Wayanad Landslides:आपदा अपने साथ हिम्मत और दया से भरी कई कहानियां भी लाती है. केरल के वायनाड में ऐसी ही एक कहानी लोगों की ज़बान पर है. एक ही त्रासदी में फंसे मनुष्य और जानवर एक ही सुरक्षित जगह पर रहते हैं. एक दूसरे को बिना नुकसान पहुंचाए एक दूसरे के दर्द को समझते.
Wayanad Landslides: चूरलमाला में भूस्खलन में फंस गया था परिवार
30 जुलाई की रात जब वायनाड के चूरलमाला में भूस्खलन हुआ तब एक परिवार ने अपने जीवन में वो महसूस किया जिसे वो जिंदगी भर याद रखेगा. एक ऐसी कहानी जिसमें अस्तित्व की जंग है, करुणा है, और इंसान और जंगली जानवारों के साथ जीने का मौन समझ है.
केरला के अखबार मातृभूमि में छपी ये कहानी आज वायनाड के हर शख्स की जबान पर है. कहानी चूरलमाला की है. जब 30 जुलाई को एक बड़े भूस्खलन ने उनके घर को तहस-नहस कर दिया. मलबे के नीचे फंसी सुजाता, उनकी बेटी सुजीता, पति कुट्टन और पोते सोराज (18) और मृदुला (12) ने खुद को धह गए मकान के नीचे दबा पाया.
पहाड़ पर खड़ा था जंगली हाथी, साथ थी दो मादा हाथी
मुंडक्कई में हैरिसन्स मलयालम चाय बागान में 18 साल से चाय की पत्तियां तोड़ने वाली सुजाता ने अपनी दर्दनाक कहानी सुनाते हुए बताया कि “सोमवार की शाम 4 बजे से भारी बारिश हो रही थी, मैं 1.15 बजे जाग गई. जल्द ही मैंने एक बहुत बड़ी आवाज़ सुनी, और पानी हमारे घर में घुस आया. हमारे घर की छत हमारे ऊपर गिर गई, जिससे मेरी बेटी गंभीर रूप से घायल हो गई. मैं ढही हुई दीवार से कुछ ईंटें हटाने में कामयाब रही और बाहर निकल गई.”
उन्होंने अपनी पोती को मलबे से चिल्लाते हुए सुना और बड़ी मशक्कत के बाद उसे बाहर निकाला. परिवार के बाकी लोग भी किसी तरह खुद को बाहर निकालने में कामयाब रहे और बहते पानी से होते हुए आखिरकार पास की एक पहाड़ी पर चढ़ गए.
लेकिन पहाड़ी पर पहुँचने पर उन्होंने जो देखा उसने उन्हें और भयभीत कर दिया. एक हाथी और दो मादा हाथी कुछ ही इंच की दूरी पर खड़े थे.
सुजाता की कहानी सुन निकल गए हाथी के आंसू
सुजाता और उनकी पोती रात के समय डर के मारे एक सुपारी के पेड़ से चिपकी रहीं. सुजाता ने बताया कि “घना अंधेरा था और हमसे सिर्फ़ आधा मीटर की दूरी पर एक जंगली हाथी खड़ा था. वह भी डरा हुआ लग रहा था. मैंने हाथी से विनती की, “हम एक बड़ी त्रासदी से गुज़र रहे हैं, हमें कुछ मत करो. हम डरे हुए हैं. कोई रोशनी नहीं है और चारों तरफ़ पानी है. हम किसी तरह तैरकर आए हैं. हमें कुछ मत करो…”
सुजाता का कहना है कि उनकी पुकार सुन “हाथी के आँखों में आँसू आ गए. मेरी पोती और मैं उसके पैरों के पास बैठ गए, और वह वहीं, बिना हिले-डुले, बिना हिले-डुले, भोर तक खड़ा रहा. दो अन्य जंगली हाथी भी पास में खड़े थे।”
सुजाता अभी भी भूस्खलन की उस रात को याद कर रो देती है. जब सब कुछ ढह गया था. उनका कहना है “मुझे नहीं पता कि किस भगवान ने मुझे बचाया.”
सुरक्षित है सुजाता का परिवार
उसके चेहरे और शब्दों से रात का खौफ़ साफ़ झलकता है. उन्होंने कहा “पानी समुद्र था. पेड़ बह रहे थे. जब मैंने बाहर देखा, तो मेरे पड़ोसी का दो मंज़िला घर ढह रहा था. यह गिर गया और हमारे घर को नष्ट कर दिया। ”
X पर इस कहानी साझा करते हुए, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने लिखा, “बेघर भूस्खलन पीड़ितों ने अपना दुख एक हाथी को बताया, जो उनके लिए रोया और पूरी रात उन्हें आश्रय दिया….”
आपको बता दें, सुजाता और उनकी पोती मृदुला ठीक है. परिवार के बाकी लोग अस्पताल में हैं.
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