Tirupati Prasadam controversy : आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में मिलने वाले प्रसादम् में फिश आयल और चर्बी की मिलावट से श्रद्धालुओं का गुस्सा चरम पर है. इस लेकर लोगों के बीच आक्रोश बढता ही जा रहा है. इस बीच केंद्रीय स्वास्थ मंत्री जेपी नड्डा ने कहा है कि स्वास्थ मंत्रालय फूड सेफ्टी नियम के तहत इसकी जांच करेगा और राज्य नियामकों से भी बात करेंगे.नड्डा ने कहा कि रिपोर्ट की पूरी तरह से जांच करने के बाद सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उचित कार्रवाई की जाएगी.
Tirupati Prasadam controversy विवाद से क्यों भड़के लोग
दरअसल तिरुपति बाला जी मंदिर का ये मामले केवल प्रसादम् में मिलावट का नहीं है, बल्कि इससे कहीं आगे है. ये मामला लाखो करोड़ों लोंगों की आस्था से भी जुड़ा है. ये जानने के बाद कि ये मिलावट पिछले काफी समय से चल रही थी, साधु संत भी नाराज है. मामले की गंभीरता को देखते हुए अब केंद्र सरकार भी इसे लेकर सतर्क हो गई है और मामले की पूर तहकीकत करने की बात कही जा रही है.
क्या है तिरुपति बालाजी मंदिर प्रसादम मे मिलावट का मामला
दरअसल आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने एक दावा करके सभी को चौक दिया है. नायडु ने दो दिन पहले बुधवार को एक दावा किया जिसमें कहा गया कि प्रदेश की पिछली सरकार यानी जगन मोहन रेड्डी की सरकार में प्रदेश के सबस बड़े विष्णु मंदिर तिरुपति बालाजी के मंदिर में मिलने वाले प्रसादम में शुद्ध देसी घी की जगह मछली का तेल और जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा था. नायडू ने बताया कि जगन मोहन रेड्डी को हराकर जब प्रदेश मे नई सरकार बनी तब 9 जुलाई को बोर्ड ने मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी के सैंपल लैब मे टेस्ट के लिए भेजा. ये लैब पशुधन लैब (NDDB CALF Ltd.) गुजरात में स्थित है. 18 जुलाई को लैब की रिपोर्ट आई, इसमें पाया गया कि मंदिर को सप्लाई किया जा रहे घी में मिलावट पाई गई. जांच रिपोर्ट में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की फूड लैब काल्फ (CALF) ने बताया कि प्रसादम् के लिए जो लड्डू बनाये जा रहे हैं उनमें जानवरों की चर्बी और फिश ऑयल की मिलावट है.
पशुधन और फूड एनालिसिस और लर्निंग सेंटर (CALF) गुजरात के आनंद में स्थित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की विश्लेषणात्मक प्रयोगशाला है.
मिलावट को लेकर 18 सितंबर को आई रिपोर्ट
नई सरकार बनने के बाद मंदिर के ट्रस्ट ने 22 जुलाई को एक बैठक की, जिसमें घी को जांच के लिए भेजने का फैसला लिया गया. 23 जुलाई को घी के सैंपल को जांच के लिए भेजा गया. 18 सितंबर को आई इस रिपोर्ट के बाद चंद्रबाबू नाडयू ने उस समय के मुख्यमंत्री जगन सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया. चंद्र बाबू नायडू ने कहा कि “जगन मोहन रेड्डी सरकार ने हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ किया है. मंदिर की पवित्रता को ठेस पहुंचाई है और लोगों की आस्था से भी बहुत बड़ा खिलवाड़ हुआ. मेरी सरकार आने के बाद इस पर रोक लगाई गई है. जो अभी रिपोर्ट सामने आई है, वो जुलाई की है.”
