ताजमहल के बंद 22 कमरों को खोलने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि हाईकोर्ट का फैसला एकदम सही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये याचिका जनहित से ज्यादा प्रचार के लिए दाखिल की गई लगती है. . वहीं याचिकाकर्ता ने अपने बात पर कायम रहते हुए कोर्ट से ताजमहल के इतिहास की शोध और उससे जुड़े विवादों को शांत करने के लिए एक तथ्य खोज समिति के गठन की मांग की है.
हाईकोर्ट ने क्या कहा था.
मार्च 2022 में ताजमहल के बंद कमरों को खोलने की याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारीज कर दी थी. उस वक्त कोर्ट ने याचिका पर नाराज़गी जताते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता को पहले इतिहास का अध्ययन करना चाहिए. कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता पहले किसी विश्वविद्यालय में अपना नाम लिखाए, इतिहास पढ़े, अगर कोई उनको ऐसा करने से रोकता है तो कोर्ट आए.
किसने दायर की थी याचिका
अयोध्या के भारतीय जनता पार्टी नेता रजनीश सिंह ने ये याचिका दाखिल की थी. रजनीश सिंह का कहना था कि ताजमहल के बाद 22 कमरों की जानकारी के लिए उन्होंने एक आरटीआई दाखिल की थी. जिसके जवाब में उन्हें बताया गया कि कमरों को सुरक्षा कारणों से बंद किया गया है. वहीं याचिकाकर्ता का कहना था कि कई इतिहासकार और हिंदू संगठन मानते है कि ताजमहल के बंद 22 कमरों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं. इसलिए उन्होंने सच्चाई को सामने लाने के लिए कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है.