उत्तरखंड के जोशीमठ के साथ ही अब कर्णप्रयाग और टिहरी गढ़वाल से भी भू धंसाव की खबरे आने लगी है. उत्तराखंड में जून 2013 की त्रासदी के बाद फिर लोग दहशत में है. विकास या विनाश इस बात पर बहस फिर चल पड़ी है. पहाड़ों के कमज़ोर होने के लिए अलग-अलग संगठन और लोग अलग-अलग दावे कर रहे हैं. ऐसे में आईआईटी कानपुर (Joshimath survey by IIT Kanpur)के वैज्ञानिकों ने भी दावा किया है कि जोशीमठ में हालात अभी और बिगड़ेंगे. खासकर अगर वहां बारिश हो जाए या भूकंप आ जाए तो.
आईआईटी कानपुर की टीम ने किया था जोशीमठ का सर्वे
उत्तराखंड के जोशीमठ में धंसी जमीन को लेकर एक बड़ा दावा सामने आया है. इस घटना से कुछ दिन पहले ठीक उसी जगह आईआईटी कानपुर की रिसर्च टीम (Joshimath survey by IIT Kanpur) पहुंची थी. इस टीम को भू वैज्ञानिक प्रो. राजीव सिन्हा ने लीड किया था. टीम ने इस दौरान एक अहम सर्वे किया था.
आईआईटी के प्रोफेसर ने कहा कि पहले इस एरिया के जियोलॉजिकल सेटिंग्स को समझना पड़ेगा. यह सभी एक्टिव जोन है और जोन 5 में आता है यहां पर भूकंप सबसे ज्यादा आते हैं. भूकंप आना यहां आम बात हे. इसके साथ ही यहां भूस्खलन भी काफी होता है. उन्होंने बताया कि जोशीमठ का पूरा इलाका पुरानी लैंडस्लाइड के मलबे पर बना हुआ है और इसके बाद जो भी डेवलपमेंट हुए है वह अनियोजित (unplanned) हुए हैं. मकानों के नींव काफी कमजोर बनाएं गए हैं. प्रो. राजीव सिन्हा का कहना है कि ये ही प्रमुख तीन वजह हैं इस वक्त नज़र आ रही जोशीमठ की त्रासदी की.
और बढ़ेंगी दरारें- प्रो. राजीव सिन्हा
वही प्रो. राजीव सिन्हा का कहना है कि आने वाले समय में जोशीमठ की दरारें और भी बड़ी हो सकती हैं क्योंकि जिस तरह अब दरारों से पानी कहीं-कहीं निकलने लगा है,तो पानी का दबाव बढ़ रहा है और आने वाले मौसम में बदलाव के साथ अगर कहीं भूकंप आ जाता है तो बड़ी त्रासदी हो सकती है.
उत्तराखंड में साइंटिफिक रिसर्च की ज़रुरत है
वही प्रो. राजीव सिन्हा की नेतृत्व वाली आईआईटी की सर्वे टीम (Joshimath survey by IIT Kanpur) का कहना है कि अलकनंदा और धौलीगंगा के निकट भी उनकी टीम ने सर्वे किया था. उन्होंने बताया कि, ”वहां पर एक एनटीपीसी के प्लांट के संबंधित हमारी टीम में 2 साल तक उस एरिया का सर्वे किया है और देखते ही देखते वैली में कई बदलाव हम लोगों ने देखे हैं.” आईआईटी की सर्वे टीम (Joshimath survey by IIT Kanpur) का मानना है कि अब जरूरत है उस क्षेत्र में एक साइंटिफिक रिसर्च की जिससे ये तय किया जा सकें की वहां क्या स्टेबल है और क्या अनस्टेबल है.
प्रो. सिन्हा के अनुसार, जब बिना भूकंप और बारिश के जमीन धंसने लगी है तो अंदाजा लगाइए अगर बारिश हो जाएगी या फिर भूकंप आ जाएगा तो स्थिति कितनी भयावह हो जाएगी.