Monday, December 23, 2024

SC on Form 17C: ECI को फॉर्म 17C का रिकॉर्ड प्रकाशित करने का निर्देश देने से किया इनकार, छुट्टियों के बाद होगी मामले पर सुनवाई

SC on Form 17C: सुप्रीम कोर्ट ने 24 मई को एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की दायर लोकसभा चुनाव के प्रत्येक चरण के लिए मतदान समाप्त होने के 48 घंटे के भीतर फॉर्म 17 सी के डाटा को वेबसाइट पर डालने की मांग करने वाली याचिका पर कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) को अपनी वेबसाइट पर मतदान केंद्र-वार मतदाता मतदान डेटा अपलोड करने का निर्देश देने से इनकार करते हुए कहा कि बीच चुनाव में आयोग पर प्रक्रिया बदलने के लिए दबाव डालना सही नहीं होगा.

SC on Form 17C, सुनवाई के दौरान क्या हुआ

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की अवकाश पीठ ने पाया कि वर्तमान याचिका पर सुनवाई को स्थगित कर दिया और कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि वर्तमान याचिका में 2019 की लंबित रिट याचिका के समान ही मांग की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”अंतरिम प्रार्थना को सुनना रिट याचिका में ही अंतिम राहत देने के समान होगा.”

एडीआर ने क्या मांग की थी

असल में एडीआर ने अपने आवेदन में मतदान समाप्ति के तुरंत बाद चुनाव निकाय द्वारा जारी किए गए प्रारंभिक मतदान आंकड़ों और उसके बाद प्रकाशित अंतिम मतदाता प्रतिशत में एक बड़ा अंतर बताया था.
कथित अनियमितताओं के परिणामस्वरूप विपक्षी नेताओं और नागरिक समाज के सदस्यों ने भी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर फॉर्म 17सी का डेटा प्रकाशित करने की मांग की थी. आपको बता दें चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49एस(2) के तहत एक पीठासीन अधिकारी को मतदान खत्म होने के बाद उम्मीदवारों के मतदान एजेंटों को फॉर्म 17सी में की हुए कुल मतदान को दर्ज कर उसकी एक प्रति देना अनिवार्य होता है.

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा

वहीं शीर्ष अदालत के में दायर एक हलफनामे में, ईसीआई ने कहा कि चुनावी उम्मीदवारों या उनके एजेंटों के अलावा किसी भी व्यक्ति को मतदाता मतदान डेटा देना का कोई “कानूनी आदेश” नहीं था. यह भी दावा किया गया कि “वोटर टर्नआउट ऐप” पर डेटा का खुलासा पारदर्शिता और सार्वजनिक सुविधा के लिए एक “स्वैच्छिक” और “गैर-वैधानिक” पहल है.
इसके साथ ही ईसीआई ने एडीआर की याचिका के मकसद पर सवाल उठाते हुए कहा, “भ्रामक आरोप लगाकर हर संभव तरीके से चुनाव आयोग के खिलाफ संदेह पैदा करने के लिए लगातार दुर्भावनापूर्ण अभियान चलाया जा रहा था”

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