्या गुप्ता केजीएमयू में ड्यूटी पर थीं,तभी आरोपी देवाशीष ने उन्हें कॉल किया और खुद को कस्टम विभाग का अधिकारी बताया. आरोपी देवाशीष डॉ. सौम्या से कहा कि वो दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से बोल रहा है.
उसने डॉक्टर सैम्या को कहा कि उनके पास डॉ. गुप्ता के नाम से एक कार्गो बुक हुआ है, जिसमें नकली पासपोर्ट, एटीएम कार्ड और 140 ग्राम एमडीएम (प्रतिबंधित नशीला पदार्थ) मिला है. फिर देवाशीष ने फोन कॉल एक दूसरे व्यक्ति के पास फॉरवर्ड कर दिया , उस व्यक्ति ने खुद को सीबीआई का अफसर बताया और डॉ. गुप्ता को खूब धमकाया.यहां तक कहा कि फर्जी पासपोर्ट के मामले में उन्हें 7 साल की तक की जेल हो सजा हो सकती है. इस अचानक आये फोन और सामने से बात कर रहे लोगों के रौबिले बर्ताव से डर कर उन्होने डॉ. सौम्या ने दोनों कॉलर्स को अपने बैंक डिटेसल्स समेत कई पर्सनल जानकारियां भी दे दी.
इन दोनों आरोपियों ने डॉ. सौम्या को अगले दस दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और उनके अलग अलग खातों से 85 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए.
बाद में जब डॉ. सैम्या ने मामला साइबल सेल मे दर्ज कराया तो मामले की पूरी तफ्तीश हुई, जिसमें आरोपी की पहचान देवाशीष के रूप में हुई. देवाशीष गिरफ्तार किया गया. तमाम सबूतों के आधार पर साइबर कोर्ट ने आरोपी देवाशीष को दोषी करार देते हुए जुर्माने के साथ 7 साल की सजा सुनाई. अभियुक्त देवाशीष उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का रहने वाला है.