Thursday, March 13, 2025

नूंह Nuh Riot दंगे का कसूरवार कौन,किसने की साजिश,सरकार ने क्यों झाड़ा पल्ला

मेवात :  नूंह में जो हुआ उसे पूरी दुनिया ने देखा. शोभा यात्रा के दौरान जिस तरह से पूरा मेवात और खासकर नूंह दंगे Nuh Riot की चपेट में आ गया ये साजिश की तरफ इशारा करता है. साजिश थी आग भड़काने की तभी तो शोभा यात्रा से पहले मोनू मानेसर ने अपने आने की घोषणा कर दी. ये वही मोनू मानेसर है जिस पर मेवात के दो युवक नासिर और जुनैद की हत्या का आरोप है. पुलिस की नजरों में वो फरार है लेकिन उसने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी करके शोभा यात्रा में आने की बात की और मेवात के लोगों को चुनौती दी. इससे मेवात के लोगों का गुस्सा भड़क गया. आग में घी का काम किया दूसरे वीडियो ने. शोभा यात्रा वाले दिन फरीदाबाद के बिट्टू बजरंगी ने दूसरा वीडियो वायरल किया. वीडियो में मेवात के लोगों को चैलेंज करते हुए बिट्टू बजरंगी ने कहा कि हमलोग आ रहे हैं फूल माला तैयार रखना. ये मत बोलना की बता कर नहीं आया. जीजा का स्वागत करने के लिए तैयार रहना. इस भड़काऊ वीडियो ने पूरे मेवात में हिंसा Nuh Riot का माहौल बना दिया था. इस तरह के वीडियो हिंसा  Nuh Riot फैलाने की साजिश का हिस्सा थे.

Nuh Riot में पुलिस ने वायरल वीडियो का नहीं लिया संज्ञान

ये वीडियो पूरे देश में वायरल हो रहे थे इसके बावजूद प्रशासन ने वायरल वीडियो का संज्ञान नहीं लिया. प्रशासन को पता था कि मामला गंभीर है. दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ गया है. शोभा यात्रा संवेदनशील इलाके से गुजरने वाली है फिर भी पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई. घटना के बाद प्रशासन कह रहा है कि उसे मामले की गंभीरता का पता नहीं था तो फिर सरकार का इंटेलिजेंस क्या कर रहा था. क्यों नहीं वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए उस पर कार्रवाई की गई. भड़काऊ वीडियो बनाने और जारी करने वाले पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई.

हथियार ले जाने की इजाजत किसने दी-राव इंद्रजीत

हद तो ये है कि शोभा यात्रा में शामिल लोगों के हाथों में हथियार देखे गए. आखिर शोभा यात्रा में हथियार लेकर जाने का क्या मतलब है. हथियार लेकर जाने की इजाजत प्रशासन ने कैसे दी.  केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत ने खुद कहा कि दोनों पक्षों की तरफ से भड़काऊ बयान आए थे लेकिन शोभा यात्रा में हथियार लेकर जाने की अनुमति किसने दी. धार्मिक यात्रा में कोई तलवार और डंडे लेकर जाता है क्या. राव इंद्रजीत ने कहा कि हालात को देख कर जब उन्हें लगा कि सुरक्षा बल कम हैं तो उन्होंने सीएम मनोहर लाल खट्टर और गृह मंत्रालय से संपर्क किया था.

साइबर थाने का रिकॉर्ड क्यों जलाया

साजिश का दूसरा एंगल ये है कि दंगे की आड़ में मेवात के इकलौते साइबर थाने पर हमला किया गया. दरअसल झारखंड के जामताड़ा के बाद हरियाणा का मेवात साइबर क्राइम का गढ़ माना जाता है. कुछ दिन पहले तक माना जाता था कि झारखंड का जामताड़ा साइबर क्राइम में देश में सबसे आगे है लेकिन अब जामताड़ा के बाद मेवात का नाम भी जुड़ गया है. कुछ महीनों पहले ही मेवात में 5000 पुलिस बल की मदद से साइबर अपराधियों के यहां छापा मारा गया था. पूरे मेवात के साइबर अपराधियों के ठिकाने छान मारे थे पुलिस ने. दर्जनों एफआईआर दर्ज हुए. दर्जनों आरोपियों की गिरफ्तारी हुई. प्रशासन का कहना है कि नूंह दंगे के दौरान मेवात के एक मात्र साइबर थाने पर अटैक किया गया. साइबर थाने में तोड़ फोड़ की गई और सारे रिकॉर्ड जला दिए गए. पुलिस की माने तो साइबर अपराधियों ने जानबूझकर साइबर थाने को निशाना बनाया और रिकॉर्ड जला दिए ताकि सारे मामले दफन हो जाएं.

सरकार ने समय रहते नहीं किया बचाव

ये तो साजिश का दूसरा एंगल है लेकिन अगर एक राज्य का मुख्यमंत्री ये बोले कि हमारे पास इतने पुलिस वाले नहीं हैं कि हरेक को सुरक्षा दी जा सके तो समझ लीजिए कि ये भी साजिश का एक और पहलू है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. अपनी जनता की जान माल की रक्षा करने के लिए बहाने की नहीं इच्छा शक्ति की जरूरत होती है जो हरियाणा सरकार ने नहीं दिखाई.

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