इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को अल जज़ीरा मीडिया नेटवर्क्स को एक जनहित याचिका (पीआईएल) के लंबित रहने के दौरान ‘इंडिया….हू लिट द फ्यूज?’ नामक डॉक्यूमेंट्री को भारत में रिलीज करने से रोक लगा दी है.
अदालत ने केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय करने का भी निर्देश दिया कि फिल्म को तब तक प्रसारित / प्रसारित करने की अनुमति न दी जाए जब तक कि इस उद्देश्य के लिए कानून में विधिवत गठित अधिकारियों द्वारा इसकी सामग्री की जांच नहीं की जाती है और आवश्यक प्रमाणन / प्राधिकरण से प्राप्त नहीं किया जाता है.
अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी
अदालत ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और अल जज़ीरा मीडिया नेटवर्क को मामले में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले में सुनवाई की अगली तारीख 6 जुलाई तय की है.
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने एक सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका के संबंध में आदेश पारित किया.
याचिका में क्या कहा गया है
याचिकाकर्ता के अनुसार, उन्होंने प्रिंट और सोशल मीडिया रिपोर्टों से पता लगा है कि फिल्म भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यक को भय की भावना के साथ चित्रित करती है और सार्वजनिक घृणा की भावना पैदा करने वाली विघटनकारी कहानी प्रस्तुत करती है, जो वास्तविकता से बहुत दूर है.
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी, “फिल्म भारतीय राज्य के राजनीतिक पदाधिकारियों को नकारात्मक रूप से चित्रित करती है और उन्हें अल्पसंख्यकों के हितों के लिए हानिकारक अभिनय के रूप में पेश करती है. यह फिल्म अपने विघटनकारी आख्यान के माध्यम से भारत के सबसे बड़े धार्मिक समुदायों के बीच एक दरार पैदा करने और सार्वजनिक घृणा की भावना पैदा करने का उद्देश्यपूर्ण प्रयास करती है. फिल्म देश के विभिन्न धर्मों के नागरिकों के बीच वैमनस्य पैदा करने के इरादे से तथ्यों के विकृत संस्करण को प्रचारित करने का प्रस्ताव करती है.
याचिकाकर्ता का कहना है कि, 2015 में भारत में पांच साल के लिए अल जजीरा चैनल प्रसारण पर रोक लगी थी. चैनल ने इस फिल्म के प्रसारण की घोषणा की है. यदि अनुमति दी गई तो देश की कानून व्यवस्था प्रभावित होगी. धार्मिक उन्माद व घृणा फैलेगी और देश के पंथनिरपेक्षता का ताना-बाना नष्ट होगा. लोक शांति भंग होगी.
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