बुधवार को लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी (बी-एस.पी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने यूपी में पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों, प्रमारियों और पार्टी के जिम्मेदार लोगों के साथ बैठक की. बैठक में मायावती ने आगामी लोकसभा आमचुनाव में अकेले अपने बूते पर लड़ने को लेकर संगठन को, खर्चीले तामझाम व नुमाइशी कार्यक्रमों से दूर, कैडर एवं छोटी-छोटी बैठकों के आधार पर गाँव-गाँव में मजबूत बनाने तथा सर्वसमाज में जनाधार को बढ़ाने आदि को लेकर निर्देश दिए. इस बैठक में उम्मीदवारों के पैनल को लेकर भी चर्चा की गई.
बैठक के बाद बीएसपी की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में 4 मुख्य बातों पर ज़ोर दिया गया. जिसमें दोनों गठबंधन इंडिया और एनडीए से बराबर दूरी बनाए रखने के साथ ही पार्टी का जनाधार मजबूत करने की बात मुख्य थी.
23-08-2023-BSP PRESS NOTE-LOK SABHA UP PREPARATORY MEETING pic.twitter.com/jb21dCMQAE
— Mayawati (@Mayawati) August 23, 2023
अकेले 2024 का चुनाव लड़ेगी बीएसपी
अपनी विज्ञप्ति में बीएसपी ने कहा कि, “बी.एस-पी. प्रमुख सुश्री मायावती जी द्वारा आगामी लोकसभा आमचुनाव अकेले अपने बूते पर लड़ने को लेकर संगठन को कैडर एवं छोटी-छोटी बैठकों के आधार पर गाँव-गाँव में मजबूत बनाने तथा सर्वसमाज में जनाधार को बढ़ाने आदि को लेकर यूपी में पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों, प्रभारियों व अन्य जिम्मेदार लोगों के साथ बैठक में पिछले दिशा-निर्देशों की प्रगति रिपोर्ट की गहन समीक्षा के बाद उल्लेखित कमियों को दूर करने का निर्देश देते हुए पूरे तन, मन, धन से लोकसभा आमचुनाव में जुट जाने का आहवान. बी.एस.पी. उम्मीदवार के चयन में ख़ास सावधानी बरतने का भी निर्देश.”
गठबंधन से बीएसपी को होता है नुकसान
बी.एस.पी. को यूपी में गठबंधन करके लाभ के बजाय नुकसान ज्यादा उठाना पड़ा है, क्योंकि बी.एस.पी. का वोट स्पष्ट तौर पर गठबंधन वाली दूसरी पार्टी को ट्रान्सफर हो जाता है किन्तु दूसरी पार्टियाँ अपना वोट बी.एस.पी. उम्मीदवारों को ट्रान्सफर कराने की न सही नीयत रखती हैं और न ही क्षमता, जिससे अन्ततः पार्टी के लोगों का मनोबल प्रभावित होता है. इस कारण बी.एस.पी. सत्ता व विपक्ष दोनों गठबंधनों से अलग व दूर रहती है.
अपना प्रभाव ही नहीं जनाधार भी खो रही है बीजेपी
विज्ञप्ति में कहा गया है कि, “सत्ताधारी भाजपा की संकीर्ण, जातिवादी व साम्प्रदायिक राजनीति तथा द्वेषपूर्ण एवं अराजकता को प्रश्नय देने वाले कार्यकलापों आदि के कारण सभी लोगों का जीवन दुःखी व त्रस्त. इस कारण भाजपा अपना प्रभाव ही नहीं बल्कि अपना जनाधार भी लगातार खो रही है और यह प्रक्रिया आगे जारी रहने वाली है जिससे लोकसभा का चुनाव यूपी में एकतरफा न होकर काफी दिलचस्प व देश की राजनीति को नया करवट देने वाला साबित होगा.”
कांग्रेस और बीजेपी दोनों की कथनी करनी में फर्क
“कांग्रेस पार्टी की तरह भाजपा की कथनी व करनी में जमीन-आसमान का अन्तर तथा इनके राज में लोगों की आमदनी अठन्नी व खर्च रुपया हो जाने के कारण कुछ मुट्ठीभर लोगों को छोड़कर बाकी सभी लोगों अर्थात् देश के बहुजन लोगों को परिवार का पालन-पोषण की कठिन विपत्ति का सामना है, जिस सबका अगले लोकसभा आमचुनाव पर प्रभाव पड़ने से क्या कोई इन्कार कर सकता है?”
23-08-2023-BSP UP LOK SABHA PREPARATORY MEETING pic.twitter.com/oLPSuPKLIQ
— Mayawati (@Mayawati) August 23, 2023
ये भी पढ़ें- चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए 23 अगस्त 2023 ही क्यों ?