दिल्ली सरकार 2012 के छावला गैंगरेप और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देगी. अरविंद केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर करने के लिए दिल्ली के एलजी से मंजूरी मांगी थी जो उन्हें मिल गई है. एलजी की मंजूरी के बाद एसजी तुषार मेहता और एडीएल एसजी सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे. आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर को गैंगपेर-हत्या के मामले जिसे छावला गैंग रेप के नाम से जाना जाता है, में 3 दोषियों को रिहा कर दिया था.
बीजेपी भी पहुंची थी एलजी के पास
इस बीच बीजेपी दिल्ली सरकार को इस केस में समीक्षा याचिका दायर कर अकेले सारा क्षेय लेने नहीं देना चाहती. इसलिए गुरुवार को बीजेपी सांसद अनिल बलूनी छावला गैंगरेप पीड़िता के माता-पिता के साथ दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मिलने पहुंचे. बलूनी ने उपराज्यपाल से इस मामले में समीक्षा याचिका दायर करने का अनुरोध भी किया था. आपको बता दें पीडिता उतत्राखंड की रहने वाली थी. और बलूनी उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद हैं.
क्या है पूरा मामला
वैसे आपको बता दें कि ये मामला क्या था और उस मासूम लड़की के साथ क्या जुल्म किया गया था. ऐसी हैवानियत की सुनेंगे तो आपकी रुह कांप जाएगी. 2012 में 19 साल की एक लड़की के साथ छावला में गैंग रेप किया गया, उसकी आंखों फोड़ कर उसमें तेज़ाब डाल दिया गया, उसके प्राइवेट पार्ट से कांच की बोतल तक मिली थी, उसे सिगरेट से जलाए गया था. हर तरीके की यातना दी गई और उसका मर्डर कर दिया गया. इस मामले में निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट, दोनों ने माना कि यह रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर केस है और दोषियों को फांसी की सजा दी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अचानक सभी दोषियों की न सिर्फ उनकी सजा रद्द कर बल्कि उनको बरी भी कर दिया है.
मामला जानने के बाद यकीनन आपके दिल से आवाज़ आई होगी की ऐसे राक्षसों को तो फांसी से कम कुछ सजा नहीं मिलनी चाहिए. अब सवाल उठता है कि फिर सुप्रीम कोर्ट जो महिलाओं के मुद्दों पर इतना सख्त रुख अपनाता है उसने कैसे दोषियो को आजाद कर दिया.
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