जांच रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ
पशुधन और फूड एनालिसिस और लर्निंग सेंटर (CALF) की रिपोर्ट ये पता चल कि प्रसादम् में जिस घी का प्रयोग किया जा रहा था उसमे खतरनाक मिलावट थी. घी के अंदर मछली का तेल (फिश ऑयल), लार्ड और एनिमल टैलो पाया गया. एनिमल टैलो वो पदार्थ है जो पशु में मौजूद फैट होता है. वहीं लार्ड का मतलब जानवरों की चर्बी है. लार्ड का मतलब जानवरों की चर्बी है. रिपोर्ट के मुताबिक, तिरुपति बालाजी के प्रसादम् में इस्तेमाल होने वाले घी में लार्ड के रुप में सोयाबीन, जैतून, सूरजमुखी, रेपसीड, गेहूं,अलसी, मक्का, कपास के बीज, नारियल, मछली का तेल,पॉम आयल और बीफ टेलो यानी गौमांस की चर्बी शामिल है.
तिरुपति बालाजी में कैसे तैयार होता है प्रसादम ?
भारत में तिरुपति बालजी सबसे बड़े मंदिरों में से एक है.यहां हर साल 3 करोड़ से अधिक भक्त आते हैं, और देश में सबसे ज्यादा चढ़ावा भी इसी मंदिर को चढ़ता है. इस मंदर में प्रति दिन 80-से 82 हजार भक्त भगवान वैंकटेश्वरा स्वामी के दर्शन के लिए आते हैं.यहां आने वाले भक्त भगवान को प्रसाद के रुप में यहां बनाये जाने वाले विशेष लड्डू चढ़ाते हैं. इस मंदिर में हर दिन लगभग साढे तीन लाख लड्डू तैयार किया जाता है. यहां लड्डू बनाने औऱ प्रसादम की व्यवस्था को देखने के लिए एक खास कमिटी है जिसका चुनाव हर साल प्रदेश की सरकार करती है. कमेटी का नाम है “तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम्” लड्डू प्रसादम के लिए समाग्री खरीदने की जिम्मेदारी इसी कमेटी की है. इसी कमेटी के वॉलेंटियर्स लडडू बनाते है और पहले से निर्धारत कीमतों पर इसे श्रद्धलुओं को बेचा जाता है.
मंदिर के लिए खास स्थान से आता है यहां धी
तिरुपति बालाजी के मंदिर में पिछले 50 साल से KMF य़ानी कर्नाटक कोपरेटिव मिल्क फेडरशन से रियायती दरों पर घी मंगाया जाता रहा है. पिछले साल जुलाई 2023 में KMF ने कम दर पर घी सप्लाई करने से इंकार कर दिया. तब तत्कालीन जगन सरकार ने दूसरे 5 फर्म को घी सप्लाई करने के अनुमति दी.फिर इस साल सरकार जगन के बाद नायडू सरकार ने घी से सैंपल की जांच के आदेश दिये और मामले के इस तरह से खुलासा हुआ. गडबड़ी की आशंका को देखते हुए नायडू सरकार ने 29 अगस्त को एक बार फिर से KMF को घी सप्लाई का काम सौंपा. दरअसल तिरुपति बालाजी में खास किस्म के घी से ही लड्डू बनाये जाये हैं. केएमएफ तिरुपति बालाजी के लिए नंदिनी ब्रांड के घी की आपूर्ति करता है.
इस मामले में आरोप सामने आन के बाद ट्रस्ट बोर्ड के तत्कालीन अधिकारी एवी धर्म रेड्डी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मंदिर ट्रस्ट केवल उन्हीं सप्लायर्स से गाय का घी खरीदता है, जिसका चयन ई-टेंडर प्रक्रिया के जरिए समझौता ना करने वाली, क्वालिटी और कम से कम लागत के दोहरे मापदंड को पूरा करती है. एवी धर्म रेड्डी ने आरोपों को खारिज करते हुए ये भी उन्होंने यह भी कहा था कि चूंकि KMF टेंडर प्रक्रिया का पात्र नहीं था. इससे पहले वो समय पर खेप पहुंचाने में भी विफल रहा है.
घी कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की तैयारी
मामला सामने आने के बाद घी सप्लाई करने वाली कंपनी का कांटिरेक्ट रद्द कर दिया गया है.कंपन को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी चल रही है. मामले की जांच विजिलेंस को सौंप दी गई है. इस समय मंदिर ट्रस्ट ने प्रसादम की गुणवत्ता और निगरानी के लिए 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया