ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण से देश को क्या मिला, सरकार ने तैयार की भ्रष्ट अधिकारियों की लिस्ट, होगा एक्शन !

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नोएडा में भ्रष्टाचार का ट्विन टावर रविवार को गिरा दिया गया. ट्विन टावर के गिरने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ. इस कार्रवाई को भ्रष्ट्राचार के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है. पूरी दुनिया ने देखा कैसे  एक ब्लास्ट में 800 करोड़ की इमारत चंद सेकंड में गिर गया लेकिन इसके साथ ही जनता के ज़हन में एक सवाल गूँज रहा है कि आखिर इस एक्शन से देश और देश की जनता को क्या मिला ?

काली कमाई और अवैध रूप से बनाया गया था नॉएडा का ट्विन टावर. इस ढांचे को ध्वस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 31अगस्त 2021 को आदेश दिया था. इमारत तो ढह गई लेकिन इसके बाद भी कई सवाल उठ रहे हैं. सबसे पहला और बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस इमारत के ढ़हने से देश को क्या हासिल हुआ.
1. न्यायपालिका में भरोसा बढ़ेगा
इस एक्शन ने देश को ये साबित किया कि अब देश का कानून भ्रष्टाचारियों को बर्दाश्त नहीं करेगा.हो सकता है न्याय मिलने में थोड़ा विलंब हो लेकिन न्याय मिलेगा जरूर. ट्विन टावर को ढहाने का आदेश और फिर उस पर एक्शन लेने से देश की न्यायपालिका में लोगों का भरोसा तो जरूर बढ़ाया है. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनधिकृत निर्माण में बेतहाशा वृद्धि हो रही है. पर्यावरण की और निवासियों की सुरक्षा पर भी विचार करना होगा. यह निर्माण सुरक्षा मानकों के खिलाफ है. इस पूरे मामले में अदालत ने जिस तरह से एक्शन लिया है, उससे लगता है कि इस तरह के नियमों के खिलाफ होने वाले निर्माण पर रोक लगेगी.

2. बिल्डर्स की मनमानी नहीं चलेगी
नोएडा में जब दोपहर 2.30 बजे ट्विन टावर गिराया गया. तो वो सिर्फ एक ईमारत नहीं थी. बल्कि उन बिल्डर्स के माफिया पर एक गहरी चोट थी, उनके लिए नसीहत थी, जो पैसे के बल पर मनमर्जी करते हैं. सरकार, प्रशासन को अपनी जेब में समझते हैं. इस एक्शन से उनके ये सारे भ्रम चकनाचूर हो गए. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा था कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा दी गई मंजूरी भवन नियमों के खिलाफ है. अब जिस तरह से सरकार ने भी सख्त रवैया अपनाया है, उससे भी बिल्डर को संदेश मिला है कि अब जनता और फ्लैट बायर्स के साथ धोखाधड़ी नहीं चलेगी.

3. जागरूक होगा आम आदमी
आज की घटना आम आदमी के लिए एक उम्मीद लेकर आई है जो अपने जीवन भर की कमाई एक छत हासिल करने के लिए खर्च कर देता है. इस फैसले के बाद से लोगों में जागरुकता बढ़ेगी. कॉस्ट कटिंग के नाम पर बिल्डर्स क्वालिटी से समझौता करते हैं. ऐसे में आम आदमी इसके खिलाफ भी आवाज उठा सकता है. बिना किसी डर या हिचक के सीधे कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकेंगे. जानकारों का कहना है कि इस सब पर रोक के लिए कानूनी प्रावधानों की कमी नहीं है. इसके बावजूद इनका पालन नहीं होता है.

4. नियमों का होगा सख्ती से पालन
नोएडा समेत दिल्ली-एनसीआर में बिल्डर हजारों फ्लैट्स का निर्माण कर रहे हैं.जानकारों का कहना है कि एक दो प्रोजेक्ट को छोड़ दें, तो शायद ही किसी प्रोजेक्ट में पर्यावरण से जुड़े नियमों का पूरी तरह से पालन किया गया हो. बात चाहे सुरक्षा मानकों के पालन का हो. ग्रीन बेल्ट एरिया का हो या फिर बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के बेसिक कोड की हो. नोएडा के ट्विन टावर वाले मामले में भी कोर्ट ने कहा था कि टावरों के निर्माण के लिए ग्रीन एरिया का उल्लंघन किया गया.अब ट्विन टावर के ढहाए जाने के बाद अधिकारी और बिल्डर सांठगांठ कर पर्यावरण मानकों का उल्लंघन करने से पहले सोचेंगे.

