बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने JDU की ओर से आयोजित स्वाभिमान रैली और उसमें मुख्यमंत्री के सम्बोधन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि आरजेडी के हाथों अपना स्वाभिमान गिरवी रख कर अपनी कुर्सी बचाने वाले मुख्यमंत्री के मुंह से स्वाभिमान की बात शोभा नहीं देती है. राणा प्रताप ने तो अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए जंगल में रह कर घास की रोटी खाना स्वीकार किया मगर मुख्यमंत्री जी ने तो जंगल राज वालों के दबाव पर ‘जनता राज’ बता कर पूरे बिहार को ‘ गुंडाराज’ में तब्दील कर दिया है.
राजस्व मंत्री पर साधा निशाना
उन्होंने कहा कि एक ओर तो मुख्यमंत्री महाराणा प्रताप के स्वाभिमान व शौर्य की बातें कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनका कैबिनेट मंत्री और सहयोगी आरजेडी राणा के वंशजों को अंग्रेजों का दलाल कह कर अपमानित कर रहा है. राणा प्रताप ने तो तमाम दुश्वारियों के बावजूद कभी भी विधर्मी मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की, मगर उनके नाम पर राजनीति करने वाले दल का एमएलसी पूरे देश में शहर-शहर कर्बला बनाने की धमकी देता है और मुख्यमंत्री जी उसका मौन समर्थन करते हैं. दरअसल मुख्यमंत्री की सत्ता-लोलुप राजनीति का यह दोहरापन है. ऐसे लोग स्वाभिमान की बात नहीं करें तो ही अच्छा रहेगा.
शराब कांड पर भी बोले विजय सिन्हा
सिन्हा ने कहा कि अहंकारी व्यक्ति थोथा स्वाभिमान का दिखवा तो कर सकता है, मगर उसकी रक्षा नहीं कर सकता है. सारण में पिछले महीने जहरीली शराब से सौ से ज्यादा लोग मर गए, सैकड़ों बच्चे अनाथ और महिलाएं विधवा हो गईं, मगर कथित समाधान यात्रा के दौरान अहंकारी मुख्यमंत्री को उनसे आंख मिलाने तक की हिम्मत नहीं हुई. मुख्यमंत्री जी यह स्वाभिमान नहीं अहंकार व कायरता है. अगर सारण शराब कांड की आप ईमानदारी और संवेदना के साथ समीक्षा की गई होती, और आपने अपने भ्रष्ट तंत्र पर नकेल कसी होती तो, शराब माफियों को संरक्षण देना बंद किए रहते तो सीवान में भी मौत का सिलसिला जारी नहीं रहता.