वाराणसी : ज्ञानवापी (Gyanvapi) मामले में मुकदमें की कमान अब कुंडा राज परिवार के मुखिया और रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) के पिता उदय प्रताप सिंह संभालेंगे. आपको बता दें कि ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मंदिर के मुकदमें को लेकर जिन चार महिलाओं ने याचिका दायर की थी उनके बीच आपसी मतभेद के कारण मुख्य याचिकाकर्ता राखी सिंह ने राष्ट्रपति के सामने इच्छा मृत्यू की मांग रखी थी . राखी सिंह ने अपने लंबे चौड़े पत्र में खुद को प्रताड़ित किये जाने का आरोप लगाकर महामहीम राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यू की अनुमति मांगी थी. राखी सिंह ज्ञानवापी-मां शृंगार गौरी मुकदमें की मुख्य वादिनी है. राखी सिंह ने राष्ट्रपति महामहीम द्रौपदी मूर्मू से मांग की थी कि उसे इच्छा मृत्यू की इजाजत दी जाये. अगर समय पर उसे इजाजत नही दी गई तो वो अपनी मर्जी से कुछ भी कर सकती है.
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Gyanvapi मामले की मुख्य याचिकाकर्ता राखी सिंह ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी, मांगी इच्छा मृत्यु
राखी सिंह समेत चार महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद में बने मां शृंगार गौरी के मंदिर में दैनिक पूजा पाठ की अनुमति के लिए अदालत में याचिका लगाई है . लेकिन पिछले कुछ दिनों से मुख्य याचिकाकर्ता और अन्य याचिकाकर्ताओ में आपसी वैमनस्य हो जाने के कारण इस मामले में नया मोड आ गया है.
गुरुवार यानी 8 जून को राखी सिंह ने दिल्ली में भदरी राजपरिवार के उदय प्रताप सिंह से मुलाकात की. मुलाकात के बाद राखी सिंह आत्महत्या करने का अपना निर्णय बदल दिया. राखी के चाचा और विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने बताया कि उनके आवास पर आकर उदय प्रताप सिंह ने आश्वस्त किया है कि ज्ञानवापी से जुड़े मुकदमों की कमान अब वह खुद संभालेंगे.इस काम में उदय प्रताप सिंह का साथ देश के अन्य राजपरिवार भी साथ देंगें . उदय प्रताप सिंह की तऱफ से राखी सिंह को आश्वस्त किया गया कि सनातन की रक्षा में वो अकेली नहीं है बल्कि सनातन धर्म से जुड़े इस महत्वपूर्ण मसले पर सभी एकजुटता के साथ राखी सिंह के साथ खड़े रहेंगे.ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मंदिर के मसले पर एक बड़े राज परिवार और उनसे जुड़े लोगों का समर्थन मिल जाने से नई उर्जा आ गई है.