SC on Article 39(b):मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय की नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया कि नागरिकों की प्रत्येक निजी संपत्ति को संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत सरकार आम भलाई के लिए अधिग्रहित नहीं कर सकती है.
हालांकि, मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राज्य कुछ मामलों में निजी संपत्तियों पर दावा कर सकते हैं.
SC on Article 39(b):कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा
निजी संसाधन अनुच्छेद 39(बी) के तहत भौतिक संसाधन की परिभाषा के अंतर्गत आ सकते हैं, जो संसाधन की प्रकृति ‘भौतिक’ होने और समुदाय पर संसाधन के प्रभाव पर निर्भर करता है.
न्यायालय ने कहा, निजी संसाधन भौतिक संसाधन है या नहीं, यह तय करते समय न्यायालय को यह निर्धारित करना चाहिए कि इसका वितरण आम लोगों के हित में है या नहीं.
न्यायालय ने यह भी माना कि अनुच्छेद 39(बी) के उद्देश्य को आगे बढ़ाने वाले पारित कानूनों को संविधान के अनुच्छेद 31(सी) के तहत संवैधानिक प्रतिरक्षा प्राप्त होगी.
9 जजों की बैंच ने बहुमत से सुनाया फैसला
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, जेबी पारदीवाला, मनोज मिश्रा, राजेश बिंदल, एससी शर्मा और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने बहुमत का फैसला सुनाया.
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने अलग-अलग असहमतिपूर्ण राय लिखी.
1992 में पहली बार सुनवाई के लिए आया था मामला
असल में ये मामला 1992 में पहली बार सामने आया था जब कुछ याचिकाएं इसको लेकर दायर की गई थी. बाद में इसे 2002 में नौ न्यायाधीशों की पीठ को भेजा गया था. दो दशक से अधिक समय तक अधर में लटके रहने के बाद, इसे 2024 में सुनवाई के लिए लाया गया. इस मामले में तय किया जाने वाला मुख्य प्रश्न यह है कि क्या अनुच्छेद 39(बी) (राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों में से एक) के तहत समुदाय के भौतिक संसाधन, जिसमें कहा गया है कि सरकार को सामुदायिक संसाधनों को आम भलाई के लिए निष्पक्ष रूप से साझा करने के लिए नीतियां बनानी चाहिए, में निजी स्वामित्व वाले संसाधन शामिल हैं.
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