Friday, March 14, 2025

WFI controversy: कौन है कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण सिंह और क्या और कितनी है उनकी राजनीतिक ताकत?

कौन हैं बृजभूषण शरण सिंह? कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पिछले तीन दिनों से देश के दिग्गज रेस्लर जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं. धरना देने वालों में स्टार खिलाड़ी, बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट समेत कई भारतीय पहलवान शामिल हैं. आखिर देश के इतने दिग्गज खिलाड़ियों के आरोप लगाने बाद भी बीजेपी सांसद आज़ाद कैसे है. आरोप भी कोई मामूली नहीं यौन उत्पीड़न के हैं और आरोप लगाने वाली विनेश फोगाट को तो पीएम मोदी अपनी बेटी बोल चुके हैं. फिर ऐसा क्या है बृजभूषण सिंह में खास की बीजेपी देश का सम्मान बढ़ाने वाले खिलाड़ियों से ज्यादा अपने दुलारे सांसद को तरजीह दे रही है.

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बृजभूषण सिंह की गिनती दबंग नेताओं में होती है.

उत्तर प्रदेश के गोंडा के रहने वाले, कैसरगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण सिंह की गिनती दबंग नेताओं में होती है. सक्रिय राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से करने वाले बृजभूषण शरण सिंह की जवानी अयोध्या के अखाड़ों में गुज़री. बतौर पहलवान वो ख़ुद को ‘शक्तिशाली’ कहते हैं.

बृजभूषण सिंह पहली बार 1991 में सांसद बने इसके बाद वो 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 को मिलाकर कुल छह बार लोकसभा के लिए चुने गए. इन छह बार में से 2009 को छोड़ दें तो वो हमेशा बीजेपी से जुड़े रहे. 2009 में बीजेपी से मनमुटाव के चलते समाजवादी पार्टी से जुड़े और कैसरगंज से लोकसभा चुनाव जीते लेकिन 2014 में फिर बीजेपी में लौट आए.

बात अगर बृजभूषण सिंह के खेल प्रेम की करें तो वो 2011 से ही कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं. 2019 में वे कुश्ती महासंघ के तीसरी बार निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए थे. बृजभूषण सिंह का गोंडा के साथ-साथ बलरामपुर, अयोध्या और आसपास के कई ज़िलों में प्रभुत्व बताया जाता है. उनका बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, अयोध्या और श्रावस्ती के 50 से अधिक शिक्षा संस्थानों से भी जुड़ाव है. बृजभूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण भी राजनीति में हैं. प्रतीक गोंडा से बीजेपी के विधायक हैं.

आडवाणी के सारथी बने थे बृजभूषण शरण सिंह

बीजेपी नेता बृजभूषण शरण सिंह बिहार में आडवाणी की रथ यात्रा के साथ गिरफ्तार होने वाले नेताओं में एक थे. उनका नाम बीजेपी के कद्दावर नेता लाल कृष्ण आडवाणी के साथ उन 40 अभियुक्तों में शामिल था जिन्हें 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराने का ज़िम्मेदार बताया गया था. हालांकि इस मामले में कोर्ट ने उन्हें सितंबर 2020 में बरी कर दिया था.

दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों को शरण देने के लिए लगा था टाडा

बात बृजभूषण सिंह के आपराधिक इतिहास की करें तो 90 के दशक में वह टाडा (आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियों) के तहत गिरफ्तार किए गए थे. उन पर दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों सुभाष ठाकुर, जयेंद्र ठाकुर उर्फ भाई ठाकुर, परेश देसाई, और श्याम किशोर गरिकापट्टी को शरण देने का आरोप था. साथ ही इन्हें दाउद इब्राहिम से बात करने के अलावा अपना फोन दाउद को मुहइय्या कराने का भी इल्जाम था. हलांकि वो इस मामले में बाद में बरी हो गए थे.

बात हाल के मामले की करें तो 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए भरे गए हलफनामे के मुताबिक बृजभूषण सिंह के खिलाफ डकैती, हत्या के प्रयास और दंगा समेत कुछ अन्य बड़े आरोप भी हैं.

