पटना: किन्नरों ने कई बार इंसानियत की मिसाल पेश की है. बच्चों को पाल लेने से लेकर गरीबों की मदद तक की कहानियां कई बार देखने को मिली है. बावजूद इसके किन्नरों के तिरस्कार का सिलसिला जारी है. अकसर लोग ट्रेन, बस या सड़क पर किन्नर को देख देख मुंह फेर लेते हैं. कुछ डर जाते है कि कहीं वो कुछ बदसलूकी न कर बैठें तो कुछ को उन्हें देखना भी अच्छा नहीं लगता. लेकिन हावड़ा-पटना जनशताब्दी एक्सप्रेस में जो हुआ उसके बाद लोग किन्नरों चर्चा और तारीफ करते नहीं थक रहे हैं. किन्नरों ने ऐसा काम किया की इंसानियत की मिसाल पेश कर दी.
क्या है मामला?
घटना सोमवार को हावड़ा-पटना जनशताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन की है. ट्रेन में सफर कर रही एक महिला जो हावड़ा से लखीसराय जा रही थी, जसीडीह रेलवे स्टेशन से आगे उसे प्रसव पीड़ा हुई. हालात बिगड़ने लगी और महिला दर्द से कराहने लगी. ट्रेन में मर्द-औरत सभी मौजूद थे लेकिन किसी को भी उसपर दया नहीं आई. लेकिन तभी वहां फरिश्ता बनकर पहुंची किन्नरों की टोली, जो ट्रेन में पैसे मांग रहे थे. जब उन्होंने महिला की हालत देखी तो उनसे रहा नहीं गया. किन्नरों ने बिना देर किए महिला को ट्रेन के वॉशरुम में ले गई और उस महिला की डिलिवरी करवाईं. गनीमत ये रही की बच्चा आसानी से हो गया औऱ मां भी ठीक रहीं. बेटे होने की खुशी महिला समेत उसके पति और ट्रेन में मौजूद सभी के चेहरे पर नज़र आई. किन्नरों ने नवजात को अपने गोद में लेकर आशीर्वाद दिया. इतना ही नहीं किन्नरों की ममता उमड़ी की जो ट्रेन में पैसे मांगने चढ़े थे वो बच्चे के पिता से ये पूछते नज़र आए कि उसके पास अस्पताल जाने के पैसे है या नहीं. पिता ने जब हां में जवाब दिया उसके बाद वो कई बार उसे पैसे से मदद करने की बात कहते रहे. जब ये पक्का हो गया कि जच्चा और बच्चा सुरक्षित है तो किन्नरों की टोली झाझा रेलवे स्टेशन पर उतर गई.
किन्नरों की इंसानियत बनी मिसाल
किन्नर तो चले गए लेकिन अपनी नेकी से कई के दिलों में अपने लिए आदर और सम्मान जगा गए. खास कर शेखपुरा की रहने वाली उस महिला के लिए तो अब हर किन्नर फरिश्ता ही होगा. जिन्होंने उसे बेटे के रुप में प्यारा सा तोहफा दिया.