Waqf Bill: गुरुवार को संसद में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्षी दलों की तीखी आलोचना के बाद विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) को भेजने का प्रस्ताव रखा. बिल पर कई विपक्षी सदस्यों ने संघीय ढांचे पर बिल के संभावित प्रभाव और धार्मिक स्वायत्तता पर इसके कथित अतिक्रमण के बारे में चिंता व्यक्त की.
Waqf Bill: सदन में क्या हुआ आज
विपक्ष की आलोचना के बाद संसद में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) को भेजने का प्रस्ताव रखा. जिसपर स्पीकर ने कहा कि वह जल्द ही कमेटी बनाएंगे. स्पीकर के इस बयान के बाद एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर डिवीजन की मांग की. जिसपर स्पीकर ने कहा कि इस पर डिवीजन कैसे बनता है. तब ओवैसी ने कहा कि हम तो शुरू से डिवीजन की मांग कर रहे हैं.
सदन के बाहर विपक्ष ने जताई नाराज़गी
सदन के बाहर वक्फ (संशोधन) विधेयक पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, “ऐसे लोग भी थे जो बोलना चाहते थे लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया क्योंकि बहुत सारे लोग इस बिल को लाने के खिलाफ हैं. यह असंवैधानिक है. इसे कमेटी में चर्चा होने दीजिए, उसके बाद ही हम कुछ कहेंगे.”
वहीं वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “बिल पेश होने से पहले हमने स्पीकर को नियम 72 के तहत नोटिस भेजा था कि हम इस बिल के खिलाफ हैं. हमारा मानना है कि यह विधेयक अनुच्छेद 14, 15 और 25 के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. यह विधेयक संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करता है. यह विशेष रूप से न्यायिक स्वतंत्रता और शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन करता है…आप उन मस्जिदों को छीनना चाहते हैं जिन पर आरएसएस दावा कर रहा है, उन दरगाहों को छीनना चाहते हैं जिन पर दक्षिणपंथी हिंदुत्व संगठन दावा कर रहे हैं…इसमें कई धाराएं हैं जो खतरनाक हैं. वे वक्फ बोर्ड के पक्ष में नहीं हैं, बल्कि इसे खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं… उनके सभी तर्क झूठे हैं….”
इसी तरह RJD सांसद मीसा भारती ने कहा, “हमारी भी मांग थी कि इसे JPC में रखा जाए. जिस तरह हड़बड़ी में इस बिल को लाया गया है तो मंत्री और सरकार भी अस्पष्ट थे क्योंकि विपक्ष इससे जुड़े जो सवाल उठा रहे थे उनके पास उसका जवाब नहीं था. कई बिंदु हैं जिन पर चर्चा नहीं हुई है. राज्यों के साथ इस पर चर्चा नहीं हुई है… सरकार खुद ही कह रही है कि इस बिल को कमिटी के पास भेज दिया जाए…”
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