कहा जाता है कि रक्तदान से बड़ा कोई दान नही होता,एक व्यक्ति अपने शरीर का रक्तदान कर कई लोगों की जान बचा सकता है लेकिन, रक्तदान करने को लेकर आज भी समाज में कई भ्रम फैला हुआ है. जिससे युवा रक्तदान करने में डरते हैं. हालांकि, बक्सर के एक ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता है जो अब तक 62 बार रक्तदान कर कई मरीजों की जान सीरियस कंडीशन में बचा कर मिसाल पेश किया है. यह व्यक्ति शहर के मित्रलोक कॉलोनी निवासी 40 साल के बजरंगी भाई उर्फ बजरंगी मिश्रा है जो रक्तदान करने में न जाति देखते हैं और न ही धर्म. इतना ही नहीं रक्तदान के बाद जो डोनर कार्ड मिलता है, वह भी ब्लड बैंक में ही छोड़ देते हैं, जिससे किसी जरूरतमंद के पास रिप्लेसमेंट के लिए कोई नहीं हो तो उन्हें उनके कार्ड पर रक्त मुहैया कराया जा सके. बजरंगी भाई के पास मरीजों की जान बचाने का ऐसा जज्बा है कि रक्तदान के लिए एक बुलावे पर बजरंग भाई भगवान हनुमान की तरह कही भी पहुँच जाते हैं. फिर चाहे मरीज़ बक्सर से हो पटना या दिल्ली.
बजरंगी मिश्रा ने लोगों की मदद करने के अपने जज़्बे के बारे में बात करते हुए बताया कि पहली बार रक्तदान करने की प्रेणना उन्हें साल 2001 में उस वक्त मिली जब अपनी बीमार मौसी को देखने वाराणसी बीएचयू अस्पताल में गए थे, जहां बगल के बेड पर एक महिला की जान बचाने के लिए ए-पॉजीटिव रक्त की जरुरत थी. उनके सभी रिश्तेदारों ने अपनी समस्याएं बता रक्तदान से मना कर दिया. संजोग की बात थी कि उनका बल्लोद ग्रुप भी A पॉजिटिव था. तो उन्होंने खून दिया और महिला की जान बचाई तब महिला ने नम आंखों से बेटा कहकर उन्हें बुलाया और धनयवाद कहा. उसी समय उन्होंने रक्तदान करने का संकल्प ले लिया.
बजरंगी बताते हैं कि वे हर तीन महीने के बाद रक्तदान करते हैं, लेकिन आजतक जरा सी भी कमजोरी का अहसास नहीं हुआ, बल्कि रक्तदान करने के बाद उन्हें और ताजगी महसूस होती है. 90 से 95 दिनों के अंतराल पर रक्तदान का क्रम न टूटे, इसके लिए वे जहां भी रहते हैं वहां नजदीकी ब्लड बैंक में जाकर रक्तदान कर देते हैं. एक बार तो उन्होंने दिल्ली जाकर भी रक्तदान किया था.
बजरंगी बताते हैं कि रक्तदान करने के लिए वे जागरूकता अभियान भी चलाते है. रक्तदान के फायदे से युवाओं को अवगत कराते है. रक्तदान करने को लेकर जिलास्तर पर अनेको बार उन्हें सम्मानित किया जा चुका है जबकि राज्यस्तर पर बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दो बार रक्तविर अवार्ड से सम्मानित किया गया है. तो बजरंगी भाई की ये कहानी जितना दिल को छूती है उतना ही दूसरों को रक्तदान के लिए प्रेरित करती है.