Friday, November 22, 2024

CM नीतीश की ‘समाधान यात्रा’ से किसका होगा समाधान?

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 5 जनवरी से समाधान यात्रा पर हैं. इसकी शुरूआत उन्होंने महात्मा गांधी की आंदोलन भूमि चंपारण से कर दी है. यानी पूरे 25 दिन तक सीएम नीतीश घूम घूम कर जनता की समस्या का समाधान करेंगे. मतलब ये कि पटना में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चार टर्म से बैठे नीतीश कुमार जो काम नहीं कर पाए अब वही काम घूम-घूम कर करेंगे और वो भी मात्र 25 दिनों में.

क्यों जरूरी है नीतीश की यात्रा?

दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार की जनता तक ये संदेश पहुंचाने निकले हैं कि उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है. उनकी समस्या का समाधान करने वो खुद जनता के दरवाजे पर आ रहे हैं. आम लोग चकित हैं उनकी इस यात्रा से. क्योंकि घूम घूम कर समाधान देने वाले मुख्यमंत्री के पास जब भी कोई समाधान मांगने गया तो उसे बदले में पुलिस की लाठी, वाटर कैनन, और आंसू गैस ही मिले.

अभी कल ही कि तो बात है जब राजधानी पटना की सड़कों पर गरीब बेरोजगार छात्र BSSC के पेपर लीक होने के बाद उसे रद्द करने की मांग लेकर पहुंचे तो समाधान देने का दावा करने वाले सुशासन बाबू की पुलिस ने डंडा चलाकर उनका समाधान निकाल दिया. छात्रों की समस्या को सुनने और उसका समाधान निकालने के बदले बेरोजगार छात्रों को मार-मार कर भाग दिया गया. कुछ घायल हो कर अस्पताल पहुंच गए और कुछ हिरासत में ले लिये गये. इस ठंड में लाठी चार्ज कितना दर्दनाक होगा उन बेरोजगार छात्रों के लिए ये सिर्फ महसूस किया जा सकता है.

लेकिन जब इस लाठीचार्ज के बारे में नीतीश जी से पूछा गया तो उलटा वही पूछने लगे कि कब, कहां, किस पर हुआ लाठीचार्ज. वो ऐसा दिखाने लगे जैसे कुछ मालूम ही नहीं है. अब इस मासूमियत कौन नहीं फिदा हो जाएगा उन पर.
आमतौर पर सीएम नीतीश कुमार ने हर बार ऐसा ही समाधान दिया है लोगों को. जब भी किसी समस्या को लेकर मुख्यमंत्री के सामने धरना प्रदर्शन की कोशिश हुई है हर बार समाधान के बदले लाठी डंडे, वाटर कैनन और आंसू गैस ही मिले हैं. इतना ही नहीं एफआईआऱ दर्ज कर जेल भी भेज दिया जाता है प्रदर्शनकारियों को. और ये सब होता है कानून के नाम पर. पुलिस कहती है कि हाइ सिक्योरिटी जोन में प्रदर्शनकारी आ गए इसलिए लाठी चार्ज करना पड़ा. यहां ये समझना होगा कि जब सीएम रहते ही हैं हाइ सिक्योरिटी जोन में तो प्रदर्शनकारी अपनी बात सीएम तक पहुंचाने कहां जाएंगे.

देश के तमाम नेता लोकतंत्र की दुहाई तो देते हैं लेकिन क्या कभी आपने सुना कि बिहार के मुख्यमंत्री ने प्रदर्शन कर रहे लोगों के डेलिगेशन से मुलाकात की. मुख्यमंत्री तो छोड़िये क्या किसी मंत्री ने भी कभी आंदोलन कर रहे लोगों से मिलकर समस्या को समझने की कोशिश की . शायद कभी नहीं. अगर उसी समय आंदोलनकारियों के डेलिगेशन से मिल कर उनकी समस्या को सुन लिया जाए और बताया जाए की सरकार इस पर विचार करेगी तो फिर आंदोलन के हिंसक होने की नौबत ही नहीं आएगी. ना ही लाठी डंडे चलेंगे.

