यूपी के चर्चित कवयित्री मधुमिता हत्या कांड के दोषी पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को अच्छे आचरण के चलते जेल से रिहा किया जा रहा है. यूपी सरकार के इस आदेश के खिलाफ मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है. जिसपर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करते हुए रिहाई के फैसले को बरकरार रखा है. हलांकि कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है. कोर्ट के फैसले के बाद निधि शुक्ला ने कहा कि, “मैं यूपी के राज्यपाल और यूपी के मुख्यमंत्री से उनकी(त्रिपाठी दंपत्ति) रिहाई रोकने का अनुरोध करती हूं…RTI आवेदनों में कहा गया है कि अमरमणि वास्तव में कभी जेल नहीं गए. वह कुछ भी कर सकता है…अगर उसने मेरी हत्या कर दी तो इस केस की पैरवी करने वाला कोई नहीं बचेगा?…यूपी में कैसी कानून-व्यवस्था है?”
#WATCH मैं यूपी के राज्यपाल और यूपी के मुख्यमंत्री से उनकी(त्रिपाठी दंपत्ति) रिहाई रोकने का अनुरोध करती हूं…RTI आवेदनों में कहा गया है कि अमरमणि वास्तव में कभी जेल नहीं गए। वह कुछ भी कर सकता है…अगर उसने मेरी हत्या कर दी तो इस केस की पैरवी करने वाला कोई नहीं बचेगा?…यूपी में… pic.twitter.com/d36ZX2BHSi
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 25, 2023
उत्तर प्रदेश कारागार प्रशासन ने किया जेल से रिहाई का आदेश जारी
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उत्तर प्रदेश कारागार प्रशासन विभाग ने कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को रिहा करने का आदेश जारी किया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, राज्यपाल की अनुमति से जेल प्रशासन एवं सुधार विभाग ने इसका आदेश जारी कर दिया है. फिलहाल अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि दोनों गोरखपुर जेल में बंद हैं और मुचलका जमा करने पर जेल से रिहा हो जायेंगे.
अच्छे आचरण के चलते हो रही है रिहाई-जेल मंत्री
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, जेल अधिकारियों के अनुसार, पति और पत्नी ने 20 साल से अधिक जेल में काटे और उन्हें रिहा करने का आदेश जेल में ‘अच्छे व्यवहार और शांति बनाए रखने’ के कारण आया है. 2003 में उन्हें दोषी ठहराया गया और 2007 में देहरादून अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
उत्तर प्रदेश के जेल मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने बी कहा कि, “जेल से कैदियों की रिहाई जेल की नीतियों और जेल के कैदियों के आचरण पर आधारित होती है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद ही किसी कैदी की रिहाई के आदेश दिए जाते हैं”
#WATCH जेल से कैदियों की रिहाई जेल की नीतियों और जेल के कैदियों के आचरण पर आधारित होती है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद ही किसी कैदी की रिहाई के आदेश दिए जाते हैं: कवयित्री मधुमिता हत्याकांड में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी की रिहाई पर उत्तर प्रदेश के… pic.twitter.com/gwdAQ7PnTY
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इससे समाज में गलत संदेश जाएगा- कांग्रेस
कवयित्री मधुमिता हत्याकांड में पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी की रिहाई पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि, “जघन्य अपराध में शामिल लोगों को रिहा नहीं किया जाना चाहिए. इससे समाज में गलत संदेश जाएगा…मैं इस कदम की निंदा करता हूं…बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगाने वाली पार्टी महिलाओं के खिलाफ अपराध में शामिल लोगों को रिहा कर रही है…दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों”
#WATCH जघन्य अपराध में शामिल लोगों को रिहा नहीं किया जाना चाहिए। इससे समाज में गलत संदेश जाएगा…मैं इस कदम की निंदा करता हूं…बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगाने वाली पार्टी महिलाओं के खिलाफ अपराध में शामिल लोगों को रिहा कर रही है…दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए… pic.twitter.com/054FtPmCKF
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क्या है मधुमिता शुक्ला मामला
2003 में 9 मई को लखनऊ के पेपर मिल कॉलोनी में कवयित्री मधुमिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उनकी मौत के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने की थी. देहरादून के विशेष न्यायाधीश/सत्र न्यायाधीश ने मधुमिता की हत्या के आरोप में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. कहा जाता है कि हत्या के समय मधुमिता अमरमणि त्रिपाठी के बच्चे की मां बनने वाली थी.
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