Thursday, December 19, 2024

India China Border: देपसांग, डेमचोक में सैनिकों की वापसी हुई पूरी, जल्द शुरू होगी पेट्रोलिंग

India China Border: भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर देपसांग और डेमचोक टकराव बिंदुओं से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है. दोनों देशों के सैनिक अब अपनी-अपनी जगह खाली करने और बुनियादी ढांचे को हटाने की प्रक्रिया की पुष्टि कर रहे हैं.
भारतीय सेना के सूत्रों ने एएनआई को बताया कि दोनों पक्षों की ओर से जल्द ही समन्वित गश्त शुरू की जाएगी. साथ ही ग्राउंड कमांडर बातचीत जारी रखेंगे. दोनों पक्ष कल दिवाली की मिठाइयों का आदान-प्रदान भी करेंगे.

India China Border: 21 अक्तूबर को हुआ था दोनों देशों में समझौता

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 21 अक्टूबर को घोषणा की कि नई दिल्ली और बीजिंग पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर शेष घर्षण बिंदुओं पर पीछे हटने के लिए एक समझौते पर पहुँच गए हैं.
समझौते के बाद, दोनों देशों ने 23 अक्टूबर को डेमचोक और देपसांग मैदानों में दो घर्षण बिंदुओं पर सैनिकों को पीछे हटाना शुरू कर दिया.

चीनी सेना के आक्रमण के बाद तनाव पूर्ण हो गए थे संबंध

अप्रैल 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा, वास्तविक सीमा पर चीनी सैनिकों की आक्रामकता के कारण भारत और चीन के संबंध खराब हो गए. 15 जून, 2020 को गलवान घाटी में चीनी आक्रमण को विफल करने के लिए ड्यूटी के दौरान 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद संबंध सबसे खराब हो गए.
नई दिल्ली का कहना है कि चीन के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध तभी सामान्य होंगे जब एलएसी पर स्थिति मई 2020 से पहले जैसी हो जाएगी.

प्रधानमंत्री मोदी ने शी जिनपिंग से क्या कहा?

पिछले सप्ताह भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में आई नरमी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की.
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में कहा, “यह पांच साल बाद हमारी पहली औपचारिक बैठक है. महामहिम, हम सीमा पर हुए समझौतों का स्वागत करते हैं. सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखना हमारी प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए, और आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे संबंधों का आधार बनी रहनी चाहिए. मुझे पूरा विश्वास है कि हम खुले दिल से बातचीत करेंगे और हमारी चर्चाएँ रचनात्मक होंगी.

पीछे हटने की प्रक्रिया में क्या शामिल है?

भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने दोनों टकराव बिंदुओं से अपने अग्रिम तैनात सैनिकों और उपकरणों को वापस बुला लिया है. उन्होंने चार साल तक चले गतिरोध के दौरान बनाए गए अस्थायी ढांचों को भी ध्वस्त कर दिया है.
भारतीय सैनिक उन क्षेत्रों में अपनी गश्त फिर से शुरू करेंगे, जो पीएलए की मौजूदगी के कारण कटे हुए थे. हालांकि, देपसांग और डेमचोक में पीछे हटने से बफर जोन नहीं बनेंगे.
भारत और चीन ने गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) क्षेत्रों से पीछे हटकर बफर जोन बनाए हैं.
हिंदुस्तान अखबार से बातचीत में सैन्य संचालन के पूर्व महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (सेवानिवृत्त) ने बताया कि देपसांग और डेमचोक में पीछे हटने से दोनों पक्षों को समन्वित तरीके से और सहमत आवृत्ति और ताकत (गश्त करने वाले दलों की) में गश्त करने में सुविधा होगी.

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