पटना(अभिषेक झा, ब्यूरो चीफ): बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करने के बाद बीजेपी-जेडीयू अब अपने वफादार विधायकों को तोहफे देने में लगे है. इसी कड़ी में नीतीश कुमार के करीबी संजय झा को राज्यसभा का टिकट दिया गया
गठबंधन बदलने के चलते गया था मंत्री पद
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भरोसेमंद सहयोगी संजय झा को राज्यसभा के लिए जद-यू ने अपना उम्मीदवार नामित किया है. संजय झा फिलहाल एमएलसी हैं और नीतीश सरकार में जल संसाधन विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे चुकें हैं.
जेडीयू के आरजेडी से संबंध तोड़ने और नई सरकार बनाने के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन करने के बाद वो कैबिनेट से बाहर हो गए थे. इसके बाद अब संजय झा को पार्टी के तरफ से राज्यसभा भेजा जाएगा. खबर है कि कल 14 फरवरी को संजय झा अपना नामांकन दाखिल करेंगे.
संजय झा का राजनीतिक सफर
संजय झा मिथिलांचल से जदयू के बड़े नेता हैं. वो ब्राह्मण समाज से आते हैं. झा की पॉलिटिकल ट्रेनिंग बीजेपी में हुई है. वो जेएनयू से एमए कर रहे थे जब वो बीजेपी की संपर्क में आए. ऐसा कहा जाता है कि झा बीजेपी नेता अरुण जेटली के काफी नज़दीक थे और उनके साथ ही पहले पहल नीतीश कुमार से मिले थे. धीरे धीरे उनकी नीतीश कुमार से नज़दिकियां बढ़ी. ये रिश्ता तब और मजबूत हुआ जब अरुण जेटली को बिहार का प्रभारी बनाया गया.
2012 में नीतीश कुमार ने संजय झा को जेडीयू ज्वाइन कराई और 2014 में वो जेडीयू के टिकट से दरभंगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़े. हलांकि यहां उन्हें सफलता नहीं मिली.
लेकिन नीतीश कुमार के करीबी होने का हमेशा उन्हें फायदा हुआ. सीएम नीतीश ने उन्हें राज्यपाल के कोटे से विधान परिषद का सदस्य बनाया और फिर मंत्रीपद भी दिया. वो बिहार सरकार में जल संसाधन और जनसंपर्क विभाग के मंत्री रहे हैं.
संजय झा के निजी जीवन से जुड़ी कुछ बातें
मूल रूप से मधुबनी जिले के झंझारपुर ब्लॉक के अरड़िया के रहने वाले संजय झा ने अपनी पढ़ाई JNU से की है. वो अपने एमए करने के दौरान ही छात्र राजनीति में आए. संजय कुमार झा एक पब्लिकेशन है जिसका नाम चंद्रिका प्रकाशन है. 1999 में उनका पब्लिकेशन तब चर्चा में आया जब उसने पूर्व सीबीआई निदेशक जोगिंदर सिंह की लिखी बहुचर्चित किताब इनसाइड सीबीआई पब्लिश की.
संजय झा के तीन बच्चे है दो बेटियां है जिन्होंने स्टैनफ़ोर्ड और हॉर्वर्ड से LLM की डिग्री ली हैं. वहीं उनका बेटा इंजीनयरिंग की पढ़ाई कर रहा है.
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