Supreme Court : बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष की खुदकुशी को लेकर सोशल मीडिया पर जबर्दस्त आक्रोश है. अतुल सुभाष ने पत्नी के कथित उत्पीड़न से परेशान होकर अपनी जान दे दी. पत्नी ने अतुल सुभाष के खिलाफ दहेज उत्पीड़न, हत्या समेत 9 केस दर्ज करा रखे थे. सुभाष ने खुद को पीडित बताते हुए 80 मिनट का वीडियो बनाया और 24 पन्ने का सुसाइड नोट लिखा , जिसमें पत्नी और उसके परिवार के अत्याचारों के बारे में बताया है. अतुल सुभाष का लिखा नोट और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं. इस बीच सुप्रीम कोर्ट में विवाह से संबंधित एक मामले पर सुनवाई हुी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों को दहेज उत्पीड़न से जुड़े मामलों पर सुनवाई करते हुए सावधानी बरतनी चाहिए.
Supreme Court का निचली अदालतो को निर्देश
शीर्ष अदलात ने अपनी टिप्पणी में कहा कि दहेज उत्पीड़न के मामलों में सुनवाई करते हुए अदालतों को कानून के दुरुपयोग से बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए.ऐसे मामलों में पति और उनके सगे-संबंधियों को फंसाने की प्रवृत्ति को देखते हुए अदालतों को निर्दोष परिवार के सदस्यों को गैरजरुरी परेशानी से बचाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.वी.नागरत्ना और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि विवाह संबंधी आपराधिक मामलों में जांच आधिकारियों को तब तक आरोपियो के खिलाफ जांच नहीं करनी चाहिये तब तक कि परिवार के उस सदस्य की सक्रिय भागीदारी बताने वाले विशिष्ट आरोप मौजूद ना हों.
जस्टिस बी.वी.नागरत्ना और जस्टिस एन.कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि ‘न्यायिक अनुभव से यह सर्वविदित तथ्य है कि ऐसे विवादों में अक्सर पति के परिवार को फंसाने की प्रवृत्ति होती है. इसलिए ठोस सबूत या खास आरोपों के बिना आरोप आपराधिक अभियोजन का आधार नहीं बन सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में अदालतों को कानून के प्रावधानों और कानूनी प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने और परिवार के निर्दोष सदस्यों को गैर जरुरी परेशानियों से बचाने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए.
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