ऐसी चर्चा है कि मंगलवार को नई संसद के पहले कामकाजी दिन में सरकार लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश कर सकती है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी इसे पेश करेंगी. सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लंबे समय से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसे संविधान (एक सौ आठवां संशोधन) विधेयक, 2008 भी कहा जाता है. यह कानून, जो लोकसभा और राज्य में महिलाओं के लिए सभी सीटों में से एक तिहाई आरक्षित करेगा.
कांग्रेस ने ठोका महिला आरक्षण बिल पर दावा
मंगलवार को संसद पहुंची कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक को “अपना” कहा. सोनिया गांधी से जब पत्रकारों ने कहा कि संसद में महिला आरक्षण बिल पेश हो सकता है तो उन्होंने कहा, “यह हमारा है. वो हमारा बिल है”
#WATCH यह हमारा है, अपना है: महिला आरक्षण बिल पर कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, दिल्ली pic.twitter.com/cnMoUValYT
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 19, 2023
सोनिया ने क्यों कहा महिला बिल को अपना
असल में कांग्रेस जिस महिला आरक्षण विधेयक का श्रेय लेने की कोशिश कर रही है, उसे वो 2010 में हंगामे के बीच राज्यसभा में पास करा चुकीं है. तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने लोकसभा में विधेयक को आगे नहीं बढ़ाया क्योंकि राष्ट्रीय जनता दल और समाजवादी पार्टी जैसे उसके सहयोगियों ने कोटा के भीतर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए कोटा की मांग की थी.
2018 में कांग्रेस ने की थी बिना शर्त समर्थन की पेशकश-राहुल
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 2018 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा अपना एक पत्र भी साझा किया. इस पत्र में राहुल ने महिला आरक्षण बिल के पारित होने के लिए बिना शर्त समर्थन की पेशकश की गई थी.
राहुल ने लिख,“हमारे प्रधान मंत्री कहते हैं कि वह महिला सशक्तिकरण के लिए योद्धा हैं? उनके लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठने, अपनी बात कहने और महिला आरक्षण विधेयक को संसद से पारित कराने का समय आ गया है. कांग्रेस उन्हें बिना शर्त समर्थन की पेशकश करती है. प्रधानमंत्री को लिखा मेरा पत्र संलग्न है. ”
Our PM says he’s a crusader for women’s empowerment? Time for him to rise above party politics, walk-his-talk & have the Women’s Reservation Bill passed by Parliament. The Congress offers him its unconditional support.
Attached is my letter to the PM. #MahilaAakrosh pic.twitter.com/IretXFFvvK
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 16, 2018
इसके साथ ही कांग्रेस का कहना है कि पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने पहली बार मई 1989 में पंचायतों और नगर पालिकाओं (नगर परिषदों) में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था, लेकिन वे राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था.
कोटा के भीतर कोटा पर कायम आरजेडी
हलांकि कांग्रेस महिला आरक्षण बिल का पूरा श्रेय लेना चाहती है लेकिन उसकी सहयोगी आरजेडी अब भी बिल में कोटे में कोटा की मांग पर कायम है. आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा, “कैबिनेट बैठक में कोई ब्रीफिंग नहीं हुई…महिला आरक्षण बिल को लेकर अगर सरकार की नीयत साफ है तो हम इसमें और स्पष्टता चाहते हैं. लालू यादव के समय से हमारी पार्टी का मानना है कि अगर आपका विचार प्रतिनिधित्व बढ़ाने का है तो यह तब तक संभव नहीं है जब तक आप एससी, एसटी और ओबीसी की महिलाओं के लिए कोटा नहीं देते. कोटे के भीतर एक कोटा होना जरूरी है. अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो हमें सामाजिक न्याय पर लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी.”
#WATCH कैबिनेट बैठक में कोई ब्रीफिंग नहीं हुई…महिला आरक्षण बिल को लेकर अगर सरकार की नीयत साफ है तो हम इसमें और स्पष्टता चाहते हैं। लालू यादव के समय से हमारी पार्टी का मानना है कि अगर आपका विचार प्रतिनिधित्व बढ़ाने का है तो यह तब तक संभव नहीं है जब तक आप एससी, एसटी और ओबीसी की… pic.twitter.com/O7s1CMC7Tj
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 19, 2023
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