वाराणसी: पाकिस्तान के एक प्रगतिशील किसान के रूप में खुद को पहचान कराते हुए, एक रिजवान नाम के शख्स ने व्हाट्सएप पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के वैज्ञानिक प्रो एसके सिंह से संपर्क किया, उनसे खेती के लिए नव विकसित ‘मालवीय मनीला सिंचित धान-1’ धान की किस्म के बीज उपलब्ध कराने का अनुरोध किया. प्रोफेसर ने अनुरोध को पूरा करने में असमर्थता व्यक्त करते हुए, रिजवान से पाकिस्तान में मनीला स्थित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) इकाई से संपर्क करने के लिए कहा है.
धान देने में प्रोफेसर ने जताई असमर्थता
प्रोफेसर सिंह ने बताया कि, “रिजवान वॉयस कॉल कर रहा था, फिर एक वॉयस मैसेज भी भेजा. मैंने रिजवान की मांग को पूरा करने में असमर्थता व्यक्त की और उसे पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) से संपर्क करने के लिए कहा, ताकि यह पता चल सके कि क्या केंद्र द्वारा उसे उपलब्ध कराया जा सकता है.” बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान के आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्रोफेसर सिंह ने कहा.
एक साल में 4 फसल देने वाले बीज चाहता है रिजवान
प्रोफेसर का कहना है कि, , “धान की वह किस्म जो रिजवान चाहता है, आईआरआरआई मनीला के एक संयुक्त उद्यम में विकसित की गई है, जिसका केंद्र वाराणसी और बीएचयू में है.”
उन्होंने कहा, “धान की अन्य सामान्य किस्मों के 135-140 दिनों के फसल चक्र के विपरीत, धान की यह एमएमएसडी-1 किस्म 115-118 दिनों में उगती है. धान की फसलों के लिए इस किस्म का उपयोग करने से किसान एक वर्ष में चार फसलों की खेती कर सकेंगे और तीन गुना तक कमाई में वृद्धि कर सकेंगे.”
सोशल मीडीया से किया प्रोफेसर से संपर्क
ये पूछने पर कि रिजवान ने उनसे संपर्क कैसे किया, प्रफोसर ने बताया कि, “शुरुआत में, वह 6 जून को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से वॉयस कॉल कर रहे थे. जब मैं कॉल में शामिल नहीं हुआ, तो उन्होंने एक वॉयस मैसेज भेजा, जिसमें कहा गया था कि वह एमएमएसडी-1 किस्म के बारे में जानते हैं. धान को एक लेख के माध्यम से भेजा जिसके बाद उन्होंने बीएचयू की वेबसाइट से मेरा नंबर खोजा. फिर उन्होंने उनसे कुछ मिनट बात करने का अनुरोध किया.”
फोन पर की प्रोफेसर सिंह से बात
“शुरुवाती बातचीत में, वह एक वास्तविक किसान लग रहा था. बातचीत में उसने एमएमएसडी-1 बीज की मांग शुरू कर दी, उसने ये यह जानने के लिए कि वह इसे कैसे प्राप्त कर सकता है, मैंने उससे कहा कि यह मेरे द्वारा प्रदान नहीं किया जा सकता है. मैने कहा कि अगर पाकिस्तान में कोई केंद्र है तो उसे आईआरआरआई के केंद्र से परामर्श करना होगा.”
प्रोफेसर ने कहा कि रिजवान ने बीज के लिए अनुरोध करना जारी रखा, हालांकि उन्हें यह स्पष्ट कर दिया गया था कि एमएमएसडी-1 किस्म केवल यूपी, बिहार और ओडिशा की खेती की स्थिति के लिए विकसित की गई है.
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