Sambhal Politics : संभल के मस्जिद- मंदिर विवाद से उपजे तनाव के हालत के बीच समाजवादी पार्टी के नेता संभल जाने पर अड़े हुए हैं,. शुक्रवार को ही समाजवादी पार्टी ने संभल जाने के लिए अपने 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के बारे में मीडिया को जानकारी दी थी. वहीं प्रशासन की तरफ से बताया गया था कि इलाके में निषेधाज्ञा लागू है, इसलिए किसी बाहरी व्यक्ति का संभल के उस इलाके में जाना प्रबंधित है,जहां सर्वे के बाद हिंसा हुई है.
Sambhal Politics : Samajwadi party संभल जाने पर अड़ी
समाजवादी पार्टी का 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल संभल जाने पर अड़ा है, लेकिन प्रशासन से इसकी अनुमति नहीं मिल रही है.संभल में अब प्रशासन ने धारा-163 लगा दिया है. धारा 163 का इस्तेमाल प्रशासन तब करता है, जब इलाके में बड़ी गड़बड़ी की आशंका होती है. किसी भी राज्य में आपातकालीन स्थिति और किसी बड़ी परेशानी पर नियंत्रण करने के लिए धारा 163 लगाई जाती है.
सपा नेताओं के आगे पुलिस बनी दीवार
प्रशासन ने सपा नेताओं के घरों के बाहर पुलिस के जवान तैनात कर दिये है ताकि वो संभल न जा पाये. प्रशासन की इस सख्ती के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार के प्रशासन पर नाकाम रहने का आरोप लगाया है.अखिलेश ने सोशल मीडिया एक पोस्ट लिखा है जिसमें यूपी प्रशासन पर हमला बोला है.
समाजवादी पार्टी के नेताओं को संभल जाने देने से रोकने के लिए सुबह से ही पुलिस एक्टिव है. यूपी विधानसभा के नेता विपक्ष माता प्रसाद पांडे जैसे ही संभल जाने के लिए अपनी गाड़ी में बैठे, वैसे ही पुलिस ने उनकी गाड़ी के सामने पुलिस की गाड़ी लगाकर रास्ता बंद कर दिया. प्रशासन के अधिकारियों ने माता प्रसाद पांडे को समझाने की कोशिश की लेकिन सपा नेता अपने घर से निकलने की कोशिश में लगे हुए हैं.
माता प्रसाद पांडेय ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि निषेधाज्ञा संभल में है तो उन्हें लखनऊ में क्यों रोका जा रहा है? प्रशासन पर उन्होंने डराने धमकाने का भी आरोप लगाया.माता प्रसाद पांडेय ने दलील दी कि तीन दिन पहले डीजीपी ने उन्हें संभल ना जाने के लिए कहा था. लेकिन अब तो तीन दिन बीत चुके हैं फिर उन्हें रोका जा रहा है.
अखिलेश यादव ने लगाया यूपी प्रशासन पर आरोप
अपनी पार्टी के विधायकों और नेताओं को संभल जाने से रोके जाने पर नाराजगी जताते हुए अखिलेश याद ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखा है, जिसमें प्रशासन पर नाकाम रहने का आरोप लगाया है. अखिलेश यादव ने लिखा है कि “सरकार ऐसा प्रतिबंध अगर उन लोगो पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फ़साद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता. भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देते हैं, वैसे ही संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साज़िशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए, सच्ची कार्रवाइ करके बर्ख़ास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुक़दमा भी चलना चाहिए.”
प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फ़साद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता।
भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ… pic.twitter.com/7ouboVnQu4
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 30, 2024
संभल में प्रशासन ने 10 दिसंबर तक लगाया निषेधाज्ञा
संभल में 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने यहां 10 दिसंबर तक बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है.जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेसीया ने एक बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि ‘कोई भी बाहरी व्यक्ति, कोई सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि जनपद की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना 10 दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा.’
प्रशासन का ये कदम इस लिहाज से महत्वपूर्ण है, क्योंकि समाजवादी पार्टी (सपा) का एक प्रतिनिधिमंडल हिंसा के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए शनिवार को संभल का दौरा करने वाला था.