Sunday, November 3, 2024

पत्रकार Soumya Viswanathan हत्याकांड में 15 साल बाद सजा का ऐलान, 4 को उम्रकैद और एक को 3 साल की कैद

Soumya Viswanathan Murder Case: पत्रकार Soumya Viswanathan हत्या के मामले में साकेत कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी करार दिया. साल 2008 में टीवी पत्रकार की हत्या के मामले में इससे पहले अदालत में 13 अक्टूबर को दलील पूरी हुई थी. उसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. एडिशनल सेशन जज रवीन्द्र कुमार पांडे ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि 18 अक्टूबर को फैसला सुनाया जाएगा. उस समय सभी आरोपी अदालत में मौजूद रहें. बता दें कि 6 अक्टूबर को अंतिम दिन कोर्ट ने बचाव और अभियोजन पक्ष की पूरी दलील सुनी थी.

Soumya Viswanathan
Soumya Viswanathan

Soumya Viswanathan हत्याकांड की पूरी कहानी

दिल्ली की टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की 30 सितम्बर 2008 को नेल्सन मंडेला मार्ग पर उस समय हत्या कर दी गई जब वो नाइट शिफ्ट के दौरा देर रात  ऑफिस से अपना काम पूरा करके निकल रही थी. पुलिस को सौम्या की लाश कार में मिली थी. इस मर्डर का खुलासा करने में पुलिस को 6 महीने लगे थे. मामले की खुलास तब हुआ जब किसी दूसरे मामले में पुलिस ने कुछ आरोपियों को पकड़ा, उन्होंने ही सौम्या की हत्या की बात कबूल थी. एडिशनल सेशन जज रवीन्द्र कुमार पांडे ने बुधवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि 18 अक्टूबर को फैसला सुनाया जाएगा. उस समय सभी आरोपी अदालत में मौजूद रहें.

पुलिस ने बताई मौत की वजह

पुलिस ने कोर्ट में बताया कि पत्रकार की हत्या लूटपाट की वजह से हुई थी. हत्या के बारे में पुलिस में पांच आरोपियों के नाम सामने आये. आरोप के आधार पर  रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक, अजय कुमार एवं अजय सेठी को अरेस्ट किया था. कोर्ट के फैसले के बाद आरोपियों को मार्च 2009 में जेल हो गई थी.

अमित शुक्ला को उम्रकैद और सवा लाख रुपए जुर्माना, बलजीत मलिक को उम्रकैद और सवा लाख जुर्माने की सजा सुनाई गई. अजय कुमार को उम्रकैद और सवा लाख रुपए जुर्माना. वहीं जुर्माना न देने पर छह महीने अतिरिक्त कैद की सजा सुनाई गई है. अजय सेठी को तीन साल की सजा सुनाई गई है. हालांकि वह पहले से ही जेल में बंद है तो उसकी सजा पूरी हो गई है. यानी वह जेल से बाहर आ सकेगा.

Soumya Viswanathan की माँ माधवी विश्वनाथन ने कहीं दिल की बातें

सौम्या की मां माधवी विश्वनाथन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं कभी भी मृत्युदंड नहीं चाहती थी. मैं चाहता थी कि दोषी भी वैसा जीवन भुगतें, जैसा हम परिवार के लोग अपनी बेटी से दूर होकर भुगत रहे हैं. मुझे राहत है कि यह केस खत्म हो गया है. मैं कह सकती हूं कि न्याय मिला है. कम से कम मुझे बार-बार आकर इस प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा. मुझे आशा है कि यह अंत है और एक निवारक के रूप में काम करेगा. मुझे मेरी बेटी वापस तो नहीं मिल सकती लेकिन कम से कम यह केस अब खत्म हो गया है.

 

आरोपियों को मिली सजा

आपको बता दे कि, साल 2017 में जिगिशा घोष हत्या मामले में कपूर और शुक्ला को मौत की सजा सुनाई थी और कोर्ट ने मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. हालांकि,अगले साल जिगिशा हत्या मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्ला और कपूर की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया. लेकिन मलिक की उम्रकैद की सजा ही रखी थी. सभी दोषियों को मकोका के तहत सजा सुनाई गई है.

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