 

5. घर खरीदारों को सबसे बड़ा नुकसान
इस पूरी कार्रवाई में अगर किसी का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है तो ये वो लोग हैं जिन्होंने ट्विन टावर में अपना आशियाना बनाने के लिए फ्लैट बुक किये थे. कोर्ट ने भले ही लोगों का पैसा ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया हो लेकिन जो पैसा मिला है वो आज के हिसाब से दूसरा घर या फ्लैट लेने के लिए काफी नहीं है . इन दोनों टावरों में 711 घर खरीदारों ने फ्लैट बुक कराए थे. इनमें से 650 से ज्‍यादा खरीदारों के क्‍लेम निपटाए गए हैं. कई लोगों को अब तक क्लेम का रिफंड नहीं मिला है. यानी कुल मिलकर बात ये हैं कि इस टावर में फ्लैट बुक कराने वाले लोगों को काफी बड़ा नुकसान हुआ है.

हालाँकि ये कार्रवाई अभी ख़त्म नहीं हुई है. अभी तो कार्रवाई का पहला पड़ाव पार हुआ है. अब बारी है उन्हें सजा मिलने की जिन्होंने इस गगन चुम्बी ईमारत को खड़ा करने में साथ दिया था. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 26 भ्रष्ट अधिकारियों की लिस्ट तैयार की है,जिनपर शिकंजा कसना अब शुरू हो गया है.ये सभी अधिकारी सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर एपेक्स और सेयान के निर्माण के दौरान नोएडा अथॉरिटी में तैनात थे.

जब 2006 में ट्विन टावर का निर्माण शुरू हुआ तो उस समय नोयडा अथारिटी के सीईओ मोहिंदर सिंह थे जो अब रिटार्यड हैं. इसके बाद तैनात किए गए पांच सीईओ का नाम भी सूची में जारी किया गया है. सीएम योगी के ऑफिस से जारी की गई सूची में कई अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. इसके अलावा सुपरटेक लिमिटेड के निदेशक और आर्किटेक्ट भी शामिल हैं.

निर्माण में दोषी पाए गए अफसरों के नाम कुछ इस प्रकार है

मोहिंदर सिंह /सीईओ नोएडा अथारिटी (रिटार्यड), एस.के.द्विवेदी /सीईओ नोएडा अथारिटी (रिटार्यड), आर.पी.अरोड़ा/अपर सीईओ नोएडा अथारिटी (रिटार्यड), यशपाल सिंह/विशेष कार्याधिकारी नोयडा अथारिटी (रिटार्यड), स्व. मैराजुद्दीन/प्लानिंग असिस्टेंट (रिटार्यड), ऋतुराज व्यास/ सहयुक्त नगर नियोजक (वर्तमान में यमुना प्राधिकरण में प्रभारी महाप्रबंधक), एस.के.मिश्रा /नगर नियोजक (रिटार्यड), राजपाल कौशिक/वरिष्ठ नगर नियोजक (रिटार्यड), त्रिभुवन सिंह/मुख्य वास्तुविद नियोजक (रिटार्यड), शैलेंद्र कैरे/उपमहाप्रबन्धक,ग्रुप हाउसिंग (रिटार्यड), बाबूराम/परियोजना अभियंता (रिटार्यड), टी.एन.पटेल/प्लानिंग असिस्टेंट (सेवानिवृत्त), वी.ए.देवपुजारी/मुख्य वास्तुविद नियोजक (सेवानिवृत्त), अनीता/प्लानिंग असिस्टेंट (वर्तमान में उ.प्र.राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण) नोएडा, एन.के. कपूर /एसोसिएट आर्किटेक्ट (सेवानिवृत्त), मुकेश गोयल/ नियोजन सहायक (वर्तमान में प्रबंधक नियोजक के पद पर गीडा में कार्यरत), प्रवीण श्रीवास्तव/सहायक वास्तुविद (सेवानिवृत्त), ज्ञानचंद/विधि अधिकारी (सेवानिवृत्त), राजेश कुमार /विधि सलाहकार (सेवानिवृत्त), डी.पी. भारद्वाज/प्लानिंग असिस्टेंट, विमला सिंह/ सहयुक्त नगर नियोजक, विपिन गौड़/महाप्रबंधक (सेवानिवृत्त), एम.सी.त्यागी/परियोजना अभियंता (सेवानिवृत्त), के.के.पांडेय/ मुख्य परियोजना अभियंता, पी.एन.बाथम/ अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी और ए.सी सिंह/वित्त नियंत्रक (सेवानिवृत्त) सभी नोयडा अथारिटी के हैं।
वहीँ इस सूची में सुपरटेक लिमिटेड के निदेशकों और आर्किटेक्ट को भी दोषी माना गया है। ऐसे लोगों में आर.के.अरोड़ा-निदेशक, संगीता अरोड़ा-निदेशक, अनिल शर्मा-निदेशक, विकास कंसल-निदेशक, दीपक मेहता (एसोसिएट्स आर्किटेक्ट) और नवदीप ( इंटीरियर डिजाइनर) प्रमुख हैं।

उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने साफ़ लफ़्ज़ों में कहा है कि राज्य सरकार का भ्रष्टाचार पर एक्शन जारी रहेगा. पहली बार इतना बड़ा निर्माण ध्वस्त कराया गया है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया है. इस ट्विन टावर के निर्माण में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.