Waqf Amendment Bill नई दिल्ली : वक्फ कानून 1923 की जगह पर वक्फ कानून के नये रुप को को लेकर कानून मंत्री किरण रिजीजू ने जमकर बोला . किरण रिजीजू के बोलने के समय विपक्ष विरोध करता रहा. रिजीजू ने कहा कि ये पहले मौका नहीं है जब वक्फ बिल में संशोधन किया जा रहा है. 1954 में (यानी प्रधानमंत्री नेहरु के शासन काल) में भी संशोधन हुआ था.
Waqf Amendment Bill में किसी के अधिकार का हनन नहीं किया गया है – किरण रिजीजू
किरण रिजीजू ने अपने भाषण कि शुरुआत ही ये कहते हुए किया कि विपक्ष ने जो तर्क दिये है वो स्टैंड ही नहीं करते हैं. इस बिल के प्रवाधान में किसी भी तरह से संविधान का उल्लंघन नहीं किया गया है.ना तो ये किसी के धर्म में दखल है,ना ही हक छीनने की कोशिश की जा रही है. बल्कि नये संशोधन के तहत उन लोगों को अधिकार देने की कोशिश की जा रही है, जिनहें समाज में दबा कर रखा गया है. सरकार को आम जनता के हित में कानून लाने का अधिकार है.
किरण रिजीजू ने कहा कि वक्फ कानून में संशोधन का प्रस्ताव अंग्रेजों के जमाने से लेकर अब तक कई बार लाया जा चुका है. सबसे पहले 1954 में हुआ, फिर कई बार वक्फ कानून में बदलाव किये गये. जो संशोधन ये सरकार लाने जा रही है वो 1955 है जिसमें 2013 में संशोधित किया गया था. इस कानून को लोगों ने अलग अलग तरीके से देखा. समय के साथ ये पाया गया कि वक्फ कानून में दिस उद्देश्य के साथ बदलाव किये गये थे वो उद्देश्य पूरे नहीं हो रहे थे.
‘कानून का समर्थन कीजिए , करोड़ो लोगों की दुआ मिलेगी’
कानून मंत्री ने विपक्ष को संबोधित करते हुए कहा कि बिल का समर्थन कीजिये करोड़ों लोगों की दुआ मिलेगा. यहां सभी लोग जनप्रतिनिधि के रुप में चुन कर आये हैं, जन प्रतिनिधि का कोई जाति धर्म नहीं होता हैं.
वक्फ बोर्ड पर चंद लोगों का कब्जा – कानून मंत्री
कानून मंत्री ने बिल के समर्थन में कहा कि वक्फ बोर्ड पर चंद लोगों ने कब्जा कर रखा है. गरीबों के साथ अन्याय हुआ, उन्हें न्याय नहीं मिला. ये समय इतिहास में दर्ज होगा कि इस समय जब संसद में नया कानून आ रहा था तो कौन-कौन विरोध में खड़ा था. इन खामियां के बारे में 2014 से अबतक तक 1955 के वक्फ एक्ट के बारे में कांग्रेस की भी कई कमेटियां कह चुकी हैं. 1976 में वक्फ की इनक्वायरी रिपोर्ट में एक बड़ा सुझाव आया था कि बोर्ड के अनुशासन करने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए, मतभेदों को दूर करने के लिए ट्रिब्यूनबल का गठन होना चाहिए. ऑडिट और अकाउंट्स का तरीका फुलप्रूफ नहीं है, पूरा प्रबंधन होना चाहिए. वक्फ अल औलाद में सुधार लाना चाहिए.