नई दिल्ली। तिब्बत चुनाव आयोग (Tibet Election Commission) ने मंगलवार को निर्वासित तिब्बत सरकार (tibet government) और निर्वासित तिब्बत संसद के चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा की। अधिकारियों ने 18वें चुनाव को निष्पक्ष ढंग से संपन्न कराने की अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की। उन्होंने बताया कि चुनाव हर पांच साल में एक बार होते हैं। सिक्योंग (राजनीतिक नेता) और निर्वासित तिब्बती संसद के चुनाव दो चरणों में होंगे। पहला चरण 1 फरवरी, 2026 को और दूसरा चरण 26 अप्रैल, 2026 को होगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, यह बताया गया कि दुनिया भर में निर्वासित तिब्बती लोग चुनाव के पहले चरण में अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को नामित करेंगे और अंतिम चुनाव के लिए शॉर्टलिस्ट का निर्धारण करेंगे। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को नैतिक आचार संहिता की भी घोषणा की।
बता दें कि 17वीं निर्वासित तिब्बत संसद का दसवां सत्र 18 सितंबर को उत्तर भारतीय पहाड़ी शहर धर्मशाला में संपन्न हुआ। डोल्मा त्सेरिंग ने पहले कहा था कि सितंबर में चले सत्र के दौरान तिब्बत एकजुटता प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें तिब्बत के अंदर गंभीर स्थिति पर चर्चा की गई थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि तिब्बत और तिब्बत के अंदर के लोग अधिनायकवादी शासन के तहत किस तरह से पीड़ित हैं और साथ ही हमने दलाई लामा के लिए भी कृतज्ञता का संकल्प लिया, क्योंकि हम उनके 90वें जन्मदिन को करुणा वर्ष के रूप में मना रहे हैं।
डोल्मा त्सेरिंग ने आगे कहा कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम संपन्न तिब्बती समुदाय के लिए उनके योगदान को स्वीकार करें, जो हमारे पास है, जहां हमने वास्तव में शून्य से शुरुआत की थी, और हमने निर्वासन में यहां सब कुछ बनाया, जिसे तिब्बत में नष्ट किया जा रहा है। यह हमारे सबसे महत्वपूर्ण प्रस्तावों में से एक है। विभिन्न विभागों के कामकाज, सांसदों, पुरुष और महिला की परवाह किए बिना, सभी ने बहुत सक्रिय भागीदारी की।