Sunday, December 22, 2024

Ganga Bridge: पुल ने गिर के खोली भ्रष्टाचार की पोल, गंगा में समा गया विकास

पाप का नाश करने वाली गंगा बिहार में भ्रष्टाचार का नाश भी कर रही है. हालत ये है कि नदी ने दो साल में दो बार एक पुल को गिरा कर उसमें हो रहे भ्रष्टाचार की पोल खोली लेकिन राजनीति का खेल देखिए जहां कार्रवाई ठेकेदार पर होनी थी वहां लड़ाई इस बात पर हो रही है कि भ्रष्टाचार के पुल का निर्माण किस सरकार में और किस गठबंधन के राज में हुआ.

1700 करोड़ का पुल गिरा के फिर बनाना था-तेजस्वी यादव

1700 करोड़ की लागत से भागलपुर के सुल्तानगंज अगवानी घाट पर बन रहा पुल दोबारा ध्वस्त हो गया. 4 जून को जब ये घटना हुई तो विपक्ष ने भ्रष्टाचार के आरोप लगा शोर मचाना शुरु कर दिया. ऐसे में बिहार सरकार में डिप्टी सीएम और फिलहाल निर्माण विभाग देख रहे तेजस्वी यादव सामने आए. माना की पुल के निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ और ये भी कहा कि जब पिछली बार पुल गिरा था तो वो नेता विपक्ष थे और उन्होंने इस पुल की जांच की मांग भी की थी. इसलिए सरकार में आने के बाद बाकायदा मैंने IIT खड़गपुर से इस पुल की जांच कराई और रिपोर्ट में जब खराब निर्माण की बात सामने आई तो सरकार ने इस पुल को गिरा कर पुल बनाने की तैयारी शुरु की थी. तेजस्वी ने पिछली सरकारों के निर्माण विभाग के मंत्री जो पहले नंदकिशोर यादव था, और बाद में प्रेम कुमार को इस भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार ठहराया.

पुल गिरने पर गुस्साएं नीतीश कुमार

तेजस्वी के बाद इस मामले में मुख्यमंत्री जी ने भी बयान दिया. नीतीश कुमार ने कहा, कुछ समय पहले भी ऐसा हुआ था. हमने पूछा था कि ऐसा क्यों हुआ है. हमने इसे बहुत पहले बनाना तय किया था. 2012 में इसे बनाने का फैसला किया गया. 2014 में इसे बनाना शुरू किया गया. जिसको भी दिया गया (ठेका), वह इतना देर में क्यों बना रहा है. पहले गिर गया था, 1 साल पहले तब भी हमने कहा था. अब ये फिर गिर गया. हमने विभाग के लोगों को कहा कि देखिए और एक्शन लीजिए. ये कोई तरीका नहीं है. अभी तक ये होना जाना चाहिए. बहुत हो गया. इतनी देर क्यों हो रही है. मुझे बहुत तकलीफ हुई है. इसे ठीक से नहीं बनाया जा रहा था, इसलिए बार-बार गिर जा रहा है.

बीजेपी ने गिराया पुल-तेज प्रताप यादव

वैसे निर्माण विभाग के मंत्री जरूर बदले है लेकिन सीएम हमेशा नीतीश कुमार ही रहे. फिर वो हर बार आरोपों को मंत्रियों पर कैसे और क्यों डाल के बच जाते है इसपर बात बाद में करेंगे. पहले अब बयान वीरों के बयान जान लेते है. तो पहला बेतुका बयान आया तेजस्वी यादव के भाई और बिहार सरकार में मंत्री तेज प्रताप का. प्रताप यादव ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि पुल बीजेपी ने गिराया है. मंत्री तेज प्रताप यादव ने कह कि हम लोग पुल बनाते हैं और बीजेपी के लोग पुल गिरा रहे हैं.

अब गिर गया तो गिर गया- रामगोपाल यादव

तेज प्रताप के बाद यूपी में आरजेडी के सहियोगी माने जाने वाले समाजवादी पार्टी के नेता ने भी ऐसा ही बयान दे डाला. समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि ये पुल तो पहले ही डिस्मेंटल होने वाला था. अब गिर गया तो गिर गया. वैसे भी इस देश में राजनीति तो हर चीज पर हो रही है और हर आदमी कर रहा.

