Sunday, July 6, 2025

25 जून को बीजेपी मना रही है संविधान हत्या दिवस ,पीएम मोदी ने लिखी किताब ‘द इमरजेंसी डायरी’

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Emergency 50 Years :  आज 25 जून 2025 के दिन को भारतीय जनता पार्टी संविधान हत्या दिवस के रुप में मना रही है. ये वही दिन है जब आज से 50 साल पहले प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई थी. इस दिन को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर कई ट्टीट किये हैं जिसमें उस दौर को याद किया है .

Emergency 50 Years : पीएम मोदी ने लोकतंत्र के प्रति दोहराई अपनी प्रतिबद्धता 

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया है जिसमें कहा है कि “हम अपने संविधान में सिद्धांतों को मजबूत करने और एक विकसित भारत के अपने सपने को साकार करने के लिए मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराते हैं. हम प्रगति की नई ऊंचाइयों को छूएं और गरीबों और दलितों के सपनों को पूरा करें.”

दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में गृहमंत्री शाह करेंगे संबोधन  

आज देश भर में भाजपा संविधान हत्या दिवस के दिन के तौर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है. दिल्ली के  त्यागराज स्टेडियम में गृहमंत्री अमित शाह के साथ केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया.

पीएम मोदी ने आपात काल के दौर पर लिखी किताब – The Emergency Diaries

25 जून 1975 को लागू किये गये आपात काल के दौरान अपने अनुभवों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने  एक पुस्तक भी लिखी है , जिसके टाइटल है – द इमरजेंस डायरी (The Emergency Diaries) . पीएम मोदी ने अपनी इस किताब के बारे में खुद सोशल मीडिया पर जानकारी है. दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में गृहमंत्री शाह ने किताब – द इमरजेंसी डायरी का विमोचन किया. इस मौके पर गृहमंत्री शाह ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि – “इसी 25 साल के युवा (श्री नरेन्द्र मोदी) ने उस वक्त कांग्रेस पार्टी की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तानाशाही विचारों का घर-घर जाकर, गांव-गांव जाकर विरोध किया. परिवारवाद को प्रस्थापित करने के लिए इमरजेंसी लगाई गई थी, उसी परिवारवाद को उस व्यक्ति (श्री नरेन्द्र मोदी) ने 2014 में पूरे देश से उखाड़ कर फेंक दिया.”

Union Home Minister Amit Shah
Union Home Minister Amit Shah

 प्रधानमंत्री मोदी ने देश में आपातकाल के दौर को याद करते हुए कहा है कि – 

“आज भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक, आपातकाल लागू होने के पचास साल पूरे हो गए हैं. भारत के लोग इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाते हैं. इस दिन, भारतीय संविधान के मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की आज़ादी को ख़त्म कर दिया गया और कई राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया. ऐसा लग रहा था जैसे उस वक्त सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को गिरफ़्तार कर लिया हो.”

पीएम मोदी ने आज एक के बाद एक कई ट्वीट किये हैं, जिसमें संविधान की हत्या के उस दिन को याद करते हुए लिखा है कि “कोई भी भारतीय कभी नहीं भूल पाएगा कि किस तरह से हमारे संविधान की भावना का हनन किया गया, संसद की आवाज़ को दबाया गया और अदालतों को नियंत्रित करने की कोशिश की गई. 42वां संशोधन उनकी हरकतों का एक प्रमुख उदाहरण है. ग़रीबों, हाशिए पर पड़े लोगों और दलितों को ख़ास तौर पर निशाना बनाया गया, यहां तक कि उनकी गरिमा का अपमान भी किया गया.”

मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था…

पीएम मोदी ने आपातकाल के समय को याद करते हुए अपने अनुभवों के बारे में लिखा है कि “जब आपातकाल लगाया गया था, तब मैं आरएसएस का युवा प्रचारक था. आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए सीखने का एक अनुभव था. इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को बचाए रखने की अहमियत को फिर से पुष्ट किया. साथ ही, मुझे राजनीतिक स्पेक्ट्रम के सभी लोगों से बहुत कुछ सीखने को मिला. मुझे खुशी है कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने उन अनुभवों में से कुछ को एक किताब के रूप में संकलित किया है, जिसकी प्रस्तावना श्री एच.डी. देवेगौड़ा जी ने लिखी है, जो खुद आपातकाल विरोधी आंदोलन के एक दिग्गज थे.”

प्रधानमंत्री मोदी की लोगों से अपील

पीएम मोदी ने देश से अपील की है कि जिन लोगों ने इमरजेंसी का दौर देखा और इस काल की दौरान पीड़ा सही है,ऐसे लोग अपने अनुभवों के बारे में सोशल मीडिया पर लिखें ताकि देश की युवा पीढ़ी में 1975 से 1977 के तक के शर्मनाक समय के बारे में जागरूकता पैदा हो.

  पीएम मोदी ने कहा कि “हम आपातकाल के ख़िलाफ़ लड़ाई में लड़ने वाले हर व्यक्ति को सलाम करते हैं. इस लड़ाई के लिए पूरे देश से और अलग-अलग  क्षेत्रों और विचारधाराओं के लोग निकल कर विरोध करने आये थे,और एक ही मकसद के लिए काम किया. भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा करना और उन आदर्शों को बनाए रखना, जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन समर्पित किया. यह उनका सामूहिक संघर्ष था, जिसने सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र को बहाल करना पड़ा और नए चुनाव कराने पड़े, जिसमें वे बुरी तरह हार गए.”

 

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