Friday, September 20, 2024

Shradha murder case:श्रद्धा की हत्या कर साफ बच सकता था आफताब लेकिन एक गलती ने उसे पहुंचा दिया सलाखों के पीछे

दिल्ली(delhi)

श्रद्धा मर्डर केस एक मिस्ट्री बनती जा रही है. कहने के लिए तो रोज नए खुलासे हो रहे हैं, लेकिन इन खुलासों से क्या मर्डर का सच सामने आ जाएगा?

हकीकत ये है कि ना तो अभी तक श्रद्धा का मोबाइल फोन मिला है और ना ही श्रद्धा के शरीर के अंग. जिस आरी या हथियार से शव को काटा गया वो हथियार भी नहीं मिला है. हत्या के समय आफताब और श्रद्धा ने जो कपड़े पहने थे वो कपड़े भी बरामद नहीं हुए है और ना ही ये साबित हो पाया है कि जंगल से जो मांस के टुकड़े और हड्डियां मिली हैं वो श्रद्धा के शरीर के हैं .

कहने का मतलब ये है कि अभी तक पुलिस के हाथ में कोई भी पुख्ता सबूत नहीं है जो आफताब को फांसी के फंदे तक पहुंचा सके. जो भी कहानी सामने आ रही है वो सब आफताब की बताई हुई कहानी है. क्योंकि हत्या के समय घर में केवल आफताब और श्रद्धा ही थे. तीसरा कोई नहीं था. श्रद्धा को आफताब ने मार डाला तो हत्या के बारे में बताएगा कौन. बताने वाला बचा है केवल आफताब.

जांच में पुलिस की परेशानी 

अब आफताब जो कह रहा है पुलिस उसी को सच मानकर तफ्तीश को आगे बढ़ा रही है. लेकिन क्या आफताब सच बोल रहा है? शायद नहीं क्योंकि कोई जिस अपराधी ने पूरी प्लानिंग के साथ हत्या की थी वो इतनी आसानी से अपना गुनाह कैसे कबूल लेगा. अगर आफताब सच नहीं भी बोल रहा है तब भी दिल्ली पुलिस की मजबूरी है कि वो उसकी बात को माने क्योंकि पुलिस के पास और कोई चारा नहीं है.

आफताब को फांसी के फंदे तक पहुंचाने में दिल्ली पुलिस के छूट सकते हैं पसीने

अभी तो तफ्तीश ठीक से शुरू भी नहीं हुई है. अभी तो शुरूआती दौर है सबूत जुटाए जा रहे हैं. आरोपी की निशानदेही पर बरामदगी की कोशिश की जा रही है लेकिन कुछ ठोस सबूत पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं.आफताब को श्रद्धा के हत्या के आरोप में फांसी के फंदे तक पहुंचाने से पहले पुलिस को पूरे घटनाक्रम की सिक्वेंसिंग और चेन ऑफ इवेंट तैयार करना पड़ेगा. हत्या के इंटेशन से लेकर जिस हथियार का इस्तेमाल हत्या में हुआ उसे ढ़ूंढ कर निकालना होगा. हत्या वाले दिन जो कपड़े पहने थे वो ढ़ूंढ़नी होगी. अगर हत्या हुई है तो डेड बॉडी कहां है. डेड बॉडी नहीं भी मिले लेकिन शरीर का कोई टुकड़ा तो मिले और उस मांस के टुकड़े को साबित किया जा सके कि वो श्रद्धा के ही शरीर का हिस्सा है.

इन सबसे ऊपर पुलिस को ये भी साबित करना होगा कि आफताब का इंटेशन हत्या करने का ही था. अगर आरोपी ने ये कह दिया कि उसका इंटेशन हत्या करने का नहीं था गुस्से में उसने श्रद्धा की जान ले ली . गलती से उससे ये कांड हो गया तो फिर ये गैर इरादतन हत्या का मामला बनेगा और आफताब फांसी की सजा से बच जाएगा.

पुलिस का कहना है कि फ्लैट के किचन में खून के धब्बे मिले हैं जिनके सैंपल को जांच के लिए भेजा गया है ताकि पता चल सके कि धब्बे किसके हैं? लेकिन ये बात कुछ हजम नहीं हो रही है. जिस आफताब ने इतने प्लानिंग के साथ हत्या को अंजाम दिया.शरीर को ठिकाने लगाया. पूरे घर को धो पोछ कर अपने सबूत मिटाए वो क्या किचन में खून के धब्बे रहने देगा. हो सकता है कि किचन में लगे खून के धब्बे पर उसका ध्यान नहीं गया होगा लेकिन क्या छह महीने तक उसका ध्यान नहीं गया होगा. ये बात समझ से परे है. हो सकता है किचन में वो धब्बा दूध के गिरने से या खाने पीने की कोई चीज गिरने से हो गया है. मतलब ये कि ये सुराग भी शायद ही पुलिस के काम आये.

पुलिस को फ्रिज से भी कोई सुराग नहीं मिलने वाला है. जबकि आफताब ने फ्रिज में श्रद्धा को काटकर रख दिया था लेकिन बाद में उसने फ्रिज को सल्फर हाईपोक्लोरिक एसिड से साफ कर दिया ताकि पकड़े जाने पर फॉरेंसिक जांच में कुछ ना मिले.

