Tuesday, December 24, 2024

Wrestlers Protest: पहलवानों के धरने में पहुंचे भूपेंद्र सिंह हुड्डा, बृजभूषण ने कहा- कोर्ट फैसला करेगा

मंगलवार को भी पहलवानों का धरना जारी रहा. इसबार पहलवानों ने राजनीतिक दलों को भी शामिल होने का न्योता दिया है. जिसके बाद आज हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य नेता दिल्ली के जंतर मंतर पर पहलवानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल.

सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा- बृजभूषण सिंह

वहीं WFI प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह से जब पहलवानों के प्रदर्शन और उनपर लगे आरोपों को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मामला सुप्रीम कोर्ट में है और कोर्ट फैसला करेगा”

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने पहलवानों की याचिका स्वीकार कर ली थी

भारतीय पहलवान महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग को लेकर पहलवानों ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की है. इस याचिका में कहा गया है कि न्याय पाने के लिए उन्हें दर-दर भटकने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट सोमवार को पहलवान की याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गया और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर पुलिस से याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई करेगा.

याचिका में पहलवानों ने क्या कहा है

याचिका में पहलवानों ने कहा, “पुलिस का रवैया शिकायतकर्ताओं के प्रति चौंकाने तक की हद तक रूखा था और यह घोर अन्याय है और उनके बुनियादी मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है.”
याचिका में आगे कहा गया है कि पुलिस ने शिकायतें ली हैं और शिकायत की औपचारिक रसीद भी जारी नहीं की है.
पहलवानों ने आगे कहा याचिका में कहा गया है कि “प्रिंट मीडिया के अनुसार, यह चर्चा है कि वास्तव में आरोपी को इस मामले में क्लीन चिट दे दी गई है और समिति की रिपोर्ट खेल मंत्रालय में पड़ी हुई है और अनुरोधों के बावजूद रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है.”

पहलवानों ने यह भी कहा कि अभियुक्त और उसके करीबी सहयोगियों द्वारा कई मौकों पर यौन, भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक शोषण किए जाने के बाद भी याचिकाकर्ताओं ने अन्य पहलवानों के साथ इस तरह के कृत्यों के खिलाफ उचित प्राधिकारी के समक्ष अपनी आवाज उठाने का साहस जुटाया और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए.
जिसके बाद, खेल मंत्रालय ने आरोपी व्यक्ति के खिलाफ इस तरह के आरोपों के मद्देनजर, 23 जनवरी, 2023 की सार्वजनिक सूचना के माध्यम से प्राप्त शिकायतों की प्राप्ति पर आरोपों की जांच के लिए 5 सदस्यीय निगरानी समिति गठित करने का निर्णय लिया.

निरीक्षण समिति ने आरोपों पर ध्यान दिया और पीड़ितों के बयान दर्ज किए गए. याचिका में कहा गया है कि हालांकि यह जानकर दुख होता है कि समिति के गठन के बावजूद इस गंभीर मुद्दे के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.

3 दिन बाद भी नहीं दर्ज हुई एफआईआर

“3 दिन बीत जाने के बावजूद, यानी 21.04.2023 से 24.04.2023 तक, दिल्ली पुलिस द्वारा कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की गई है. यह स्पष्ट रूप से दुखद स्थिति और मानवाधिकारों के स्पष्ट उल्लंघन को दर्शाता है. याचिका में कहा गया है कि सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना पुलिस की जिम्मेदारी है.

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