दिल्ली में विद्युत नियामक आयोग (DERC) के चेयरमैन के पद पर नियुक्ति को लेकर दिल्ली सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल के बीच चल रहे झगड़े को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए उपराज्यपाल (LG) और मुख्यमंत्री को एक साथ बैठकर दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) के अध्यक्ष का नाम तय करने का सुझाव दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे (राज्यपाल) संवैधानिक पदाधिकारी हैं, उन्हें कलह से ऊपर उठना होगा. शीर्ष अदालत ने अपने सुझाव में कहा कि एलजी और मुख्यमंत्री को एक साथ बैठना चाहिए और हमें डीईआरसी के अध्यक्ष के लिए एक नाम बताना चाहिए.
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Supreme Court suggests Delhi Lieutenant Governor (LG) and Chief Minister to sit together and decide on the name of the Chairperson of DERC (Delhi Electricity Regulatory Commission).
They are constitutional functionaries, they have to rise above bickering, says Supreme Court.… pic.twitter.com/1jgW9KlrGQ
— ANI (@ANI) July 17, 2023
DERC चेयरमैन के पद पर नियुक्ति का क्या है मामला ?
दिल्ली में बिजली नियामक बोर्ड के चेयरमैन के पद पर नियुक्ति को लेकर दिल्ली सरकार और दिल्ली के उप राज्यपाल के बीच झगड़ा चल रहा है. दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने इस पद पर नियुक्ति के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति उमेश कुमार को नामित किया था और दिल्ली सरकार को उन्हें शपथ दिलाने का आदेश दिया था.इस आदेश के बाद दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी और दलील दी थी कि दिल्ली सरकार राज्य में जनता के कल्याण के लिए कई लोक कल्याणकारी योजनाएं चला रही है. इनमें गरीबों के लिए मुफ्त बिजली वितरण की योजना भी शामिल है. दिल्ली के उपराज्यापाल इस कल्याण कारी योजना को बंद करना चाहते हैं. अगर बिजली वितरण बोर्ड में उनके द्वारा नामित व्यक्ति चेयरमैन बना तो लोककल्याकारी योजना रोकी जा सकती है. इसलिए इस पद पर चेयरमैन की नियुक्ति का अधिकार राज्य की चुनी हुई सरकार के पास होना चाहिये.
दिल्ली सरकार की इस दलील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने DERC चेयरमैन की नियुक्ति पर एक सप्ताह की रोक लगा दी थी. आज की सुनवाई में दोनों पक्षों को एक साथ बैठक कर चेयरमैन का नाम तय करने की सलाह दी गई है,साथ ही दिल्ली के उपराज्यपाल को सलाह दी है कि उन्हें संवैधानिक पद पर रहते हुए कलह करना शोभा नहीं देता है.