Friday, November 22, 2024

Ambedkar Jayanti: बाबा साहेब की दिलाई शपथ को हिंदू विरोधी मानने वाली बीजेपी, उनकी जयंती पर है नतमस्तक

बदलते समय के साथ बीजेपी भी बहुत तेजी से बदल रही है और इसी लिए वो तमाम राजनीतिक दलों से आगे है. बदलने के इस दौर में वो अपने आदर्श,अपने आइडियोलॉजी तक को बदलने से परहेज नहीं करती. ऐसा नहीं है कि सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी ही जैसा देश वैसा भेस के मंत्र को मानते हैं. बलकि पूरी पार्टी समय, जरूरत और माहौल के हिसाब से अपना चाल, चेहरा और चरित्र बदलने में माहिर है.

बीजेपी ने अबतक तीन बार चेहरे बदले हैं

बीजेपी का चाल,चेहरा और चरित्र वक्त के हिसाब से बदलता रहता है.ध्यान से देखें तो बीजेपी अपने अभी तक की राजनीतिक यात्रा में अब तक तीन चेहरे बदल चुकी है. पहला अटल बिहारी वाजपेयी का चेहरा जो सौम्य और धर्मनिरपेक्ष था. दूसरा चेहरा बने आडवाणी जो कट्टर हिंदुत्व का चेहरा थे और अब तीसरा चेहरा हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो कट्टर हिंदुत्व के साथ-साथ उग्र हिंदुत्व का भी प्रतिनिधित्व करते हैं. पार्टी की राजनीति भी इन तीन चेहरों के साथ अपनी धुरी बदलती रही है.

ब्राह्मणों की पार्टी का दलित प्रेम

ये तो हुई पार्टी के चेहरे की बात लेकिन आज बीजेपी के जिस बड़े बदलाव की हम चर्चा कर रहे हैं वह उसकी राजनीति से जुड़ा है. 14 अप्रैल यानी बाबा साहब अंबेडकर के जन्मदिन पर जिस तरह बीजेपी के नेता, मुख्यमंत्री और यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी भी संविधान के रचइता को नमन कर रहे हैं उसे देखकर कोई नहीं कह सकता है कि बीजेपी कभी ब्राह्मणों की पार्टी कहलाया करती थी. आरएसएस जो इसका मुख्य संगठन है, उसका नेता कभी कोई दलित तो दूर ब्राह्मण को छोड़ कर कभी किसी दूसरी जाति का व्यक्ति नहीं बन पाया. वही पार्टी बीजेपी आज अंबेडकर के जन्मदिन पर सामाजिक न्याय सप्ताह मना रही है. प्रधानमंत्री मोदी सुबह सबसे पहले ट्वीट कर कहते हैं कि, “समाज के वंचित और शोषित वर्ग के सशक्तिकरण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले पूज्य बाबा साहेब को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। जय भीम.”

सावरकर से बाबा साहेब तक बीजेपी का सफर

ये वही अंबेडकर हैं जिनके संविधान से बीजेपी को कई दिक्कत है. वो बीजेपी जो एससी-एसटी आरक्षण के खिलाफ सड़क पर उतरी थी और आज भी आए दिन उनके नेता आरक्षण को समाज को बांटनेवाला और गैरज़रूरी बताते रहते हैं.

वैसे बीजेपी अपने आदर्श बदलने में भी माहिर है. 2014 से पहले तक वीर सावरकर और नाथू राम गोडसे को अपना आदर्श मानने वाली बीजेपी 2014 में सरदार पटेल की भक्त हो गई. भक्ति साबित करने के लिए गुजरात में सबसे बड़ी सरदार की मूर्ति बनवाई. इसके साथ ही सरदार पटेल के साथ पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कितनी नाइंसाफी की, इसका जोर शोर से प्रचार किया. लेकिन बीजेपी को तब अचानक सरदार पटले को छोड़ना पड़ा जब कांग्रेस ने पूरे देश को ये बताना शुरु कर दिया कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर बैन लगाने वाले कोई और नहीं सरदार पटेल ही थे.

फिर 2019 आते-आते सुभाष चंद्र बोस बीजेपी के आदर्श बन गये. सुभाषचंद्र बोस को भी नेहरु के सामने खड़ा करने की कोशिश हुई. सेंट्रल विस्टा में सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाने को ऐसे पेश किया गया जैसे नेहरु ने जानबूझकर सुभाष चंद्र बोस की स्मृतियों को मिटाने की कोशिश की हो. लेकिन बोस की बेटी के प्रधानमंत्री को धन्यवाद कहने के बाद भी बोस बनाम नेहरु मुद्दा चल नहीं सका.

दलित वोट के लिए बीजेपी को याद आए अंबेडकर

पटेल और सुभाष चंद्र बोस उस समय बीजेपी के आदर्श थे जब राम मंदिर मुद्दा गरम था लेकिन अब मंदिर बनकर पूरा होने वाला है. ऐसे में हिंदू एकता में दलितों को अपने साथ बनाए रखने के लिए अंबेडकर की जरूरत है. ऐसे में इस साल तो 14 अप्रैल को बीजेपी सभी प्रदेशों में ब्लॉक स्तर तक अंबेडकर जयंती समारोह में शिरकत कर रही है. कई राज्यों में इस पूरे सप्ताह को बीजेपी समानता और समरसता सप्ताह के रुप में मना रही है. 5 मई तक वो बाबा साहेब को याद करेगी और दलितों में जाकर बाबा साहेब के किए कामों और उनकी कही बातों का प्रचार करेगी.

बाबा साहेब की दिलाई शपथ को हिंदू विरोधी बताया था बीजेपी ने

वैसे यहां ये जरूर सोचने की बात है कि जो बीजेपी खुद बाबा साहेब के काम और विचार को नहीं जानती वो कैसे उनका प्रचार करेगी. आपको याद होगा गुजरात चुनाव से पहले दिल्ली में बीजेपी के तब के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के एक ट्विट से तहलका मच गया था. बीजेपी के सांसद मनोज तिवारी ने एक वीडियो शेयर कर आप पार्टी के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम पर आरोप लगाया था कि वो हिंदू विरोधी हैं. मनोज तिवारी ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा था “इतना हिंदू विरोधी क्यों है AAP ? हिंदू धर्म के ख़िलाफ़ शपथ ले भी रहे हैं और दिला भी रहे हैं ये aap के मंत्री #HinduVirodhikejriwal”
असल में बीजेपी सांसद मनोज तिवारी जिस शपथ को हिंदु विरोधी और आप से जोड़ रहे थे दरअसल ये वो 22 शपथ हैं जो संविधान के रचयिता बाबा साहब अंबेडकर ने खुद भी ली थी और अपने साढ़े तीन लाख अनुयायियों को भी दिलाई थी.
अब जो बीजेपी बाबा साहेब की दिलाई शपथ को हिंदू विरोधी मानती है वही उनकी जयंती पर नतमस्तक है.

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