दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज एक बड़े फैसले का दिन है. लंबी आसाम यात्रा और रिजार्ट भ्रमण के बाद शिवसेना के विधायकों को तोड़कर और अन्य दल के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाने वाली एकनाथ शिंदे की सरकार वैध है या नहीं,आज इस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में फैसला आ सकता है.
दरअसल महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे-महाअघाड़ी सरकार से विधायकों को तोड़कर एकनाथ शिंदे ने पिछले साल 30 जून 2022 को जब महाराष्ट्र में सरकार बना लिया तब शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे की सरकार की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौति दी थी . सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर पांच जजों की पीठ ने सुनवाई की. चीफ जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने इस मामले में लंबी सुनवाई के बाद 16 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला सुरक्षित रखने से पहले सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 9 दिनों तक बहस चली. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों और राज्यपाल कार्यालय के वकीलों को सुना. सुनवाई के दौरान उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से उनके वकीलों ने एकनाथ शिंदे की बगावत और सरकार के गठन को असंवैधानिक करार दिया. दूसरी तरफ शिंदे गुट की तऱफ से कहा गया कि विधायक दल में फूट के बाद राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट का आदेश देकर ठीक किया.
शिवसेना उद्धव गुट की सुप्रीम कोर्ट में दलील
सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना उद्धव गुट की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंहवी और कपिल सिब्बल ने जिरह की.इन वकीलों ने अपनी जिरह में कहा कि अगर शिंदे सरकार को मान्यता दी गई तो ये भविष्य के लिए एक गलत उदाहरण बनेगा. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंहवी ने कोर्ट में पूर्व स्थिति बहाल करने की अपील की.इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि हम दोबारा उस व्यक्ति को पद पर कैसे बहाल कर सकते हैं जिन्होंने राज्यपाल द्वारा कराये जाने वाले फ्लोर टेस्ट का सामना करने की बजाय इस्तीफा देना ठीक समझा और इस्तीफा दे दिया.
शिंदे गुट की सुप्रीम कोर्ट में दलील
एकनाथ शिंदे गुट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील नीरज किशन कौल और महेश जेठमलानी ने बहस किया. उद्धव ठाकरे की तरफ से पार्टी को तोड़ने के आरोपों का जवाब देते हुए शिंदे गुट के वकीलों ने ये कहा कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना ही असली शिवसेना है और अब इसकी मान्यता चुनाव आयोग से भी मिल गई है. तो पार्टी में टूट का सवाल ही नहीं हैं.
महाराष्ट्र के राज्यपाल कार्यालय की दलील
महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी के कार्यालय तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखते हुए कहा कि शिवसेना के 34 विधायकों ने कहा था कि एकनाथ शिंदे ही उनके नेता हैं. वहीं 47 विधायकों ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखी थी कि एकनाथ शिंदे के पक्ष में रहने के कारण उद्धव गुट की तरफ से उन्हें हिंसक धमकियां मिल रही है. इसलिए राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट का फैसला किया जो राज्यपाल का संवैधानिक दायित्व था.
वर्तमान में महाराष्ट्र में क्या है सरकार की स्थिति
इस समय बीजेपी के समर्थन से राज्य में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार बहुमत के साथ चल रही है. चुनाव आयोग ने भी एकनाथ शिंदे की शिवसेना को असली शिवसेना मान लिया है. ऐसे में महाराष्ट्र सरकार को तभी खतरा हो सकता है जब सुप्रीम कोर्ट ये तय कर दे कि जिस समय एकनाथ शिंदे ने सरकार बनाई थी, उस समय उनके विधायक विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य थे.
हलांकि महाराष्ट्र की शिंदे सरकार रहेगी या नहीं रहेगी इशे लेकर और भी पेंच हैं. उद्धव गुट ने शुरु में शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता के लिए आवेदन दिया था. अब अगर वो 16 विधायक विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित कर भी दिये जायें तब भी 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में एकनाथ शिंदे की सरकार को 162 विधायकों का समर्थन प्राप्त है.इसलिए सरकार के बहुमत पर कोई असर नहीं पड़ेगा.