छतरपुर के जंगलों से जो कुछ मांस के बचे खुचे टुकड़े और हड्डियां मिली हैं और किचन से जो ब्लड सैंपल मिला है उसके फॉरेंसिक जांच और डीएनए टेस्ट पर पुलिस की उम्मीद टिकी हुई है कि शायद इस हत्या कांड की गुत्थी सुलझाने का कोई रास्ता निकल आए. गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है. इसीलिए 18 मई की रात को क्या हुआ था ये जानने के लिए सोमवार देर रात आफताब के साथ दिल्ली पुलिस ने उस फ्लैट में क्राइम सीन को रीक्रिएट किया जिसमें श्रद्धा की हत्या आफताब ने की थी. क्राइम सीन रीक्रिएट करने के लिए फ्लैट में एक पुतला लेकर पहुंची थी दिल्ली पुलिस. लेकिन इससे भी कुछ खास फायदा नहीं हुआ है.

दिल्ली पुलिस छतरपुर एरिया की सीसीटीवी मैपिंग कर रही है. 6 महीने पहले हत्या हुई इसलिए 6 महीने का रिकार्ड खंगालने की कोशिश कर रही है पुलिस. कुछ जगह आफताब घर की तरफ आते जाते दिख रहा है, हालांकि ज्यादातर जगह 15 दिन की ही सीसीटीवी रिकार्डिंग होती है ऐसे में 6 महीने पुराना रिकार्ड निकालना बेहद मुश्किल है.

जिन सीसीटीवी कैमरों में आरोपी आफताब नजर आ रहा है ये हाल ही कि सीसीटीवी फुटेज हैं .इन फुटेज के आधार पर पुलिस ये जानने की कोशिश कर रही है कि इन दिनों वो किनसे मिल रहा था. लास्ट जॉब इसने गुरुग्राम के एक कॉल सेंटर में की थी जहां 6,7 दिन एबसेंट रहने के चलते इसे टर्मिनेट किया गया था.उस कॉल सेंटर से भी पुलिस बात कर रही है.

फ्लैट में श्रद्धा का एक बैग मिला है, जिसमें उसका सामान है लेकिन अभी उस बैग की पहचान श्रद्धा के परिवार वालों को करनी है. पुलिस ने नार्को टेस्ट के लिए अर्जी दी है. ये एक लंबा प्रोसेस होता है सबसे बड़ी बात ये है कि इसके लिए आरोपी की सहमति भी जरूरी होती है.

मतलब ये कि श्रद्धा की हत्या को आफताब ने इतना सोच समझ कर अंजाम दिया कि बड़ी बड़ी जांच एजेंसी भी कुछ कर नहीं पा रही है. ये कोई ओपन और शट केस नहीं है बल्कि बहुत ही पेचीदा केस है.

प्लान हत्या इतना फुलप्रूफ था कि शायद किसी को पता भी नहीं चलता और आफताब साफ बच जाता  लेकिन आफताब की एक छोटी सी गलती ने उसे कहीं का ना छोड़ा और वो पुलिस की गिरफ्त में आ गया.

दरअसल श्रद्धा के गायब होने का मामला उसके परिवार वालों ने मानिकपुर थाने में दर्ज कराई थी और शक आफताब पर किया था. शिकायत मिलने के बाद मानिकपुर पुलिस ने आफताब के पूछताछ के लिए बुलाया था. 3 नवंबर को उसका लिखित बयान लिया गया .इस समय तक पुलिस को श्रद्धा के बैंक अकाउंट डिटेल्स, मोबाइल लोकेशन मिल चुकी थी. श्रद्धा का फ़ोन 26 मई को बंद हुआ लेकिन पुलिस ने जाँच में पाया कि श्रद्धा का फ़ोन 22 मई से 26 मई के बीच ऑनलाइन पैसे ट्रांसफ़र करने के लिए इस्तेमाल हुआ. क्योंकि श्रद्धा के बैंक अकाउंट से 54000 रुपए आफ़ताब के अकाउंट में ऑनलाइन ट्रान्सफ़र हुए थे, जिस समय फ़ोन से ऑनलाइन ट्रांज़ैक्शन हुआ फ़ोन का लोकेशन दिल्ली का छतरपुर ही था लेकिन आफताब के बयान के मुताबिक तब तक तो श्रद्धा उसे छोड़कर जा चुकी थी फिर पैसों का ट्रांजेक्शन कैसे हुआ और मोबाइल का लोकेशन उसके घर के पास का कैसे था ? इस बात का आफताब के पास कोई जवाब नहीं था और यहीं शातिर दिमाग आफताब पुलिस के जाल में फंस गया. इसी झूठ से आफ़ताब बेनक़ाब हो गया, सख्ती से पूछताछ की गई तो आफ़ताब ने बताया कि उसे श्रद्धा का मोबाइल password पता था और उसने ही श्रद्धा के फ़ोन से पैसे ट्रान्सफ़र किए थे. पहली बार आफ़ताब ने पुलिस के सामने कन्फेस किया कि I KILLED HER.

इस बात की जानकारी तुरंत मानिकपुर पुलिस ने दिल्ली पुलिस को दी और 8 नवंवर को माणिकपुर पुलिस के इंस्पेक्टर सचिन सानप दिल्ली पहुंचे और उसके बाद केस क्रैक हुआ.

केस क्रैक तो हो गया लेकिन पुलिस के लिए अभी काफी काम बाकी है, हथियार बरामद नहीं हुआ है, श्रद्धा का मोबाइल नहीं मिला है , श्रद्धा का कटा सिर बरामद नहीं हुआ है, आफताब और श्रद्धा के हत्या के दिन पहने हुए कपड़े नही मिले है. टेक्निकल, साइंटिफिक, डिजिटली काफी जांच बाकी है. कोर्ट में केस को स्ट्रॉन्ग करने के लिए. आफताब को उसके किए की सजा दिलाना उसे फांसी के फंदे तक पहुंचाना पुलिस के लिए एक चैलेंज है.

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