नाम बदलने का चलन इन दिनों नया ट्रेंड बना हुआ है. जिसका श्रेय अगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को दिया जाए तो गलत नहीं होगा. योगी राज में उन सब जगहों के नाम बदले जा रहे हैं. जिनके नाम या तो मुग़ल आक्रांताओं के नाम पर रखे गए. या किसी ज़माने में बदले गए हो. जैसे की अयोध्या को एक बार फिर फैज़ाबाद से आयोध्या बनाया गया. इसी क्रम में फिर एक बार योगी राज में बड़े स्तर पर जगहों ने नाम बदले गए हैं.

दरअसल गोरखपुर नगर निगम ने 50 वार्डों का नाम बदल दिया है. इनमें 24 वार्डों के नाम महापुरुषों और बलिदानियों के नाम पर रखे गए हैं. जैसे कि अलीनगर बना आर्यनगर. तो वहीँ मियां बाजार का नाम बदलकर माया बाजार कर दिया गया है. सिर्फ इतना ही नहीं सिख बहुल मोहद्दीपुर अब महान स्वतंत्रता सैनानी सरदार भगत सिंह नगर के नाम से जाना जाएगा.

बता दें गोरखपुर में ज्यादातर मुस्लिम नाम वाले वार्डों का नया नामकरण किया गया है. अब नए वार्ड बाबा गंभीर नाथ, बाबा राघव दास, पंडित मदन मोहन मालवीय, शहीद अशफाक उल्ला खां समेत कई महापुरुषों के नाम से जाने जाएंगे.

गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र में अभी हाल में 32 गांव शामिल हुए हैं. इसके बाद नगर निगम क्षेत्र में एक बड़ी आबादी शामिल हो गई. इस वजह से वार्डों की संख्या बढ़ाने की जरूरत पड़ी. अब तक नगर निगम क्षेत्र में 70 वार्ड थे. अब इनकी संख्या को बढ़ाकर 80 कर दी गई है. इसमें ज्यादातर वार्डों के नाम भी बदल दिए गए हैं.

जैसे कि पुर्दिलपुर वार्ड अब विजय चौक बन गया है. जनप्रिय विहार वार्ड का नाम दिग्विजयनगर कर दिया गया है. सिंधी समाज के भगवान झूलेलाल के नाम पर भी एक वार्ड बनाया गया है. निषाद बहुल नौसढ़ का नाम मत्स्येंद्र नगर रखा गया है. मियां बाजार, मुफ्तीपुर, अलीनगर, तुर्कमानपुर, इस्माइलपुर, रसूलपुर, हुमायूंपुर उत्तरी, घोसीपुरवा, दाउदपुर, जाफरा बाजार, इलाहीबाग, काजीपुर खुर्द, चक्सा हुसैन के नाम भी बदल दिए गए हैं.

ये सभी जगह अब से बाबा गंभीरनाथ, फिराक गोरखपुरी, मदन मोहन मालवीय, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, बलिदानी शिव सिंह छेत्री, पं. रामप्रसाद बिस्मिल, शहीद अशफाक उल्लाह, महाराणा प्रताप नगर, महात्मा ज्योतिबफुले, बंधु सिंह, संत झूलेलाल नगर के नाम पर वार्डों का नाम रखा गया है.

विश्व में गोरखपुर का नाम रोशन करने वाले गीता प्रेस के नाम पर भी वार्ड का नाम रखा गया है. महेवा वार्ड का नाम अब कान्हा उपवन नगर कर दिया गया. विश्वकर्मापुरम वार्ड भी बनाया गया है. नाम बदलने की ये प्रथा सिर्फ एक प्रथा नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की जनता को उनके इतिहास से रूबरू कराने से भी जुड़ा है.