विवादों से रहा चोली दामन का साथ

इन दिनों सोशल मीडिया पर बृजभूषण सिंह का एक वीडियो वारयल है. सांसद जी इस वीडियो में एक पहलवान को थप्पड़ मारते नज़र आ रहे हैं. वीडियो झारखंड में अंडर-19 नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप का है. बताया जाता है कि यी का एक रेस्लर जिसकी उम्र कुछ ज्यादा होने के चलते उसे आयोजकों ने चैंपियनशिप में शामिल होने की अनुमति नहीं दी. इस बात की शिकायत लेकर जब वो मंच पर चढ़ा तो सांसद जी से उसकी बहस हो गई और गुस्से में सांसद ने उन्हें मंच पर ही थप्पड़ मार दिए.

बिगड़े बोल की वजह से हमेशा सुर्ख़ियों में रहे

थप्पड़ कांड के अलावा बृजभूषण शरण सिंह अपने बयानों के लिए भी चर्चा में बने रहते है. 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार में उन्होंने कहा था कि “पाकिस्तान पर क्यों न बोलें, क्या मोदी और योगी को हराने की चिंता पाकिस्तान में नहीं हो रही है. समाजवादी पार्टी को वोट दोगे तो पाकिस्तान ख़ुश होगा.”

इसके अलावा उनके बिगडैल बोलों में “ये हमारी ही पार्टी में संभव है कि हम कलाम को राष्ट्रपति बनाते हैं. कलाम बन कर रहो तो राष्ट्रपति बनाएंगे… कसाब बन कर आओगे तो काटेंगे.”

इनके बिगड़ैल बोलों की कमी नहीं है. एक बार बृजभूषण सिंह ने कहा था कि  “मैं गारंटी लेता हूं कि ओवैसी के पूर्वज हिंदू थे और उनके बाबा के पिताजी का नाम तुलसीराम दास था.” इसके अलावा एक बार उन्होंने राहुल गांधी और बिलावल भुट्टो को ‘एक ही नस्ल’ का बता दिया था.

क्या रामदेव से पंगा लेना पड़ा मुश्किल

अपने खिलाफ जंतर मंतर पर बैठे पहलवानों के आरोपों के जवाब में बृजभूषण सिंह ने कहा था कि ये उन्हें बदनाम करने की चाल है. कॉरपोरेट कपनियां उनके खिलाफ साजिश रच रही हैं. असल में माना जा रहा है यहां कॉरपोरेट कंपनी से बृजभूषण सिंह का मतलब योगगुरु रामदेव की कपंनी पतंजलि से है. सांसद पतंजलि के घी को नकली बता चुके हैं. तब रामदेव की कंपनी पतंजलि ने उन्हें लीगल नोटिस भेज कर माफ़ी मांगने को कहा था लेकिन सांसद ने माफ़ी नहीं मांगी थी.

विवाद बढ़ा तो पतंजलि ने सांसद को फिर नोटिस भेज दिया. इस बार सांसद घी पर माफी मांगने के बजाए पतंजलि नाम के इस्तेमाल पर ही नाराज़ हो गए उन्होंने कहा, “जिन महर्षि पतंजलि के नाम का उपयोग किया जा रहा है उनकी जन्मभूमि उपेक्षा की शिकार है. महर्षि पतंजलि के नाम का उपयोग बंद होना चाहिए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो मैं इसे लेकर देशव्यापी आंदोलन करुंगा”

वैसे बृजभूषण सिंह की ताकत का अंदाज़ा इसी बात से लगा लीजिए कि जहां एक महिला कोच के आरोप के चलते हरियाणा के खेल मंत्री को पद छोड़ना पड़ा था. वहीं तीन दिन से ओलंपिक खिलाड़ियों के सड़क पर होने के बावजूद. उन महिला खिलाड़ियों द्वारा सरेआम सेक्सुअल हरासमेंट का आरोप लगाने के बावजूद बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात करने वाली सरकार अब तक बृजभूषण सिंह के खिलाफ एक एफआईआर तक नहीं कर पाई है और बृजभूषण सिंह की बेशर्मी देखिए कि ऐसे आरोपों के बाद भी उन्होंने ताल ठोक कर कह दिया है कि वो इस्तीफा नहीं देंगे. उनका जलवा देखिए कि इस मामले पर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है और वो फोन पर ही खेल मंत्री से बात कर अपना काम चला ले रहे हैं.

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