भारत में मंदिरों का धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत ज्यादा है. हर मंदिर की अपनी विशेषता और उसकी एक विशेष पहचान होती है. मंदिरों की छतों पर अक्सर एक झंडा लहराता हुआ दिखाई देता है, लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि यह झंडा हमेशा त्रिभुजाकार क्यों होता है? यह सवाल न सिर्फ जिज्ञासा बढ़ाता है, बल्कि इसके पीछे छिपे गहरे धार्मिक और वास्तुशास्त्र संबंधी कारण भी हमें अवगत कराते हैं. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
आध्यात्मिक प्रतीक के रूप में त्रिभुज
त्रिभुज का आकार हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में एक खास प्रतीक माना जाता है. यह आकार शक्ति, दिव्यता और ऊर्जा का प्रतीक है. तंत्र-मंत्र, योग, और अन्य आध्यात्मिक विधाओं में त्रिभुज का विशेष स्थान है. यह आकार ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करता है और सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाता है. मंदिरों के ऊपर इसे इसलिए स्थापित किया जाता है ताकि यह देवताओं की शक्तियों का प्रतीक बने और वहां उपस्थित लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डाले.
वास्तुशास्त्र का दृष्टिकोण
वास्तुशास्त्र के अनुसार, त्रिभुज का आकार सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है. वास्तु में यह माना जाता है कि त्रिभुजाकार संरचनाएं संरक्षित और संतुलित ऊर्जा का प्रतीक होती हैं. जब यह आकार मंदिर की छत पर लहराता है, तो यह मंदिर के भीतर की ऊर्जा को सकारात्मक और संतुलित बनाए रखने में मदद करता है. इस प्रकार यह आकार न सिर्फ धार्मिक प्रतीक है, बल्कि वास्तुशास्त्र के अनुसार भी इसे एक शक्तिशाली और शुभ चिन्ह माना जाता है.
शक्ति और विजय का प्रतीक
त्रिभुज को शक्ति और विजय का प्रतीक भी माना जाता है. जब इसे मंदिर के शिखर पर लहराने के लिए लगाया जाता है, तो यह दर्शाता है कि यह स्थान दिव्य शक्ति से परिपूर्ण है. यह झंडा उन शक्तियों और आशीर्वादों का प्रतीक होता है जो ईश्वर और देवी-देवताओं से प्राप्त होते हैं. मंदिर का शिखर उस स्थान को प्रतीकात्मक रूप से उन विजय और शक्तियों के साथ जोड़ता है जो ईश्वर का आशीर्वाद लेकर वहां निवास करती हैं.
धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण
मंदिरों के ऊपर त्रिभुजाकार झंडा सिर्फ एक वास्तु या प्रतीक नहीं होता, बल्कि यह एक गहरी श्रद्धा और सम्मान का संकेत भी होता है. यह उन देवताओं या देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, जिनकी पूजा उस मंदिर में होती है. त्रिभुज का आकार यह दर्शाता है कि यह स्थान ईश्वर से जुड़ा हुआ है और यहां पर पुण्य और शुभता का वास है. यह एक धार्मिक प्रतीक के रूप में मंदिर के शिखर पर लहराता रहता है और वहां आने वाले श्रद्धालुओं को विश्वास और शांति प्रदान करता है.