मध्यप्रदेश में एक लंबे समय से नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें सुनी जा रही है.कई बार ये मामला ठंडा पड़ जाता है लेकिन एक बार फिर सीएम के बदले जाने की चर्चा जोरों पर है. विश्लेषकों का कहना है कि जिस तरह से बीजेपी ने चुनावों के ठीक पहले दूसरे राज्यों में नेतृत्व बदला है उसी तरह से मध्यप्रदेश में भी ये फॉर्मूला अपनाया जा सकता है और किसी नए चेहरे के नाम पर चुनाव हो सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि आलाकमान इस मामले को लेकर गंभीर है और गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस मुद्दे पर एक अंदरूनी सर्वे भी कराया जा चुका है. सर्वे में चार-पांच मुद्दों का खासतौर ध्यान रखा गया था, जिसमें संगठनात्मक क्षमता, सत्ता और संगठन के बीच सामांजस्य बनाने की क्षमता, कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रियता, प्रशासनिक क्षमता और प्रदेश की जनता के बीच छवि जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया था. सूत्रों के मुताबिक खास तौर पर चार नेताओं को लेकर सर्वे कराया गया था. इन चार नेताओ में दो नेता तो ग्वालियर चंबल के इलाके से हैं और केंद्रीय मंत्री हैं. इन दोनों की आपस में बिलकुल भी नहीं बनती. वहीं एक नेता इंदौर के हैं जो दिल्ली की राजनीति में ख़ासा दख़ल रखते हैं और आलाकमान तक अपनी पहुंच रखते हैं. वहीं चौथे नेता भी ग्वालियर चंबल से हैं और शिवराज सरकार में मंत्री हैं.इसके अलावा आलाकमान तक भी उनकी अच्छी पहुंच है. सूत्र बताते हैं कि सर्वे के मापदंडों पर ग्वालियर चंबल के ही नेता खरे उतरे हैं लेकिन उनको ताज देने के पहले बाकी चेहरो के बीच तालमेल बिठाना होगा.
जब से मध्यप्रदेश में बीजेपी ने चौथी पारी शुरू की है तभी से नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें कभी भी जोर पकड़ लेती है. अगले साल विधानसभा चुनावों को लेकर ये अटकलें और जोरों पर हैं क्योंकि 2018 में हार के बाद से पार्टी 2023 के लिए कोई कसर नही छोड़ना चाहती. दरअसल 2023 बीजेपी के लिए आसान नहीं है क्योंकि कांग्रेस पिछले सालों की तुलना में मज़बूत भी है और एकजुट भी. इसलिए बीजेपी जीत के लिए व्यापक तौर पर फेर बदल कर सकती है.