अधिकारियों ने खाई पुल निर्माण में खूब मलाई

बयानों के बाद अब जान लेते है इस भ्रष्टाचार की गंगा में किस कंपनी को हो रहा है फायदा. तो जनाब जो पुल दो बार गिर कर अपनी गुणवत्ता की ओर सबका ध्यान खुद खींच रहा है इस पुलिस का निर्माण एचपी सिंगला नाम की एक कंपनी कर रही थी. इस कंपनी की पहुंच देखिए की ब्लैक लिस्टेड होने के बाद. लिस्टेड नहीं होने के बाद भी इस कंपनी को टेंडर दे दिया गया. इतना ही नहीं 600 करोड़ से शुरु हुआ प्रोजेक्ट 17 सौ करोड़, तक पहुंच गया और शायद इसे 27 सौ करोड़ तक पहुंचाने की अधिकारियों की मंशा थी. कहा जा रहा है कि कई अधिकारियों को इसके एवज में कमिशन मिल रहा था. लेकिन शायद पुल का ईमान जिंदा था और उसने फिर से गिर के भ्रष्टाचार के पाप को धोने का फैसला कर लिया. वरना तो 14 महीने पहले जब ये पुल गिरा था तबसे अब तक तो अधिकारी इस भ्रष्टाचार के दलदल में खुशी-खुशी धसते से जा रहे थे.

बिहार में पक्ष-विपक्ष दोनों के लिए भ्रष्टाचार मुद्दा नही

खेर पहले बात विपक्ष यानी बीजेपी की कर लेते है, तो कभी सत्ता में रहकर पुल निर्माण से मलाई खाने वाला विपक्ष सिर्फ जुबानी खर्च में लगा है. वह कभी मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांग जा रहा है तो कभी जांच की मांग. लेकिन जमीन पर उसके लिए भी ये कोई चुनावी मुद्दा नहीं है, बिहार की राजनीति की शायद ये ही सबसे बड़ी विडंबना है कि विकास के मुद्दों पर यहां सिर्फ ज़ुबानी खर्च किया जाता है. आंदोलन सिर्फ जाती और धर्म के नाम पर होते है. हमेशा चुनावी मोड़ में रहने वाली बीजेपी भी जानती है कि बारी बारी सत्ता का मज़ा लेने के बाद बिहार में भ्रष्टाचार को वो बड़ा मुद्दा नहीं बना पाएगा इस लिए रस्मी तौर पर बयान बाजी कर सब चुप हो जाएंगे.

सुशासन का कवच पहन भ्रष्टाचार से मुक्त है नीतीश कुमार

रही बात सुशासन कुमार यानी नीतीश कुमार की तो उन्होंने तो जैसे महाभारत के करन के जैसे कवच और कुंडल पहन रखे है…..एक कान में बीजेपी और दूसरे में आरजेडी…भ्रष्टाचार का जो भी आरोप उनकी तरफ आता है वो उनके सुशासन के कवच से टकरा के किसी एक कुंडल पर चिपक जाता है. और नीतीश कुमार जो सरकार के कहने को तो मुखिया है….हाथ झाड़, अधिकारियों पर गुस्सा दिखा निकल जाते है.

जनता के लिए भी भ्रष्टाचार मुद्दा नहीं

आखिर में बात पक्ष और विपक्ष को सत्ता के तख्त तक पहुंचाने वाली जनता की कर ले. तो दो-दो बार पुल गिर जाने से हैरान जनता, परेशान कताई नहीं है. इसलिए तो न कोई प्रदर्शन है न कोई धरना…..हां उसे ये इंतजार ज़रुर होगा कि अगर तीसरी बार पुल का जमीर जागा और उसने गिरने का फैसला किया तो तब वो फिर अपना मोबाइल लेकर वीडियो बना उसे वायरल कर खुश हो जाएगी. रही बात बिहार की तो उसके विकास की कहानी ऐसे ही रेंगते रेंगते कभी बिमारू राज्य की लिस्ट से बाहर निकलने का सपना देखती रह जाएगी.

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