Karnataka HC Proceeding viral: हाल में भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या अपनी विदेशी पत्नी नताशा स्टेनकोविक से तलाक को लेकर काफी चर्चा में थे. वजह थी तलाक में दी जाने वाली एलिमनी. अकसर सेलिब्रिटी के तलाक उसमें दी जाने वाली करोड़ों की एलिमनी के चलते चर्चा में रहते हैं. लेकिन कर्नाटका हाईकोर्ट में तलाक का ऐसा मामला देखने को मिला जिसमें एक नौकरीपेशा पति से पत्नी ने एलिमनी में 16 लाख से ज्यादा रुपये प्रतिमाह की एलिमनी मांग ली. एलिमनी की मांग को लेकर जो वजह बताई गई और उसपर जो जज ने टिप्पणी की उसको लेकर ये मामला ट्रेंड कर रहा है. 3 लाख से ज्यादा लोग सोशल मीडिया पर इस कोर्ट प्रोसिडिंग की क्लिप को देख चुकें हैं.
KARNATAKA HIGH COURT :
Wife asking for 6,16,000 per month maintenance
4-5 Lacs per month for knee pain, physiotherapy
15000 per month for shoes dresses
60000 per month for food inside home
Few more thousands for dining outside home
JUDGE : ASK HER TO EARN 🤣 pic.twitter.com/G0LUpIaA33
— Deepika Narayan Bhardwaj (@DeepikaBhardwaj) August 21, 2024
Karnataka HC Proceeding viral:पत्नी ने ₹6,16,300 की मासिक भरण-पोषण राशि मांगी
क्लिप में कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने एक महिला की अपने पूर्व पति से 6 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता मांगने की मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अगर वह इतना खर्च करना चाहती है तो वह खुद कमाना शुरू कर सकती है.
ऑनलाइन ट्रेंड कर रहा अदालती कार्यवाही के इस वीडियो में महिला के वकील उसके पूर्व पति से ₹6,16,300 की मासिक भरण-पोषण राशि प्राप्त करने की कोशिश करते नज़र आ रहे है. जिसके बाद न्यायाधीश ने उनकी दलीलों पर ध्यान देने से इनकार कर दिया. जज ने पूछा, आखिर कोई व्यक्ति प्रति माह ₹6 लाख कैसे खर्च कर सकता है. उन्होंने इतनी राशि की मांग को अनुचित बताया.
जज के सवाल के जवाब में महिला के वकील ने दावा किया कि उसे घुटने के दर्द के इलाज, फिजियोथेरेपी, दवाइयों और अन्य संबंधित खर्चों के लिए हर महीने 4 से 5 लाख रुपये की जरूरत है. इसके अलावा चूड़ियाँ, सैंडल, चप्पल, घड़ियाँ आदि जैसी अपनी “बुनियादी ज़रूरतों” के लिए उसने हर महीने 50,000 रुपये और खाने के लिए 60,000 रुपये की माँग की.
महिला के वकील ने यह भी बताया कि कैसे उसका पूर्व पति “सभी ब्रांडेड कपड़े” पहनता है – जैसे कि कैल्विन क्लेन टी-शर्ट जिसकी कीमत 10,000 रुपये है – जबकि उसे पुराने कपड़ों से काम चलाना पड़ता है.
हलांकि वीडियो में महिला का वकील यह भी स्वीकार करता नज़र आ रहा है कि महिला का पूर्व पति उनके बच्चों की स्कूल और ट्यूशन फीस का भुगतान कर रहे हैं.
जज ने कहा- इतना खर्च करना है तो खुद कमाओ
महिला की वकील की दलीलों को सुनने के बाद, कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कहा, “यदि वह इतनी बड़ी रकम खर्च करना चाहती है तो उसे अपने पति पर बोझ डालने के बजाय खुद कमाना शुरु करना चाहिए.” न्यायाधीश ने महिला के वकील से यह भी कहा कि वह उसे समझाए कि उसकी मांग अनुचित है. उन्होंने कहा, “परिवार की कोई और जिम्मेदारी आपकी नहीं है. आपको बच्चों की देखभाल करने की ज़रूरत नहीं है.” उन्होंने यह भी कहा कि गुजारा भत्ता पति के लिए सज़ा नहीं होना चाहिए.
सोशल मीडिया पर पत्नी की मांग पर हैरान लोग
कोर्ट की इस क्लिप पर लोग खूब कमेंट कर रहे हैं. एक यूजर का कहना है कि “हम्म
क्या कोई मुझे बता सकता है कि वह 4-5 लाख प्रति माह के लिए कौन सी फिजियोथेरेपी कर रही है”
वहीं दूसरे यूज़र ने लिखा “टीसीएस कर्मचारी: ये हमारी साल भर की इनकम है.”
तो तीसरे यूजर ने लिखा “प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सी.जे.आई. से भी ज़्यादा वेतन
गुज़ारा भत्ता. गोल्ड डिग्गर” तो एक यूजर ने पूछा, “पूरे खानदान को मेंटेनेंस के लिए पैसे से खाना खिलायेगी क्या ये?”
लोग कर रहे हैं जज की जमकर तारीफ
वही कुछ लोगों ने महिला जज के फैसले और सवालों की तारीफ करते हुए लिखा, “महिला जज फिर से आग उगल रही हैं! सभी सही सवाल पूछ रही हैं और सही निर्णय दे रही हैं!! ”
तो दूसरे यूजर ने लिखा, “यह न्यायाधीश वास्तव में भविष्य के मुख्य न्यायाधीश बनने के योग्य हैं. आशा है कि इस पर ध्यान दिया जाएगा और इसे संज्ञान में लिया जाएगा”
महिला की मांग को पूरी तरह गलत नहीं मानते कुछ लोग
वैसे ऐसा नहीं है कि महिला के वकील की मांग को सभी लोग गलत मान रहे हों. एक यूजर ने महिला की मांग का समर्थन करते हुए लिखा, “उनके पति करोड़ों में कमाते हैं, इसलिए वह उसी स्टेंडेड को बनाए रखना चाहती हैं.
डॉक्टरों पर 4-5 लाख खर्च करना? अगर एक फिजियोथेरेपिस्ट 1,500-3,000 प्रति विज़िट चार्ज करता है और एक महीने तक रोज़ आता है, तो कुल मिलाकर अधिकतम 1 लाख होगा. वे इसका हिसाब कैसे लगा रहे हैं?
और गोल्ड लोन? अगर वे इतने अमीर हैं, तो उन्हें गोल्ड लोन की क्या ज़रूरत है?
मैं समझती हूँ कि यह पैसा कई महिलाओं के लिए कितना ज़रूरी है, लेकिन यह स्थिति वाकई एक मज़ाक है. जज ज़रूर एक बेटे की माँ होगी.“
वहीं दूसरे यूजर ने जज द्वारा महिला को खुद कमाने की सलाह देने पर कहा, “यह सुनना ज़्यादातर परेशान करने वाला होता है कि सरकारी कर्मचारी नैतिक सलाह देते हैं. राजनेता, नौकरशाह, पत्रकार, पुलिस या जज. उनका काम यह तय करना है कि मांग जायज़ है या नहीं. यह नहीं कि उसे खुद कमाना चाहिए या नहीं. अगर परिवार नियमित रूप से 20 लाख रुपये महीने खर्च कर रहा हो तो क्या ये मांग गलत होगी?”
यानी कोर्ट के इस फैसले पर सभी की अपनी राय और तर्क है. आपको क्या लगता है करोड़ों कमाने वाले पति से 6 लाख प्रति माह की मांग जायज है.
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