2024 के लिए क्या है बीजेपी की रणनीति. क्या इस बार भी कोई ट्रम कार्ड तैयार कर रही है बीजेपी? क्या इस बार मुसलमानों पर रहेगा बीजेपी का ध्यान? पिछड़े हिंदूओं के बाद क्या अब पिछड़े मुसलमानों पर डोरे डाल रही है बीजेपी? ब्राह्मणों की पार्टी से पिछड़ों की राजनीति तक क्या है बीजेपी के बदलते राजनीतिक एजेंडे का मकसद? क्या हिंदुत्व से हो रहा है बीजेपी का मोह भंग?
17 अक्तूबर को बीजेपी ने लखनऊ में पसमांदा मुसलमानों के लिए बड़ा सम्मेलन किया. बताया जा रहा है कि इस सम्मेलन की तैयारी में बीजेपी काफी समय से लगी थी. गुपचुप तरीके से बीजेपी संघ के प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की मदद से प्रदेशभर में छोटे स्तर पर पसमांदा मुसलमानों के सम्मेलन कर रही थी.
ख़बर तो ये भी है कि रामपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी की जीत की वजह भी ये सम्मेलन ही थे. बीजेपी नेताओं का कहना है कि रामपुर में आज़म खान के खिलाफ उनको जो चीज़ सबसे ज्यादा काम आई वो थी पसमांदा मुस्लमानों के बीच उनकी पकड़. बताया जा रहा है कि इन चुनावों में बंजारा समुदाय के मुसलमानों ने बीजेपी को एकमुश्त वोट दिया जिसका नतीजा ये हुआ की आजम खान के गढ़ को ढाहने में बीजेपी कामयाब हुई.
हैदराबाद में पीएम ने किया था पसमांदा मुसलमानों का जिक्र
सूत्रों की माने तो 2024 लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी इन पसमांदा मुसलमानों को आरक्षण भी दे सकती है. पसमांदा मुस्लिमों को लुभाने का ये प्लान इसी साल अगस्त में हैदराबाद में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बनाया गया था. पीएम मोदी ने इस बैठक में अल्पसंख्यकों को दलित समुदाय से जोड़ने की बात भी की थी. इसी प्लान के तहत यूपी में पसमांदा मुसलमानों के बीच बीजेपी ने काम शुरु किया. दो महीने की इस मेहनत का असर सोमवार 17 अक्तूबर को लखनऊ में दिखाई भी दिया.
बीजेपी ही मुसलमानों की सच्ची हितैषी
इस सम्मेलन में योगी सरकार में मंत्री ब्रजेश पाठक भी शामिल हुए. बिर्जेश पाठक ने अपने भाषण में कहा कि बीजेपी ही मुस्लिमों की सच्ची शुभचिंतक है. उन्होंने बाकी पार्टियों पर हमला करते हुए कहा कि “धर्मनिरपेक्षता’ का दावा करने वाली पार्टियां मुस्लिमों को सिर्फ वोटबैंक समझती हैं. इन पार्टियों ने मुसलमानों को उनको अधिकार कभी नहीं दिए.”
सम्मेलन में यूपी सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश अंसारी ने भी मौजूद रहे. दानिश अंसारी ने भी विपक्षी पार्टियों को आड़े हाथ लेते हु कहा कि अगर मुसलमानों के बारे में कोई पार्टी गंभीरता से सोचती है तो वह बीजेपी है.
उन्होंने कहा, ‘ बीजेपी ने जिस तरह से मुसलमानों की शिक्षा, सुरक्षा और उन्नति के बारे में सोचा है किसी भी दूसरी पार्टी ने ऐसे नहीं सोचा ‘. उन्होंने मुसलमान के पिछड़ेपन के लिए विपक्षी दलों की आलोचना करते हुए कहा कि आज मुसलमान इसलिए पिछड़े हैं क्योंकि किसी भी पार्टी ने उनकी अच्छी शिक्षा की चिंता नहीं की”.
इसी सम्मेलन में बीजेपी के राज्यसभा सांसद गुलाम अली भी मौजूद थे. राज्यसभा सांसद ने इस मौके पर कहा कि “मुसलमानों को सरकारी योजनाओं का फायदा उठाना चाहिए. सरकारी योजनाओं की मदद से आगे बढ़ना चाहिए”. गुलाम अली ने भी बाकी वक्ताओं की तरह विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि बाकी पार्टियों ने सिर्फ मुसलमानों का फायदा उठाया है. उन्हें ये समझाया है कि मुसलमानों को बीजेपी से डरकर रहना चाहिए”.
आपको बता दें पसमांदा एक फारसी शब्द है जिसका मतलब होता है पिछड़ा. वैसे तो इस्लाम में जात-पात का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन एशियाई मुसलमानों में कई फिरकों की तरह ही कई जाति भी पाई जाती है. जिन्हें मोटे तौर पर आप अशरफ (ऊंची जाति), अजलफ (पिछड़े) और अरजल (दलित) में बांटा गया है. पसमांदा मुसलमान अरजल है जो लंबे समय से एससी एसटी आरक्षण में खुद के जोड़े जाने की मांग करते रहे हैं.
क्या मुसलमानों के साथ दिखने से डरती है बीजेपी?
वैसे इस सम्मेलन और पसमांदा मुसलमानों को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली बीजेपी अपने इस प्लान को लेकर कितनी आश्वस्त है इसका अंदाज़ा आप इस बात से भी लगा सकते है कि बीजेपी के सोशल मीडिया इस सम्मेलन की ख़बर पूरी तरह नदारद है. @BJPMinMorcha, @BJPCentralMedia, @BJP4UP जैसे बीजेपी के ट्वीटर पेज पर इस सम्मेलन से जुड़ी न एक खबर है न ही कोई तस्वीर. प्रचार प्रसार में माहिर बीजेपी का इस तरह इतने बड़े सम्मेलन को नजरंदाज करना सवाल तो उठाता ही है. क्या बीजेपी मुसलमानों के बीच अपने काम को लेकर अपने बहुसंख्यक वोट बैंक को नाराज़ करने से डरती है?