डंडों से बिहार में होता है समस्याओं का समाधान

वैसे आपको बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब बिहार में नीतीश सरकार ने हक की लड़ाई के लिए सड़कों पर आने वालों की समस्या का समाधान डंडे से निकाला है.
याद कीजिये 13 दिसंबर 2022: पटना में BTET-CTET के अभ्यर्थियों पर पुलिस ने तब जमकर लाठियां भांजी जब अभ्यर्थी सातवें चरण की बहाली की मांग को लेकर सड़क पर उतरे थे. डाक बंगला चौराहे पर जाम हटाने के नाम पर पुलिस ने जमकर लाठी भांजी और प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया. शिक्षक अभ्यर्थी 38 दिन तक अपनी मांगों को लेकर गर्दनीबाग में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते रहे लेकिन किसी ने सुध नहीं ली, जब प्रदर्शनकारी प्रजातंत्र के मंदिर विधानसभा का घेराव करने निकले पड़े तब संवेदनशील क्षेत्र के नाम पर उन्हे डंडा चलाकर डाक बंगला चौराहे से ही खदेड़ दिया गया.
इसके बाद याद कीजिए 22 अगस्त 2022 को. जब 2019 से बहाली का इंतजार कर रहे शिक्षक अभ्यर्थियों के सब्र का बांध टूटा तो सड़कों पर उतर आये. सरकार बदली तो बेरोजगारों को उम्मीद हुई थी कि नई सरकार, जो रोजगार देने के नाम पर ही आई है वो तो सुनेगी. लेकिन आवाज उठाने वालों पर इतनी लाठियां बरसीं कि वो घटना देश भर में सुर्खियां बन गई. याद कीजिए हाथ में तिरंगा लेकर निकले छात्रों को पटना पुलिस के बड़े अधिकारी ने कैमरे के सामने कितना मारा था. इस मामले में पूरे देश में पटना ADM केके सिंह अपने डंडे के साथ सुर्खियों में रहे. महीनों तक कार्रवाई की बात चलती रही लेकिन हुई तो बस खाना पूर्ति.
इसके बाद याद कीजिए 6 मई 2022 का दिन जब PMCH में नर्सिंग छात्रों पर लाठीचार्ज हुआ था. PMCH में GNM नर्सिंग की 180 छात्राओं को प्रशासन की तरफ से 24 घंटे में हॉस्टल खाली करने का आदेश मिला था. नर्सिंग छात्राएं समय देने की मांग के साथ धरने पर बैठ गई . पुलिस ने आव देखा न ताव , हॉस्टल परिसर खाली कराने पहुंच गई और वहां धरने पर बैठी छात्राओं पर लाठी चार्ज शुरु कर दिया. कई छात्राओं को चोट आई. पुलिस ने अस्पताल परिसर में छात्राओं को दौड़ा दौड़ा कर पीटा. कई छात्राएं गंभीर रुप से घायल हुई. हद ये थी कि पुरुष पुलिस कर्मियों ने नर्सिंग छात्राओं पर डंडे बरसाये थे.
अब याद कीजिए 7 मार्च 2022 का दिन जब जाप कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज हुआ था. दरअसल नीतीश सरकार लाठी चार्ज के मामले में कोई भेदभाव नहीं रखती है. जो भी कोई रोजगार,भ्रष्टाचार जैसे सवाल के साथ प्रदर्शन के लिए निकलता है उनका स्वागत सुशासन की पुलिस डंडे से करती है. 7 मार्च 2022 को पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी बिहार में बढ़ते अपराध, महिलाओं के खिलाफ अपराध, छात्रों पर लाठी चार्ज के विरोध में प्रदर्शन करने निकली तो पटना की सड़कों पर पुलिस ने कार्यकर्ताओं को दौड़ा-दौड़ा कर मारा. इस पर पप्पू यादव ने कहा भी था कि जितनी पुलिस नीतीश सरकार ने कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज करने के लिए लगाया, उतनी पुलिस अगर कानून व्यवस्था पर लगाते तो बिहार के हालात कुछ और होते.

जानिए कैसे हुआ सीएम नीतीश का ह्रदय परिवर्तन?

नीतीश जी समाधान कैसे करते हैं ये तो उसकी कुछ बानगी मात्र हैं. हमने उन घटनाओं को आपके सामने रखा जो हाल ही के हैं और आपको याद भी होंगे. नहीं तो ऐसे अनगिनत मामले हैं. चाहे वो नर्सों का आंदोलन हो ,डॉक्टरों का आंदोलन हो या छात्रों का या शिक्षकों का या फिर आशा कार्यकर्ताओं का सबकी समस्या का समाधान सुशासन बाबू ने लाठी डंडों से ही किया है. अब नीतीश जी घूम घूम कर समाधान करने जा रहे हैं. उनके इस हृदय परिवर्तन की वजह क्या है ये समझना बहुत मुश्किल नहीं है.
बीजेपी से अलग हो चुके हैं. जिसके शासन को जंगलराज कहते थे उसके साथ सरकार बनानी पड़ी है. उस पार्टी के कई विधायक सरे आम उनको बेइज्जत कर रहे हैं लेकिन नीतीश जी उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकते. सीएम पद पर तेजस्वी को बैठाने का दबाव अलग है. खुद पीएम मैटिरियल हैं कि नहीं तय नहीं कर पा रहे हैं. मतलब ये कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बहुत मुश्किल में हैं तो ऐसे समय में जनता की याद तो आएगी ही.

क्या सीएम नीतीश और उनकी यात्रा को गंभीरता से लेगी आम जनता?

अब सवाल ये उठता है कि उनकी समाधान यात्रा को जनता कितनी गंभीरता से लेगी. क्योंकि रोजी रोटी, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायन, इंडस्ट्री, अवैध शराब की बिक्री, कानून व्यवस्था किसी का तो उन्होंने समाधान किया नहीं. जो समाधान मांगने उन तक पटना पहुंचे उनको कैसा समाधान मिला ये भी सबने देखा . तो भला जनता किस आधार पर भरोसा करेगी.
सबसे गौर करने वाली बात ये है कि नीतीश कुमार स्वयं जेपी आंदोलन और छात्र राजनीति की उपज हैं और वही नीतीश कुमार आज छात्रों और बेरोजगारों की या फिर आम जनता की आवाज सुनने के लिए तैयार नहीं हैं. विडंबना देखिए कि वही सीएम नीतीश कुमार राज्य की जनता के बीच समाधान यात्रा निकाल रहे हैं. अब इस यात्रा से जनता की समस्या का समाधान मिले या ना मिले देखना ये होगा कि नीतीश जी की समस्या का समाधान मिलता है या नहीं. और उनकी समस्या तो आपको पता होगी. वही किसी भी तरह सत्ता में बने रहने की समस्या.

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