Sunday, December 22, 2024

J&K assembly: विधानसभा में फिर हंगामा, बीजेपी विधायकों और इंजीनियर राशिद के भाई को मार्शलों ने बाहर निकाला

J&K assembly: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में तीसरे दिन भी हंगामा जारी रहा. शुक्रवार को सदन की कार्रवाई शुरु होने पर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने अनुच्छेद 370 और विशेष दर्जा संबंधी प्रस्ताव के खिलाफ नारेबाजी की.
हालांकि, स्पीकर अब्दुल रहीम राठेर के निर्देश पर कम से कम 12 भाजपा विधायकों को वेल में आने पर सदन से बाहर निकाल दिया गया.
सदन से बाहर निकाले जाने के बाद 11 अन्य भाजपा विधायकों ने भी विरोध में सदन से वॉकआउट कर दिया. इससे पहले, बारामुल्ला लोकसभा सांसद शेख अब्दुल राशिद के भाई और आवामी इत्तेहाद पार्टी के विधायक खुर्शीद अहमद शेख को मार्शलों ने सदन से बाहर निकाल दिया था.

J&K assembly: 370 की बहाली को लेकर फिर दिखाए गए पोस्टर

शुक्रवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और हंदवाड़ा के विधायक सज्जाद लोन और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के पुलवामा के विधायक वहीद पारा ने अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग करते हुए एक पोस्टर दिखाया. इससे भाजपा सदस्य भड़क गए और मेजों पर खड़े होकर विरोध करने लगे. इस बीच, खुर्शीद अहमद शेख विधायकों के समर्थन में वेल में आ गए, लेकिन मार्शलों द्वारा उन्हें सदन से बाहर निकाल दिया गया.
नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी के बीच ‘फिक्स मैच’-शेख
शेख ने आरोप लगाया कि सदन के अंदर सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस और भारतीय जनता पार्टी के बीच ‘फिक्स मैच’ चल रहा है, जिसके चलते केवल उन छह विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जो अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस का प्रस्ताव समझ से परे है और यह महज दिखावा है.

370 की बहाली के प्रस्ताव का विरोध कर रही है बीजेपी

गुरुवार को भाजपा विधायकों और मार्शलों के बीच झड़प के बाद विधानसभा को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया था, भाजपा सदस्यों ने लगातार दूसरे दिन पूर्व राज्य की विशेष स्थिति को बहाल करने के प्रस्ताव का विरोध किया. उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें क्षेत्र की विशेष स्थिति के महत्व की पुष्टि की गई, जो ‘इसकी पहचान, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा करता है.’
प्रस्ताव में केंद्र से आग्रह किया गया है कि वह जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा और संवैधानिक गारंटी बहाल करने के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ चर्चा शुरू करें तथा यह सुनिश्चित करें कि इस प्रक्रिया में राष्ट्रीय एकता और लोगों की आकांक्षाओं का सम्मान हो.

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