लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान ने पिछले दिनों बक्सर में किसानों के साथ हुई बर्बरता (Buxar police atrocity) को लेकर अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बिहार सरकार की शिकायत की है. चिराग ने इस संबंध में केंद्र सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है.
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किसानों को नहीं मिल रहा उचित मुआवज़ा-चिराग पासवान
जमुई सांसद ने कहा है कि, राज्य सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण करने के बाद भी किसानों को निर्धारित प्रावधान के तहत मुआवजा नहीं दिया गया है. किसानों की बहुफसली 250 एकड़ उपजाऊ जमीन अभिग्रहीत किया जा रहा है. लेकिन, इसके बदले में उनको बाजार मूल्य नहीं दिया जा रहा है. इतना ही नहीं इससे अनुसूचित जाति – जनजाति के 250 लोग बेघर हो गए हैं. इन्हें भी किसी तरह से कोई भी सरकारी मदद नहीं मिल रहा है. इसलिए केंद्र सरकार को तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और किसानों को उचित मुआवजा दिलवाना चाहिए.
बीकेयू प्रवक्ता राकेश टिकैत सोमवार बक्सर आ रहे
इधर, यह भी बताया जा रहा है कि किसानों की समस्या को लेकर राष्ट्रीय स्तर के जाने-माने किसान नेता भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत सोमवार यानी आज बक्सर आ रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार देशभर से सुर्खियों में आए किसान नेता राकेश टिकैत बनारपुर गांव के खेल मैदान में सोमवार को आयोजित होने वाली जनसभा में किसानों और खेतिहर मजदूरों से मिलकर उनकी बातों को सुनेंगे और अपनी बात रखेंगे.
क्या है पूरा मामला
बता दें कि, बक्सर के चौसा में बिजलीघर के लिए राज्य सरकार द्वारा किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई है. इसके बाद से किसान इस बात को लेकर अनशन पर बैठ गए थे कि उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया है. जिसके बाद पिछले दिनों एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था जिसमें यह देख रहा था कि पुलिस के द्वारा आधी रात किसानों के घर में जाकर उसकी पिटाई (Buxar police atrocity) कर दी गई. जिसके बाद से किसान भी उग्र हो गए और उनके द्वारा पुलिस की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया इसके बाद फिर से पुलिस द्वारा लाठीचार्ज (Buxar police atrocity) कर भीड़ को तितर-बितर किया गया. जिसके बाद इस मामले को सभी तरफ चर्चा तेज है.
गौरतलब हो कि, बक्सर के चौसा में 1980 मेगावाट क्षमता के ताप विद्युत परियोजना के लिए वाटर पाइपलाइन और रेलवे कॉरिडोर हेतु जमीन अधिकृत की जा रही है. इसी को लेकर किसान मुआवजे की मांग कर रहे हैं. इसी को लेकर पिछले दिनों किसान और सरकार के बीच विवाद भी उत्पन्न हो चुका है. ऐसे में धीरे-धीरे कर यहां बड़े नेताओं का जमावड़ा लगना शुरू हो चुका है.