Friday, December 27, 2024

अराजकता फैलाने की बातें मतदाताओं को पसंद नहीं

राघवेन्द्र सिंह
आजाद भारत के इतिहास में तेईस नबंवर की तारीख़ कई मायने में बेहद अहम है। कल तक जिस भाजपा के खिलाफ राजनीतिक दलों और उनके रहनुमाओं ने मुसलमानों को जो डर दिखा कर एकजुट रक्खा था उसी फार्मूले से भाजपा ने बहुसंख्यक हिंदुओं को अपने हक़ में खड़ा करने का करिश्मा कर डाला है।’बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ज् इस के साथ ही वक़्फ़ बोर्ड के असीमित अधिकारों को लेकर जेपीसी की बैठकों में जिस तरह के विवाद और एक किसिम की हुल्लड़बाजी की खबरें और बयानबाजी हुई उसने भाजपा की राह महाराष्ट्र में आसान कर दी। आगे इस मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के व्यवहार पर देश के जनमानस की पैनी नजऱ रहेगी।

बहरहाल बहुसंख्यक वर्ग को भाजपा से अधिक विपक्ष के रवैए ने यह समझाने में सहयोग किया कि अल्पसंख्यक की भाँति एक नहीं हुए तो तुम्हारे हितों को काट कर उनको दिया जाएगा जो एकमुश्त वोट करते हैं । विपक्ष ने संतुलन की रणनीति पर काम नही किया तो महाराष्ट्र जैसे नतीजे आगे भी आते रहेंगे । इसे लेकर भाजपा मारे खुशी के फूल कर कुप्पा हुई जा रही है।

नतीजतन महाराष्ट्र सरीखे अहम सूबे में कांग्रेस की लीडरशिप में चुनाव लड़ रही महा आगाड़ी विकास पार्टी की धोबी घाट वाली धुलाई हो गई । राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी बनाने मराठा सरदार शरद पवार और पूर्व सीएम उद्दव ठाकरे का कांग्रेस के माईबाप राहुल गांधी जी का विधानसभा चुनाव के नतीजों ने बैण्ड बाजा जुलूस निकाल दिया है । दो सौ अठ्ठासी सीटों वाले महाराष्ट्र में भाजपा नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने दो सो तीस विधायकों की जीत के साथ जो धमाका किया उसकी गूंज देर तक और बहुत दूर तक सुनाई देगी । लेकिन दूसरी तरफ़ झारखंड राज्य ने हेमंत सोरेन वाले इंडी ब्लाक को एक तरफा बहुमत देकर विपक्ष के दिए की लौ को भी ठंडी नही होने दिया।

इसलिए देश के चतुर सुजान मतदाताओं को साष्टांग दण्डवत प्रणामज्क्योंकि वह लोकसभा चुनाव में दो सौ चालीस सीट पर भाजपा के अश्वमेघ यज्ञ को रोक कर नियंत्रित और नियोजित होने का निर्देश देता है तो दो सौ बहत्तर के स्थान पर केवल निन्यानवे सीटें जिताकर क़ायदे में रहने की नसीहत देता है । इसके बाद भी जब एनडीए के बहुमत वाली मोदी सरकार गिराने की धमकी देकर बांग्लादेश जैसी अराजकता फैलाने की बातें करने वाली कांग्रेस और उनके साथियों का कई राज्यों में बोरिया बिस्तर बांध कर साफ़ कर दिया है कि मतदाताओं को यह पसंद नही है।

खैर , राज्यों के चुनावी नतीजों पर आते हैं- महाराष्ट्र में विधायकों वाला जो अगाड़ी गठबंधन फिर से सरकार बनाने का दावा कर रहा था उसके मात्र अड़तालीस प्रत्याशी ही विधायक बन पाए । जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना से और एनसीपी से अजीत पवार की बगावत के पहले उद्दव ठाकरे के नेतृत्व में महा अगाड़ी गठबंधन सरकार चला रहा था। यूपी और राजस्थान में उप चुनाव में भाजपा को पहले से ज्यादा कामयाबी देकर लोकसभा चुनाव में जो झटका दिया था उस पर मरहम लगाने का काम मतदाता माइबाप ने कर दिया है।

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