कई दिनों तक सुर्खियों में रहने के बाद सोमवार को केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiran Rijiju) ने साफ किया कि उन्होंने कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि रखे जाने वाला पत्र उन्होंने नहीं लिखा. कानून मंत्री ने कहा कि “मैंने CJI को एक पत्र लिखा, जिसके बारे में किसी को नहीं पता था. पता नहीं किसे कहां से पता चला और खबर बना दी कि क़ानून मंत्री ने CJI को पत्र लिखा कि कॉलेजियम में सरकार का प्रतिनिधि होना चाहिए. इस बात का कोई सर पैर नहीं. मैं कहां से उस प्रणाली में एक और व्यक्ति डाल दूंगा.”
भारत में लोकतंत्र सिर्फ जीवित ही नहीं बल्कि मजबूती से आगे बढ़ रहा है
एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiran Rijiju) ने कहा कि, “भारत में लोकतंत्र सिर्फ जीवित ही नहीं बल्कि मजबूती से आगे चले उसके लिए एक मज़बूत और आज़ाद न्यायपालिका का होना जरूरी है. न्यायपालिका की आज़ादी को कमज़ोर या उसके अधिकार, सम्मान और गरिमा को कम करेंगे तो लोकतंत्र सफल नहीं होगा.”
कानून मंत्री के पत्र को लेकर क्या थी खबर
आपको बता दें खबर थी कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सलाह दी है कि कॉलेजियम में उसके प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए. कहा जा रहा था कि कानून मंत्री किरण रिजिजू (Kiran Rijiju) ने CJI को चिट्ठी लिखकर कहा है कि जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सरकारी प्रतिनिधि शामिल करने से सिस्टम में पारदर्शिता आएगी और जनता के प्रति जवाबदेही भी तय होगी.